June 16, 2023

समेकित बाल विकास सेवा योजना को सुदृढ़ बनाना

समेकित बाल विकास सेवा योजना को सुदृढ़ बनाना

चर्चा में क्यों?

  • विभिन्न वैश्विक सर्वेक्षणों के अनुसार भारत में स्टंटिंग, वेस्टिंग और एनीमिया का व्यापक प्रसार बच्चों एवं महिलाओं के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है। इससे निपटने के लिए भारत को अपनी मौजूदा सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं, जैसे कि एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) को मजबूत करना चाहिए।
  • हालिया निष्कर्ष के अनुसार, एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को मजबूत करने हेतु पहला कदम आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को सशक्त बनाना है।

एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) के बारे में 

  • इसका गठन 1975 में किया गया था।
  • ICDS 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को लक्षित करता है तथा गैर-औपचारिक प्री-स्कूल शिक्षा को संबोधित करता है और कुपोषण, रुग्णता एवं मृत्यु दर के चक्र को तोड़ता है।

इसके 4 अलग-अलग घटक हैं-  

  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल शिक्षा और विकास (ECCED)
  • देखभाल और पोषण परामर्श
  • स्वास्थ्य सेवाएं
  • सामुदायिक गतिशीलता, जागरूकता, सूचना, शिक्षा और संचार उद्देश्य

उद्देश्य

  • आवश्यक सेवाओं को संस्थागत बनाना और सभी स्तरों पर संरचनाओं को मजबूत करना।
  • 3 साल से कम उम्र के बच्चों पर ध्यान केंद्रित करना।
  • प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और सीखने का माहौल प्रदान करना।
  • विकेन्द्रीकरण और समुदाय आधारित स्थानीय रूप से उत्तरदायी बाल देखभाल दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
  • वांछित परिणाम और उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्षेत्र आधारित संयुक्त कार्रवाई एवं टीमवर्क को मजबूत करने के लिए सभी कार्यकर्त्ताओं के प्रशिक्षण का लंबवत एकीकरण।
  • केंद्रीय और राज्य स्तर पर राष्ट्रीय प्रशिक्षण संसाधन केंद्र स्थापित करना।
  • बाल विकास सेवाओं में सुधार के लिए PRI, समुदाय, सिविल सोसाइटी के साथ साझेदारी को मजबूत करके जमीनी स्तर पर अभिसरण सुनिश्चित करना।
  • बच्चों के लिए सेवाएं प्रदान करने वाले सभी सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के साथ समन्वय और नेटवर्क बनाना।

वैश्विक सर्वेक्षणों का निष्कर्ष 

  • यह प्रारंभिक जीवन- गरीबी, कुपोषण और अपर्याप्त उत्तेजना एवं बाद में संज्ञानात्मक और आर्थिक चुनौतियों के बीच संबंध पर प्रकाश डालता है।
  • ICDS की संज्ञानात्मक उपलब्धियों ने लड़कियों और आर्थिक रूप से वंचित परिवारों पर सकारात्मक प्रभाव का प्रदर्शन किया।
  • नेचुरल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार, 13 -18 आयु वर्ग के किशोरों में ICDS कार्यान्वयन वाले क्षेत्रों  में स्कूली नामांकन की संभावना में 7.8% की वृद्धि दिखाई दी और उनकी तुलना में औसतन 0.8 अतिरिक्त ग्रेड पूरे किए गये।
  • पोषण 2.0 पहल - ICDS को पोषण 2.0 पहल में शामिल कर लिया गया है।  इन समुदायों के द्वारा बाल पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा को आगे बढ़ाने के दायित्व का वहन किया जाता है। इसके साथ-साथ आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं को आधुनिक तकनीक, जैसे- स्मार्टफोन और एप्लिकेशन को लागू करने से लेकर व्यावहारिक कार्यों; जैसे- स्वास्थ्य शिक्षा देने, भोजन कार्यक्रमों का प्रबंधन करना और सहायक नर्स दाइयों एवं अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों के साथ संपर्क करने जैसे कार्य भी किये जाने चाहिए।
  • सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 प्रस्ताव का संचालन केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में इसकी स्थिति पर निर्भर करता है। आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता भर्ती उनके अधिकार क्षेत्र में आती है, जो नियमों और क्षेत्र-विशिष्ट मानदंडों द्वारा निर्देशित होती है।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं की भूमिका को देखते हुए इनकी संख्या को बढ़ाना चाहिए।

अधिक श्रमिकों के लाभ

  • ICDS के भार को कम करने के लिए भारत के 13,99,661 आंगनवाड़ी केंद्रों में से प्रत्येक में एक अतिरिक्त आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता को जोड़ा जा सकता है जिसके तहत कम से कम पाँच लाभों की प्राप्ति हो सकती है।
  • पहला- यह बेहतर स्वास्थ्य और शैक्षिक परिणामों की ओर ले जाएगा। उदाहरण के तौर पर, तमिलनाडु में आधे समय के कार्यकर्त्ता को शामिल करने से प्रभावी ढंग से शुद्ध पूर्वस्कूली निर्देशात्मक समय दोगुना हो गया, जिससे कार्यक्रम में नामांकित बच्चों के लिए गणित और भाषा की परीक्षा के अंकों में सुधार हुआ।
  • दूसरा- जो बच्चे नामांकन में शामिल थे, बाल स्टंटिंग और गंभीर कुपोषण की दर में कमी देखी गई।
  • तीसरा- इस मॉडल के राष्ट्रव्यापी रोल-आउट की लागत इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले संभावित लाभों की तुलना में अपेक्षाकृत नगण्य है।
  • चौथा-  नई आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता को केवल पूर्वस्कूली और प्रारंभिक बाल्यावस्था की शिक्षा पर ध्यान देने की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
  • पांचवां- ग्रामीण समुदायों की दिनचर्या में सुधार के अलावा, यह स्थानीय निवासियों, विशेषकर महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा। इससे पूरे भारत में महिलाओं के लिए 1.3 मिलियन नए रोजगार सृजित होंगे।

कमियां 

  • चार दशकों के अथक प्रयासों के बावजूद, ICDS अभी भी 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए पोषण और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने के कठिन कार्य का सामना कर रही है।
  • 2.5 लाख केंद्र कार्यात्मक स्वच्छता सुविधाओं के बिना काम करते हैं और 1.5 लाख केंद्रों में पीने योग्य पानी तक पहुंच नहीं है। करीब 4.15 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के पास अपना पक्का भवन नहीं है।
  • ICDS के कार्यान्वयन और आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं के कौशल के स्तर में महत्वपूर्ण भिन्नता दिखाई है। इसके लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में और निवेश की आवश्यकता है।