March 14, 2023

गिद्ध सर्वेक्षण, OROP, वैगनर समूह, विदेशों में पुरावशेष, खुदरा मुद्रास्फीति

गिद्ध सर्वेक्षण

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के पहले समकालिक सर्वेक्षण में 246 गिद्धों की गणना की गयी।

पहला समकालिक सर्वेक्षण 

  • तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक वन विभागों द्वारा दो दिवसीय सिंक्रोनाइज्ड गिद्ध गणना के दौरान मुदुमलाई टाइगर रिजर्व बफर में सर्वाधिक गिद्ध देखे गए जिनमें मुख्य तौर पर सफेद पूंछ वाले गिद्ध शामिल थे।
  • गणना के अंतर्गत मुदुमलाई टाइगर रिजर्व (MTR) और आस-पास के परिदृश्य तथा तमिलनाडु में सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व (STR), केरल में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य (WWS), बांदीपुर टाइगर रिजर्व (BTR) और नागरहोल टाइगर रिजर्व (NTR) शामिल हैं।

भारत में गिद्ध प्रजाति

भारत में गिद्धों की 9 प्रजातियां पाई जाती हैं –

  • ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड (Oriental White Backed) गिद्ध
  • लॉन्ग बिल्ड (Long Billed) गिद्ध
  • स्लेंडर-बिल्ड (Slender Billed) गिद्ध
  • हिमालयन (Himalayan) गिद्ध
  • रेड हेडेड (Red Headed) गिद्ध
  • मिस्र देशीय (Egyptian) गिद्ध
  • बियरडेड (Bearded) गिद्ध
  • सिनेरियस (Cinereous) गिद्ध
  • यूरेशियन ग्रिफॉन (Eurasian Griffon) गिद्ध
  • गिद्ध शव को खाते हैं जो संक्रमण क्षेत्र के प्राकृतिक तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • संक्रमित शवों को खाने के बावजूद गिद्ध संक्रमित नहीं होते हैं क्योंकि इनके पेट में मौजूद एसिड, पैथोजन को मारने में सहयक होता है।
  • गिद्ध जल स्रोतों को दूषित होने से भी रोकते हैं।
  • 2001 में हरियाणा के पिंजौर में एक गिद्ध देखभाल केंद्र (Vulture Care Centre-VCC) की स्थापना की गयी थी।
  • देश में 9 गिद्ध संरक्षण एवं प्रजनन केन्द्र हैं, जिनमें से 3 का संचालन प्रत्यक्ष तौर पर बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी के द्वारा किया जाता है। इन केन्द्रों में गिद्धों की 3 प्रजातियों- व्हाइट बैक्ड, लॉन्ग बिल्ड, स्लेंडर बिल्ड का संरक्षण किया जा रहा है।

संरक्षण स्थिति 

  • भारत में गिद्ध की तीन प्रजातियाँ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act), 1972 की अनुसूची-1 में संरक्षित हैं - बियरडेड, लॉन्ग बिल्ड और ओरिएंटल व्हाइट बैक्ड।
  • अन्य 6 प्रजातियाँ, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम अनुसूची IV में संरक्षित हैं - सिनेरियस, यूरेशियन ग्रिफॉन, हिमालयन, रेड हेडेड, मिस्र देशीय तथा स्लेंडर बिल्ड।

 स्त्रोत- द हिन्दू 

OROP (वन रैंक-वन पेंशन)

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा सशस्त्र बलों के योग्य पेंशनभोगियों को किस्तों में वन रैंक-वन पेंशन (OROP) के बकाये के भुगतान के संबंध में रक्षा मंत्रालय से नाराजगी जाहिर की।
  • शीर्ष अदालत ने केंद्र को सशस्त्र बलों के सभी पेंशनभोगियों को OROP  के कुल बकाये के भुगतान के लिए 15 मार्च तक का समय दिया था।

वन रैंक वन पेंशन क्या है? 

  • वन रैंक वन पेंशन (OROP) का अर्थ समान रैंक और समान अवधि की सेवा के लिए समान पेंशन है।
  • इसमें सेवानिवृत्ति के समय सैलरी के कोई मायने नहीं रह जाते। यानी अगर किसी अधिकारी ने 1985 से 2000 तक 15 साल सशस्त्र बलों में सेवा दी और एक अन्य अफसर 1995 से 2010 तक सेवा में रहे, तो दोनों को समान पेंशन मिलेगी।

हालिया OROP की मुख्य विशेषताएं :

  • पूर्व पेंशनभोगियों का पेंशन कैलेंडर वर्ष 2013 के सेवानिवृत्त लोगों की पेंशन के आधार पर फिर से तय किया गया जिसे 01.07.2014 से लागू किया गया।
  • 2013 में एक ही रैंक में सेवानिवृत्त कर्मियों के न्यूनतम और अधिकतम पेंशन के औसत एवं समान सेवा अवधि के साथ सभी पेंशनभोगियों के लिए पेंशन फिर से तय की जाएगी।
  • औसत से अधिक पेंशन पाने वालो की पेंशन को कम नहीं किया जायेगा।
  • बकाया राशि का भुगतान चार समान छमाही किस्तों में किया जाएगा।
  • पेंशन का निर्धारण हर 5 वर्ष में किया जाएगा।

सुधार से लाभ 

  • 30.06.2014 तक सेवानिवृत्त रक्षा बल पेंशनभोगी और उसके पूर्व में पारिवारिक पेंशनभोगी OROP से लाभान्वित हुए हैं।
  • OROP लागू होने के कारण 20,60,220 रक्षा बलों के पेंशनरों/पारिवारिक पेंशनरों को बकाया के रूप में  10,7954 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है।
  • OROP के कारण वार्षिक व्यय लगभग ₹ 7,123 करोड़ है। करीब छह वर्षों के लिए 01.07.2014 से शुरू होकर कुल व्यय  42,740 करोड़ से रू. अधिक है।
  • OROP लाभार्थियों को 7 वें वेतन आयोग के आधार पर 2.57 के गुणन की पेंशन निर्धारण का लाभ मिला है।

स्त्रोत-TH / IE 

वैगनर समूह

चर्चा में क्यों?

  • हालिया द हिल रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकन डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों के समूह के द्वारा होल्डिंग एकाउंटेबल रशियन मर्चेनरीज (HARM) अधिनियम को पारित करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा वैगनर समूह को एक विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) के रूप में नामित किया जायेगा।

वैगनर ग्रुप 

  • यह रूस की एक निजी सैन्य कंपनी है।यह अनिवार्य रूप से ठेकेदारों का एक नेटवर्क है जो भाड़े के लिए सैनिकों की आपूर्ति करता है। इसके धन का स्रोत अज्ञात है।
  • इसी समूह ने रूस को यूक्रेन में बढ़त दिलाने में सहायता की थी और 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे के दौरान वैगनर समूह पहली बार खबरों में आया था।
  • यह समूह पिछले आठ वर्षों से यूक्रेन, सीरिया और अफ्रीकी देशों में सक्रिय है। इस पर बार-बार युद्ध अपराधों और मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया गया है।
  • अमेरिका के द्वारा अंतरराष्ट्रीय आपराधिक संगठन (FTO) के पदनाम से इसे नवाजा जाने का प्रयास चल रहा है।

FTO पदनाम का अर्थ -

  • एफटीओ गैर-अमेरिकी संगठनों के लिए पदनाम है जिन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल माना जाता है।
  • अमेरिकी आप्रवासन और राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 के अनुसार, राज्य सचिव एक संगठन को एक विदेशी आतंकवादी संगठन के रूप में नामित कर सकते हैं।

पात्रता – 

  • इसके लिए संगठन को विदेशी होना चाहिए।
  • संगठन आतंकवादी गतिविधि या आतंकवाद में संलग्न होना चाहिए।
  • संगठन को संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों की सुरक्षा या संयुक्त राज्य की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति खतरा माना जाना चाहिए।

FTO के लेबल के बाद, "यह संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी व्यक्ति के लिए या संयुक्त राज्य के अधिकार क्षेत्र के अधीन जानबूझकर" भौतिक समर्थन या संसाधन "प्रदान करने हेतु गैरकानूनी है।" 

स्त्रोत-द हिन्दू 

विदेशों में पुरावशेष

चर्चा में क्यों?

  • एक अध्ययन के अनुसार विदेशों से भेजे गए पुरातत्व के चोर आज भारतीय जेलों में बंद हैं। स्वतंत्रता पूर्व, पुरावशेष (निर्यात नियंत्रण) अधिनियम , 1947 में यह सुनिश्चित करने के लिए पारित किया गया था कि "बिना लाइसेंस के किसी भी पुरावशेष का निर्यात नहीं किया जा सकता है।"

एक पुरातनता क्या है?

  • 1 अप्रैल, 1976 को लागू पुरावशेष और कला निधि अधिनियम, 1972 द्वारा "पुरातनता" को "किसी भी सिक्के, मूर्तिकला, पेंटिंग, पुरालेख या कला या शिल्प कौशल के अन्य कार्य" के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • किसी इमारत या गुफा से अलग कोई वस्तु , अतीत में विज्ञान, कला, शिल्प, साहित्य, धर्म, रीति-रिवाज, नैतिकता या राजनीति का उदाहरण देने वाला कोई भी लेख, या ऐतिहासिक रुचि की वस्तु या लेख, जो "कम से कम एक सौ वर्षों से अस्तित्व में है," पुरातत्व कहलाता है।
  • "पांडुलिपि, रिकॉर्ड या अन्य दस्तावेज , जो वैज्ञानिक, ऐतिहासिक, साहित्यिक मूल्य का है, की अवधि "75 वर्ष से कम नहीं" होनी चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय संधियां

  • सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात और स्वामित्व के हस्तांतरण को रोकने तथा रोकने के साधनों पर यूनेस्को 1970 कन्वेंशन ने "सांस्कृतिक संपत्ति" को "पुरातत्व, प्रागैतिहासिक, इतिहास, साहित्य, कला या विज्ञान के लिए महत्व" रखने वाले देशों द्वारा निर्दिष्ट संपत्ति के रूप में परिभाषित किया है। ”

भारतीय कानून क्या कहते हैं?

  • भारत में संघ सूची की संख्या-67, राज्य सूची की संख्या -12 तथा समवर्ती सूची की संख्या- 40 देश की विरासत से संबंधित है।इसके अतरिक्त, पुरावशेष (निर्यात नियंत्रण) अधिनियम अप्रैल, 1947 में यह सुनिश्चित करने के लिए पारित किया गया था कि "बिना लाइसेंस के किसी भी पुरावशेष का निर्यात नहीं किया जा सकता है।"
  • 1958 में, प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम बनाया गया। इसने, यूनेस्को सम्मेलन के साथ, सरकार को 1 अप्रैल, 1976 से लागू पुरावशेष और कला निधि अधिनियम, 1972 (AATA) को अधिनियमित करने के लिए प्रेरित किया।
  • पुरावशेष और कला निधि अधिनियम, 1972- केंद्र सरकार या इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी भी प्राधिकरण या एजेंसी के अलावा किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी प्राचीन वस्तु या कला खजाने का निर्यात करना अवैध होगा।
  • लाइसेंस के नियमों और शर्तों के अनुसार, अगर कोई भी व्यक्ति, स्वयं या किसी अन्य द्वारा अपनी ओर से, किसी भी पुरावशेष को बेचने या बेचने की पेशकश करने का व्यवसाय करता है तो वेह दंडनीय होगा। यह लाइसेंस भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा प्रदान किया जाता है।

नकली पुरावशेषों की जांच कैसे करें?

  • AATA की धारा 14(3) के तहत, "प्रत्येक व्यक्ति, जो किसी पुरावशेष का स्वामी है, पंजीकरण अधिकारी के समक्ष ऐसी पुरातनता को पंजीकृत करेगा और इस तरह के पंजीकरण के टोकन में एक प्रमाण पत्र प्राप्त करेगा।"
  • मार्च, 2007 में शुरू किए गए स्मारकों और पुरावशेषों पर राष्ट्रीय मिशन ने अवैध गतिविधियों की "प्रभावी जांच" में मदद करने के लिए 16.70 लाख पुरावशेषों में से 3.52 लाख पुरावशेषों को पंजीकृत किया है।

खुदरा मुद्रास्फीति

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में खुदरा मुद्रास्फीति में 6.44% तक गिरावट आई है, परंतु यह अभी भी RBI के निर्धारित स्तर से ऊपर है।

प्रमुख बिंदु 

  • खुदरा मुद्रास्फीति में 6.52% से 6.44% की कमी देखने को मिली है , कुल खाद्य मुद्रास्फीति 6% के संशोधित स्तर से घटकर 5.95 % हो गई।

खुदरा मुद्रास्फीति क्या है?

  • जब कभी एक लंबे काल तक अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं की सामान्य कीमतों में तेजी से वृद्धि होने लगती है तो इस स्थिति को मुद्रास्फीति कहते हैं। इसमें मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है तथावस्तुओं और सेवाओं का मूल्य मुद्रा के रूप में बढ़ जाता है।
  • थोक मूल्य सूचकांक (WPI), उत्पादक स्तर पर मुद्रास्फीति को ट्रैक करता है। घरेलू बाजार में थोक बिक्री के पहले बिंदु पर सभी लेन-देन शामिल हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) ,खुदरा मुद्रास्फीति को ट्रैक करता है। CPI, खुदरा खरीददार के नजरिए से कीमतों में बदलाव को मापता है।

कोर मुद्रास्फीति – 

  • कोर इन्फ्लेशन (Core Inflation) यानी मूलभूत मुद्रास्फीति (महंगाई दर) वस्तुओं एवं सेवाओं की लागतों में परिवर्तन है, लेकिन इनमें खाद्य और ऊर्जा क्षेत्र शामिल नहीं किए जाते। महंगाई दर की इस माप में इन मदों को बाहर रखा जाता है क्योंकि उनकी कीमतें बहुत अधिक अस्थिर होती हैं।
  • संयुक्त मूल्य सूचकांक) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जनवरी में तीन महीने के उच्च स्तर 6.52% पर पहुंच गई थी। फरवरी, 2022 में यह 6.07% थी, फिर मार्च, 2022 में बढ़कर 6.95 % और अप्रैल, 2022 में 7.79 % हो गयी।
  • फरवरी में मांस और मछली की मुद्रास्फीति की दर एक महीने पहले के 6.04% से कम होकर 3.39% हो गई, जबकि अंडे के लिए यह 8.78% से घटकर 4.32% हो गई।
  • कोर मुद्रास्फीति और गर्मियों की शुरुआत खराब होने वाले उत्पादों की कीमतों को बढ़ा सकती है। साथ ही दूध और तैयार भोजन की ऊंची कीमतें चिंता का कारण हैं।

स्त्रोत-IE