June 23, 2023

क्यूमिन (जीरा) , राजकीय रात्रिभोज, पशुधन उत्पाद विधेयक, भारत-अमेरिका जेट इंजन सौदा

                      

क्यूमिन (जीरा) कीमतों में वृद्धि

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में गुजरात के उंझा की APMC मंडी में क्यूमिन (जीरा) की कीमतों में  54,125 रुपये प्रति क्विंटल का उछाल देखने को मिला।
  • जीरा की बढ़ती कीमतों का मुख्य कारण मार्च की दूसरी छमाही के दौरान बेमौसम बारिश को बताया गया है।

 

APMC के बारे में 

  • कृषि उत्पादन बाजार समिति (Agriculture Produce Market Committee) कृषि जिंस बाजारों की नियामक है। इसका गठन कृषि बाजारों के प्रबंधन के लिए APMC अधिनियमों के अनुसार किया गया है।
  • इनका गठन राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
  • ये किसानों के लिए कुछ नियमों के तहत उचित मूल्य पर अपनी उपज बेचने के लिए विशेष बाजार हैं।
  • ये बाजार सभी उत्पादित खाद्य पदार्थों को बाजार में लाने का प्रयास करते हैं, ताकि उनकी बिक्री को निष्पक्ष रूप दिया जा सके।
  • सरकार विभिन्न कानूनों के द्वारा यह सुनिश्चित करती है कि किसान की फसल को APMC द्वारा निर्धारित दर के नीचे न बेचा जा सके।
  • APMC के लिए बाज़ार स्थान एक विशेष राज्य के विभिन्न स्थानों में स्थापित किए गए हैं, इसलिए ये बाज़ार भौगोलिक रूप से भी राज्य को विभाजित करते हैं।
  • यहाँ इन मंडियों में लाइसेंस प्राप्त व्यापारी किसानों से उत्पादन लेते हैं क्योंकि रिटेल मालिकों, थोक व्यापारियों या मॉल मालिकों को APMC के इन बाजारों में सीधे किसानों से उपज खरीदने की मनाही होती है।

 

जीरा के बारे में 

  • जीरा (वानस्पतिक नाम:क्यूमिनम सायमिनम) ऍपियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है।
  • यह पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक के क्षेत्र की देशज प्रजाति है। इसके प्रत्येक फल में स्थित एक बीज वाले बीजों को सुखाकर बहुत से खाद्य व्यंजनों में साबुत या पिसे हुए मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • यह एक सुगंधित बीज है, जो भारतीय व्यंजनों में अतिरिक्त स्वाद को बढ़ाता है।
  • जीरा एक बेहतरीन एंटी-ऑक्सिडेंट है और साथ ही यह सूजन को भरने एवं मांसपेशियों को आराम पहुँचाने में कारगर है।
  • इसमें फाइबर पाया जाता है और यह आयरन, कॉपर, कैल्शियम, पोटैशियम, मैगनीज, जिंक व मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स का अच्छा स्रोत है।
  • इसमें विटामिन E, A, C और B -कॉम्प्लैक्स जैसे विटामिन भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
  • जीरा एक आवश्यक भोजन नहीं है, बल्कि एक प्रीमियम बीज मसाला है जो करी से लेकर चावल और शीतल पेय तक हर चीज में सुगंध प्रदान करता है। इसका उपयोग पाउडर के रूप में भी किया जाता है, चाहे वह एकल वस्तु के रूप में हो या खाद्य व्यंजनों पर छिड़के गए पिसे हुए गरम मसाला मिश्रण में घटक के रूप में।

 

जीरा का आयात-निर्यात 

  • भारत का जीरा उत्पादन घरेलू बाजार के साथ-साथ निर्यात की फसल भी है। 2022-23 (अप्रैल-मार्च) के दौरान, जीरे का निर्यात 1.87 लाख टन (मूल्य 4,193.60 करोड़ रुपये) हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 2.17 लाख टन (3,343.67 करोड़ रुपये) था।
  • भारत के शीर्ष निर्यात स्थलों में चीन, बांग्लादेश, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, पाकिस्तान, सऊदी अरब और तुर्की शामिल हैं।
  • चीन व्यापक मात्रा में भारतीय जीरे का आयात कर रहा है। चीन ने भारत से 25,000-30,000 टन जीरा आयात किया है क्योंकि चीन में यह फसल, माँग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
  • चीन में बढ़ी माँग का कारण लंबे समय से कोविड-19 प्रतिबंधों के बाद होटल और रेस्तरां का फिर से खुलना है।
  • इसके अलावा बकरीद त्यौहार के कारण बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी जीरे की माँग बढ़ सकती है।

 

जीरा के प्रमुख उत्पादक कौन हैं?

  • विश्व में कुल जीरा मसाले का लगभग 70% उत्पादन भारत में होता है।
  • सीरिया, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात और ईरान जैसे अन्य देश शेष 30% उत्पादक देश हैं।
  • भारत के विपरीत उत्पादक देश, गृहयुद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के कारण उत्पादन में व्यवधान का सामना कर रहे हैं। भारत में जीरा लगभग 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में उगाया जाता है। 2021-22 में कुल 7.25 लाख टन उत्पादन में से, दो राज्यों - गुजरात (4.20 लाख टन) और राजस्थान (3.03 लाख टन) की संयुक्त हिस्सेदारी 99.7% थी।

 

अधिकांश देशों में उत्पादन क्यों नहीं? 

  • जीरा मौसम के प्रति बेहद संवेदनशील फसल है।
  • इसके लिए मामूली ठंडी और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है, जिसमें कोई भी नमी न हो, जो फसल के फूलने और बीज के विकास के चरणों के दौरान फफूंद के संक्रमण के लिए अनुकूल है।
  • यह स्वाभाविक रूप से सौराष्ट्र, कच्छ और गुजरात के उत्तरी भागों एवं पश्चिमी राजस्थान के निकटवर्ती जिलों; जैसे- जालौर, बाड़मेर, जोधपुर, जैसलमेर, पाली और नागौर तक खेती के क्षेत्र को सीमित करता है।
  • उंझा, देश के जीरा खेती बेल्ट के केंद्र में होने के रणनीतिक लाभ का आनंद ले रहा है और यह  फसल के लिए मूल्य-निर्धारण बाजार बन गया है।

 

किसानों को लाभ 

  • इस वर्ष की अनुमानित 80% जीरा फसल का विपणन किया जा चुका है।
  • केवल शेष 20% फसल है जिसकी कीमतें 50,000 रुपये से अधिक प्रति क्विंटल होंगी।
  • हाल ही में अपनी फसल बेचने वाले अधिकांश किसान राजस्थान से हैं जो अधिक लाभ के लिए अपनी उपज को रोककर रखने की क्षमता रखते हैं।

राजकीय रात्रिभोज

चर्चा में क्यों ?

  • भारतीय प्रधानमंत्री, अमेरिका की तीन दिवसीय यात्रा पर न्यूयॉर्क पहुंचे। प्रधानमंत्री मोदी पहली बार व्हाइट हाउस में उनके सम्मान में आयोजित एक राजकीय रात्रिभोज में शामिल होंगे।

राजकीय रात्रिभोज क्या है ?

  • राजकीय रात्रिभोज व्हाइट हाउस, अमेरिकी राष्ट्रपति के निवास पर आयोजित किया जाता है और मेजबान के घर पर भोजन साझा करने वाले गणमान्य व्यक्ति का प्रतीकात्मक मूल्य होता है।
  • अमेरिका में राजकीय रात्रिभोज किसी अतिथि गणमान्य व्यक्ति को दिया जाने वाला एक उच्च सम्मान है। यह अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ आने वाले अन्य लंच और डिनर से अलग होता है
  • राजकीय रात्रिभोज ऐसी यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राजकीय यात्रा को चिह्नित करने वाले अन्य प्रमुख कार्यक्रमों में 21 तोपों की सलामी वाला व्हाइट हाउस आगमन समारोह और ब्लेयर हाउस (पेंसिल्वेनिया एवेन्यू में अमेरिकी राष्ट्रपति का गेस्टहाउस) में रहने का निमंत्रण शामिल है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी और प्रथम महिला जैकलीन कैनेडी ने 7 नवंबर, 1961 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनकी बेटी इंदिरा गांधी के सम्मान में व्हाइट हाउस में एक राजकीय रात्रिभोज की मेजबानी की थी।
  • व्हाइट हाउस हिस्टोरिकल एसोसिएशन (WHHA) के अनुसार, “सरकार के दौरे पर आए प्रमुख या शासक के सम्मान में एक राजकीय रात्रिभोज व्हाइट हाउस के सबसे भव्य और सबसे आकर्षक आयोजनों में से एक है। यह एक आधिकारिक राजकीय यात्रा का हिस्सा है और राष्ट्रपति तथा प्रथम महिला को राज्य के प्रमुख एवं उनके पति या पत्नी को सम्मानित करने का अवसर प्रदान करता है।
  • यह एक शिष्टाचार है, सद्भावना की अभिव्यक्ति है और आतिथ्य सत्कार करने का एक तरीका है। यह मित्रता को गहन करने के लिए मित्रों के साथ रोटी तोड़ने की परंपरा को याद दिलाता है।

 

राजकीय यात्राएँ क्या हैं?

  • राजकीय यात्राएँ, अमेरिका की विदेश यात्राओं की सर्वोच्च श्रेणी है, जहाँ किसी राज्य का प्रमुख अमेरिकी राष्ट्रपति के औपचारिक निमंत्रण पर अमेरिका का दौरा करता है।
  • भारतीय प्रधानमंत्री से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन के साथ  केवल दो राजकीय दौरे फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल द्वारा किए गए हैं।
  • राजकीय यात्रा के लिए निमंत्रण के माध्यम से अमेरिका, अतिथि राष्ट्र को एक महत्वपूर्ण मित्र और सहयोगी के रूप में दर्शाता है।

 

 

राजकीय यात्राओं की पृष्ठभूमि 

  • 1800 के दशक से राजकीय यात्रा का इतिहास शुरु होता है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों, कांग्रेस और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मेजबानी करते थे।
  • इन वर्षों में, राजकीय रात्रिभोज में व्हाइट हाउस द्वारा एक विदेशी गणमान्य व्यक्ति की मेजबानी करने की जानकारी मिलती है।
  • WHHA वेबसाइट के अनुसार, व्हाइट हाउस में राजकीय रात्रिभोज में भाग लेने वाले पहले विदेशी प्रमुख हवाई के राजा कलाकौआ थे, जिनकी मेजबानी 22 दिसंबर, 1874 को राष्ट्रपति उलिसिस ग्रांट और प्रथम महिला जूलिया ग्रांट ने की थी।

 

राजकीय रात्रिभोज की योजना कैसे बनाई जाती है?

  • WHHA वेबसाइट के अनुसार, इन औपचारिक रात्रिभोज में निमंत्रण और अतिथि सूची, मैन्यु, फूल, टेबल सेटिंग्स, बैठने की व्यवस्था और शाम के लिए मनोरंजन का निर्माण शामिल है।
  • प्रथम महिला और उनके कर्मचारी राजकीय रात्रिभोज के समारोह के पीछे विस्तृत योजना एवं उसके क्रियान्वयन के लिए उत्तरदायी होते हैं।

पशुधन और पशुधन उत्पाद विधेयक

चर्चा में क्यों ?

  • केंद्र ने पशुधन और पशुधन उत्पाद (आयात और निर्यात) विधेयक, 2023 के प्रस्तावित मसौदे को वापस ले लिया है।

 

नवीन विधेयक क्या है ?

  • नवीन विधेयक पशुधन आयात अधिनियम, 1898 और पशुधन (संशोधन) अधिनियम, 2001 को प्रतिस्थापित करने के लिए लाया गया है। यह जीवित पशुओं के आयात और निर्यात के लिए दिशानिर्देश तैयार करता है, जिसने पशु प्रेमियों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
  • मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पशुपालन और डेयरी विभाग (DAHD) ने पशुधन और पशुधन उत्पाद (आयात और निर्यात) विधेयक-2023 का मसौदा तैयार किया और इसे जारी किया।
  • बिल में कुल 10 सेक्शन हैं जिसे विभाग के द्वारा जनता की राय जानने के लिए 10 दिन के लिए सार्वजनिक किया गया।

 

यह तीन प्रमुख पहलुओं के कारण मौजूदा कानून से अलग है – 

  • यह जीवित जानवरों के निर्यात की अनुमति देता है।
  • यह पशु आयात-निर्यात ('पशुधन' के बीच बिल्लियों और कुत्तों सहित) के दायरे को बढ़ाता है।
  • राज्य सरकारों की विनियमन करने की शक्तियों को छीन लेता है।

 

प्रस्तावित मसौदे में नया क्या है?

  • पशुधन आयात अधिनियम,1898, जो वर्तमान में लागू है, में केवल 5 धाराएं हैं जिनमें शामिल हैं -
  • धारा 1 (संक्षिप्त शीर्षक और स्थानीय सीमा);
  • धारा 2 (परिभाषाएँ); धारा 3 (पशुधन के आयात को विनियमित करने की शक्ति),
  • धारा 3A (पशुधन उत्पादों के आयात को विनियमित करने की शक्ति);
  • धारा 4 (नियम बनाने की राज्य सरकार की शक्ति); और
  • धारा 5 (अधिनियम के तहत कार्य करने वाले व्यक्तियों को संरक्षण)।
  • पूर्व कानून केवल पशुधन के आयात को नियंत्रित करता है, जबकि प्रस्तावित मसौदा विधेयक में पशुधन निर्यात को भी विनियमित करने के प्रावधान शामिल हैं।
  • प्रस्तावित विधेयक की धारा 4 सरकार को पशुधन और पशुधन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने और विकास के लिए व्यवस्था करने की शक्ति प्रदान करती है।
  • पशुधन और पशुधन उत्पाद (आयात और निर्यात) विधेयक, 2023 के प्रस्तावित मसौदे में बिल्ली और कुत्ते को भी शामिल करने के लिए पशुधन की परिभाषा का विस्तार किया गया है। मौजूदा कानून (पशुधन आयात अधिनियम, 1898) के अनुसार, "पशुधन" में घोड़े, गाय, ऊंट, भेड़ और कोई भी अन्य जानवर शामिल हैं जिसे केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक अधिसूचना में निर्दिष्ट किया जा सकता है।”
  • हालांकि, प्रस्तावित मसौदा बिल पशुधन को परिभाषित करता है सभी घोड़े (गधे, घोड़े, खच्चर, , हिन्नी सहित उद्देश्य के बावजूद सभी जीवित घोड़े), गोजातीय (मवेशी, भैंस, बैल या किसी भी जानवर सहित सभी गोजातीय जानवर, बोविडे की श्रेणी), कैप्राइन, ओवाइन, स्वाइन, केनाइन, बिल्लियाँ, एवियन, प्रयोगशाला जानवर, जलीय जानवर और कोई भी अन्य जानवर, जो केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है।
  • मसौदा विधेयक में पशुधन और पशुधन उत्पादों को वस्तु के रूप में परिभाषित किया गया है। प्रस्तावित मसौदे की धारा 2(A)के अनुसार, ''कमोडिटी'' का अर्थ है पशुधन, पशुधन मूल के उत्पाद, पशुधन आनुवंशिक सामग्री, जैविक उत्पाद और पशुधन मूल की पैथोलॉजिकल सामग्री।

 

नवीन कानून की आवश्यकता क्यों ?

  • पशुधन के आयात को विनियमित करने वाला वर्तमान कानून 125 वर्ष पुराना है।
  • "पशुधन आयात अधिनियम, 1898, स्वतंत्रता-पूर्व का केंद्रीय अधिनियम होने के नाते, इसे समकालीन आवश्यकताओं तथा सैनिटरी और फाइटो-सैनिटरी उपायों से संबंधित मौजूदा परिस्थितियों एवं इसके मौजूदा आवंटन के साथ संरेखित करने की आवश्यकता महसूस की गई है।
  • 2001 में 1898 के कानून में संशोधन किया गया था। सबसे पहले एक अध्यादेश - पशुधन आयात (संशोधन) अध्यादेश, 2001 जारी किया। गया, परंतु बाद में, अध्यादेश को पशुधन आयात (संशोधन) विधेयक, 2001 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
  • 2001 के कानून में वाजपेयी सरकार द्वारा पेश किए गए प्रमुख परिवर्तनों में से एक पशुधन उत्पादों के आयात को शामिल करना था।
  • सर्वप्रथम कानून केवल पशुधन के आयात से संबंधित था।
  • अध्यादेश के अनुसार, "पशुधन उत्पादों" में ताजा, ठंडा और जमे हुए मांस ऊतक सहित सभी प्रकार के मांस और मांस उत्पाद शामिल थे; कुक्कुट, सुअर, भेड़, बकरी के अंग; अंडा और अंडा पाउडर; दूध और दूध उत्पाद; गोजातीय, डिंब (भेड़ परिवार) और कैप्रिन (बकरी परिवार) भ्रूण, अंडाणु और वीर्य; पशु मूल के पालतू भोजन उत्पाद और कोई अन्य पशु उत्पाद ,जो केंद्र सरकार द्वारा आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा निर्दिष्ट किया जा सकता है।
  • 2001 के संशोधन ने केंद्र को किसी भी पशुधन उत्पाद के व्यापार को "विनियमित एवं प्रतिबंधित" करने का अधिकार दिया, जो मानव या पशु स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है।

 

मसौदा विधेयक की आलोचना

  • संयुक्त राष्ट्र अधिसूचना- 2021 के अनुसार, दुनिया में भोजन के लिए पाले गए 80 अरब जानवरों में से लगभग 2 अरब को विभिन्न देशों में जीवित निर्यात किया जाता है, वहीं पशु अधिकार संगठनों के अनुसार मसौदा विधेयक जानवरों पर क्रूरता का भी मार्ग खोल देगा।
  • “प्रस्तावित पशुधन और पशुधन उत्पाद [आयात और निर्यात] विधेयक, जो भारत से जानवरों के जीवित निर्यात की अनुमति देता है, भोजन और अन्य उपयोगों के लिए पाले गए लाखों जानवरों के दुरुपयोग के लिए छूट प्रदान करता है।
  • इसके अलावा, पशु कल्याण और संबंधित पहलुओं के साथ संवेदनशीलता एवं भावनाओं को शामिल करते हुए व्यापक परामर्श की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

भारत-अमेरिका जेट इंजन सौदा

चर्चा में क्यों ?

  • भारतीय प्रधानमंत्री की संयुक्त राज्य अमेरिका में चल रही आधिकारिक यात्रा के दौरान कम से कम 11 महत्वपूर्ण जेट इंजन प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सुविधा के लिए एक ऐतिहासिक समझौते की घोषणा की संभावना की जा रही है।

 

जेट इंजन(GE) एक बड़ी डील क्यों है?

  • GE का F414 सैन्य विमान इंजन बोइंग सुपर हॉर्नेट और सब ग्रिपेन जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करता है।
  • प्रत्याशित समझौता भारत की उन्नत लड़ाकू जेट इंजन प्रौद्योगिकी की लंबे समय से चली आ रही खोज को सफलतापूर्वक पूरा करेगा और भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग में एक मील का पत्थर साबित होगा।
  • कुछ समय पूर्व क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) यूएस-इंडिया इनिशिएटिव का संचालन किया गया था।
  • एक अनुमान के अनुसार, स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस MK2 हेतु  GE के F414 इंजन के भारत में लाइसेंस के तहत निर्माण के लिए अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निगम जनरल इलेक्ट्रिक (GE) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच एक सौदे की घोषणा की जाएगी।
  • LCA तेजस MK2 के लिए भारत में निर्माण का समझौता भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर और 'प्रौद्योगिकी इनकार शासन' के अंत का प्रतीक है।

 

महत्त्व 

  • यह सौदा स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस MK2 के लिए GE के F414 इंजन के भारत में लाइसेंस के तहत निर्माण की अनुमति देगा।
  • केवल कुछ देश; जैसे- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस को लड़ाकू विमानों को शक्ति प्रदान करने वाले इंजन के निर्माण के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी एवं धातु विज्ञान में महारत हासिल है।
  • क्रायोजेनिक रॉकेट इंजन सहित कई महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के निर्माण में आत्मनिर्भरता के लिए इसके प्रयास के बावजूद भारत इस सूची में नहीं है।
  • जिन देशों के पास लड़ाकू विमानों के लिए उन्नत इंजन बनाने की तकनीक है, वे पारंपरिक रूप से उन्हें साझा करने के लिए तैयार नहीं हैं। यही कारण है भारत में GE के F414s के निर्माण का सौदा अभूतपूर्व है।
  • यह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 2008 में अमेरिका नेतृत्व में पश्चिम द्वारा भारत पर थोपी गई "प्रौद्योगिकी इनकार व्यवस्था" के रूप में वर्णित किया गया था।

 

GE-414 सैन्य विमान का इंजन क्या है?

  • GE एयरोस्पेस वेबसाइट के अनुसार, टर्बोफैन इंजन, GE के सैन्य विमान इंजनों के सूट का हिस्सा, 30 से अधिक वर्षों से अमेरिकी नौसेना द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
  • 1,600 से अधिक F414 इंजन वितरित किए गए हैं, जिससे विभिन्न प्रकार के मिशनों पर 5 मिलियन से अधिक इंजन उड़ान घंटे जुड़ गए हैं।
  • GE के अनुसार, इंजन 22,000 पाउंड या 98 केएन के थ्रस्ट क्लास में है और इसमें फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल (FADEC) जैसी उन्नत तकनीक है। यह नवीनतम विमान इग्निशन और इंजन नियंत्रण प्रणाली है, जो इंजन के प्रदर्शन को डिजिटल रूप से नियंत्रित करती है।

 

दुनिया भर में ऐसे कौन से वॉरजेट हैं जो इन इंजनों से चलते हैं?

  • GE के अनुसार, 8 देशों के पास F414-संचालित विमान परिचालन में हैं या ऑर्डर पर हैं।
  • F414-GE-400 इंजन अमेरिकी नौसेना के बोइंग F/A-18E/F सुपर हॉर्नेट और EA18G ग्रोलर इलेक्ट्रॉनिक हमले वाले विमान को शक्ति प्रदान करते हैं। साब के ग्रिपेन ई/एफ लड़ाकू विमान F414G का उपयोग करते हैं, जो F414-GE-400 का एकल-इंजन संस्करण है।

 

GE की एयरोस्पेस शाखा और भारत का इतिहास

  • इंजन का भारत-विशिष्ट संस्करण, F414-INS6, LCA तेजस Mk2 के लिए रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) की वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) द्वारा चुना गया था।
  • LCA तेजस एकल GE-404-IN20 इंजन द्वारा संचालित है।
  • GE-404 इंजन, जिसका मूल डिज़ाइन F414 में दोहराया गया है, 1970 के दशक में विकसित किया गया था।

 

HAL तेजस मार्क – 2

  • F414 इंजन प्रोटोटाइप और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के शुरुआती बैच को भी शक्ति प्रदान कर सकते हैं, जो भारत की वायु सेना के लिए भविष्य की पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है।
  • GE वेबसाइट इंजन के संभावित प्राप्तकर्त्ता के रूप में AMCA का उल्लेख करती है।
  • सफरान और एचएएल ने स्वदेशी एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड के लिए शक्ति इंजन का सह-विकास किया है।

 

भारत ने अपना लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए किस प्रकार के प्रयास किए हैं?

  • DRDO के गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टेब्लिशमेंट (GTRE) ने सबसे पहले LCA के लिए GTX-37 इंजन विकसित करने पर काम किया।
  • इसके बाद, 1989 के अंत में महत्वाकांक्षी कावेरी इंजन परियोजना को मंजूरी दी गई।
  • नौ पूर्ण प्रोटोटाइप इंजन और चार कोर इंजन विकसित किए गए हैं, 3,217 घंटे का इंजन परीक्षण किया गया है, तथा एल्टीट्यूड टेस्ट और फ्लाइंग टेस्ट बेड (एफटीबी) परीक्षण पूरे हो चुके हैं, लेकिन इंजन लड़ाकू विमानों के लिए उपयुक्त नहीं पाए गए हैं। इंजन के वेट थ्रस्ट में बड़ी कमी थी, जो लक्षित 81 केएन के मुकाबले केवल 70.4 केएन उत्पन्न करता था।
  • 2011 में, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने भारी लागत वृद्धि के बावजूद LCA के लिए इंजन का उत्पादन करने में असमर्थता के लिए GTRE की खिंचाई की।
  • जबकि एलसीए तेजस को GE-404 इंजन के साथ एकीकृत किया गया था, सरकार ने 2021 में संसद को बताया कि कावेरी इंजन परियोजना के माध्यम से निर्मित तकनीकी क्षमताओं का उपयोग ड्रोन में डेरिवेटिव के रूप में किया जाएगा।
  • GE और HAL के बीच समझौता – इसके लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी की आवश्यकता होगी, जो अंततः उन्नत लड़ाकू जेट इंजन प्रौद्योगिकी के लिए भारत की लंबे समय से चली आ रही खोज को समाप्त कर देगा