Oct. 25, 2023

चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति पर विधेयक

चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति पर विधेयक

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया। यह विधेयक भारत के चुनाव आयोग (ECI) के सदस्यों के चयन के लिए प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक कैबिनेट मंत्री की एक समिति स्थापित करने का प्रावधान करता है।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की वर्तमान प्रक्रिया क्या है?

  • अब तक अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के अनुसार सचिव स्तर के मौजूदा या रिटायर हो चुके अधिकारियों की एक सूची तैयार की जाती है। इस सूची के आधार पर तीनों नामों की एक कमेटी तैयार की जाती है। इन नामों पर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति विचार करते हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री कमेटी में शामिल अधिकारियों से बात करके कोई एक नाम राष्ट्रपति के पास भेजते हैं और उस शख्स के चुनाव आयुक्त चुने जाने की वजह भी बताते हैं। इनका कार्यकाल 6 साल या 65 साल की उम्र जो भी पहले हो तक होता है। इस प्रक्रिया से चुनाव आयुक्त चुने जाते हैं और इनमें से जो सबसे वरिष्ठ होता है उसे मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता है। 

कितने चुनाव आयुक्त हो सकते हैं ?

  • चुनाव आयोग में चुनाव आयुक्त कितने हो सकते हैं। इसे लेकर संविधान में कोई संख्खी तय नहीं की गई है। संविधान का अनुच्छेद 324 (2) कहता है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त हो सकते हैं। यह राष्ट्रपति पर निर्भर करता है कि उनकी संख्या कितनी होगी। 

मार्च 2023 का SC का फैसला क्या था ?

  • सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया था कि प्रधान मंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक उच्च-शक्ति समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति CEC और EC को नियुक्त करेंगे। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।
  • सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती के लिए चुनावों में पारदर्शिता को बढ़ावा देते रहना जरूरी है। निर्वाचन आयोग में सुधार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने वाली संविधान पीठ की अगुवाई जस्टिस केएम जोसेफ ने की। जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि अच्छे परिणाम के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। वोट सबसे ज्यादा ताकतवर है, जो सबसे शक्तिशाली दल को भी सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा सकती है। 
  • निर्वाचन आयोग अपनी जिम्मेदारी संवैधानिक प्रावधानों एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 की मुख्य बातें?

  • नए विधेयक के अनुसार, कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली एक खोज समिति जिसमें चुनाव से संबंधित मामलों में ज्ञान और अनुभव रखने वाले सरकार के सचिव के पद से नीचे के दो अन्य सदस्य शामिल होंगे, पांच व्यक्तियों का एक पैनल तैयार करेगी और सम्भावित उम्मीदवारों की सूची तैयार करेगी। 
  • फिर प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधान मंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की एक चयन समिति उन नामों पर विचार करेगी और सीईसी और अन्य ईसी की नियुक्ति की सिफारिश राष्ट्रपति से करेगी।

क्या संसद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय को रद्द कर सकती है?

  • संसद के पास फैसले में व्यक्त चिंताओं को संबोधित करके अदालत के फैसले के प्रभाव को रद्द करने की शक्ति है। कानून केवल फैसले का विरोधाभासी नहीं हो सकता।

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