Nov. 8, 2022

हिम तेंदुआ, चीनी रॉकेट, सीमा दर्शन, RISAT-2 उपग्रह, EWS कोटा

हिम तेंदुआ जनसंख्या आकलन

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में बालटाल-जोजिला क्षेत्र से हिम तेंदुए की पहली रिकॉर्डिंग ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की  ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मायावी शिकारियो का खतरा बढ़ा दिया है | 

हिम तेंदुआ सर्वेक्षण अक्सर लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पड़ोसी क्षेत्रों में केंद्रित होता  हैं | सर्वप्रथम इस  सर्वेक्षण का विस्तार कश्मीर के बालटाल-जोजिला क्षेत्र तक किया गया| 

हिम तेंदुआ के बारे में –

वैज्ञानिक नाम: पैंथेरा अनकिया (Panthera Uncia)

इसे  ‘पहाड़ों का भूत’ (Ghost of the Mountains) भी कहा जाता है, क्योंकि इनके संकोची स्वभाव और खाल के रंग के कारण इन्हें बर्फीले वातावरण में देख पाना बहुत मुश्किल होता है |

हिम तेंदुए की निवास सीमा एशिया के 12 देशों के पहाड़ी क्षेत्रों में फैली हुई है: अफगानिस्तान, भूटान, चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिज़ गणराज्य, मंगोलिया, नेपाल, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान | जिसमें 60% निवास स्थान केव ल  चीन में पाया जाता है |

12 देशों द्वारा बिश्केक घोषणा  को अपनाते हुए  23 अक्टूबर को  ‘अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस’ के रूप में घोषित किया गया | 

भारत में हिम तेंदुआ पांच राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश  के उच्च हिमालयी और ट्रांस-हिमालयी परिदृश्य में  पाया जाता है | इनके  आवास चरो में बंजर क्षेत्र, घास के मैदान, ढलान शेत्र शामिल होते है |

 यह  IUCN की विश्व संरक्षण प्रजातियों की रेड लिस्ट में सुभेद्य के रूप में सूचीबद्ध है|

यह लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES) के परिशिष्ट-I में भी सूचीबद्ध है|

यह भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-I में सूचीबद्ध है|

हिम तेंदुआ सर्वेक्षण क्या है ?

वन्यजीव संरक्षण विभाग पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित,  स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट ऑफ इंडिया (SPAI)परियोजना के तहत हिम तेंदुओं की उपस्थिति और बहुतायत को समझने के लिए सहयोगी गैर सरकारी संगठनों के सहयोग से  सर्वेक्षण करने पर बल दे रहा  है|

SPAI के तहत, हिम तेंदुए की आबादी का अनुमान लगाने के लिए दो चरणों वाली प्रक्रिया को अपनाया जाता है| 

पहली , इसमें  प्रारंभिक सर्वेक्षण करने और साक्षात्कार या साइन-आधारित विधियों का उपयोग करने के आधार पर अध्ययन क्षेत्र की पहचान की जाएगी | 

दूसरी ,पहले से दृष्टिगत क्षेत्रों की गहन समीक्षा कर क्षेत्रीय घनत्व का  अनुमान लगाया जाता है|

भारत में  किये गये संरक्षण के प्रयास:

भारत वर्ष 2013 से वैश्विक हिम तेंदुआ एवं पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण (GSLEP) कार्यक्रम का हिस्सा है |

हिमाल संरक्षक: यह अक्तूबर 2020 में हिम तेंदुओं की रक्षा के लिये शुरू किया गया एक सामुदायिक स्वयंसेवक कार्यक्रम है |

वर्ष 2019 में ‘स्नो लेपर्ड पॉपुलेशन असेसमेंट’ पर फर्स्ट नेशनल प्रोटोकॉल भी लॉन्च किया गया, जो इसकी आबादी की निगरानी के लिये बहुत उपयोगी है |

सिक्योर हिमालय: वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) के तहत संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने ऊँचाई पर स्थित जैवविविधता के संरक्षण और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र पर स्थानीय समुदायों की निर्भरता को कम करने के लिये इस परियोजना का वित्तपोषण किया |

हिम तेंदुआ परियोजना: यह परियोजना वर्ष 2009 में हिम तेंदुओं और उनके निवास स्थान के संरक्षण के लिये एक समावेशी एवं सहभागी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने हेतु शुरू की गई थी |

हिम तेंदुआ संरक्षण प्रजनन कार्यक्रम पद्मजा नायडू हिमालयन ज़ूलॉजिकल पार्क, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में शुरू किया गया है|

 प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड’ (Project Snow Leopard- PSL):

हिम तेंदुए और उसके आवास का संरक्षण करता रहा है |

उद्देश्य - हिम तेंदुए की आबादी को दोगुना करने में मदद करना |

डेटा-शेयरिंग पोर्टल, तस्वीरों के माध्यम से व्यक्तिगत तेंदुओं की पहचान के लिए प्रशिक्षण ऐप और थ्रेट मैपिंग टूल सहित ऑनलाइन टूल का उपयोग किया जाएगा |

ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड इकोसिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (GSLEP):

GSLEP दुनिया की पहली संयुक्त पहल है जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय हिम तेंदुए को मूल्यवान उच्च पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के व्यापक संदर्भ में संरक्षित करना है |   

यह  अपने उद्देश्य के इर्द-गिर्द सभी 12 रेंज की देश सरकारों, गैर-सरकारी और अंतर-सरकारी संगठनों, स्थानीय समुदायों और निजी क्षेत्र को एकजुट करता है|

 

चीनी रॉकेट का मलबा

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में यूएस स्पेस कमांड की जानकारी के अनुसार  चीन के लॉन्ग मार्च 5 B रॉकेट के टुकड़े दक्षिण-मध्य प्रशांत महासागर में अनियंत्रित होकर गिरे | 

चीन ने अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के तीसरे और अंतिम मॉड्यूल को ले जाने के लिए शक्तिशाली रॉकेटों में से एक लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट लॉन्च किया  था  |

 तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन { आईएसएस}

तियांगोंग चीन का नया अंतरिक्ष स्टेशन है | यह आकर में  बहुत छोटा अर्थात  आईएसएस पर 16 मॉड्यूल की तुलना में केवल 3  मॉड्यूल के साथ शामिल होंगे |

मई 2021 में, चीन ने अंतरिक्ष स्टेशन के तीन मॉड्यूल की परिक्रमा करने वाले पहले तियान्हे को लॉन्च किया | 2022 के अंत तक देश का लक्ष्य ,स्टेशन का निर्माण पूरा करना है |

रॉकेट पुनः वातावरण में  प्रवेश के दौरान टूट गया और दक्षिण मध्य प्रशांत महासागर में अनियंत्रित होकर गिर पड़ा  

वायुमंडलीय पुन: प्रवेश के विपरीत  वस्तुओं को डिजाइन करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह आंशिक रूप से उन सामग्रियों का उपयोग करके किया जाता है जिनमें कम पिघलने बिंदु तापमान होता है, जैसे एल्यूमीनियम |

स्टेशन का निर्माण इसके पूर्ववर्तियों, तियांगोंग-1 और तियांगोंग-2 से प्राप्त अनुभव पर आधारित है |

पहला मॉड्यूल, तियानहे  2021 को ,प्रयोगशाला केबिन मॉड्यूल ,वेंटियन  2022 को लॉन्च किया गया और मेंगटियन , अक्टूबर 2022 को लॉन्च किया गया | इनका प्रमुख  उद्देश्य अंतरिक्ष में विज्ञान प्रयोग करने के  शोधकर्ताओं की क्षमता में सुधार करना है |

 अंतरिक्ष कचरा –

अंतरिक्ष  मलबा अंतरिक्ष आधारित प्रौद्योगिकियों के निरंतर उपयोग के लिए एक वैश्विक खतरा बन गया है अपनी समय अवधि पूरी कर  चुके और ख़राब अंतरिक्ष सैटलाइट जो संचार, परिवहन, मौसम और जलवायु निगरानी, रिमोट सेंसिंग जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में रुकावट पैदा करते  है |

नेत्र:

अंतरिक्ष मलबे से अपनी अंतरिक्ष संपत्ति की सुरक्षा के लिए, इसरो ने बेंगलुरु में "नेत्र" नामक एक समर्पित अंतरिक्ष स्थिति जागरूकता (एसएसए) नियंत्रण केंद्र स्थापित किया 

नेत्र का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष संपत्तियों की निगरानी, ​​ट्रैक और सुरक्षा करना और सभी एसएसए गतिविधियों के केंद्र के रूप में कार्य करना है |

 

सीमा दर्शन परियोजना

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से पर्यटन के लिए सीमा दर्शन के हिस्से के रूप में नडाबेट और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा करने का आग्रह किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के नडाबेट में भारत-पाकिस्तान सीमा दर्शन स्थल का लोकार्पण किया था |

उद्देश्य-सीमा दर्शन परियोजना  के द्वारा लोगों को सीमाओं पर सीमा सुरक्षा बल के कार्मिकों के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर प्रदान करना है | 

नडाबेट के बारे में -

नडाबेट उत्तरी गुजरात के बनासकांठा जिले में भारत-पाक सीमा पर स्थित है | नडाबेट सीमा दर्शन स्थल पंजाब के वाघा-अटारी बॉर्डर की तर्ज पर बनाया गया है | इसे 'गुजरात का वाघा' भी कहा जाता है |

यहाँ राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों की स्मृति में 'अजय प्रहरी' नामक एक स्मारक बनाया गया है |

पर्यटक नडाबेट मे,  भारतीय सेना और बीएसएफ के विभिन्न हथियारों जैसे सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, टी-55 टैंक, आर्टिलरी गन, टॉरपीडो, विंग ड्रॉप टैंक और मिग-27 विमान भी शामिल होंगे |

यह परियोजना गुजरात सरकार के पर्यटन विभाग और बीएसएफ गुजरात फ्रंटियर की एक संयुक्त पहल है |

 

RISAT-2 उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश

 चर्चा में क्यों ?

इसरो का पहला समर्पित 'जासूस' या टोही  उपग्रह रिसैट -2, पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर इंडोनेशिया के जकार्ता के पास हिंद महासागर में गिरा  |

RISAT उपग्रहों के बारे में

रडार इमेजिंग सैटेलाइट { RISAT} भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा निर्मित भारतीय रडार इमेजिंग टोही उपग्रहों की एक श्रृंखला है |

RISAT श्रृंखला  नाम का पहला उपग्रह 2009 में लॉन्च किया गया था | इसे मुख्य रूप से निगरानी उद्देश्यों के लिए इज़राइल से खरीदा गया था |

2012 में, इसरो ने भारत का पहला स्वदेशी ऑल-वेदर रडार इमेजिंग उपग्रह लॉन्च किया, जिसे RISAT-1 के नाम से जाना जाता है | जिसने सिंथेटिक अपर्चर राडार (SAR) का उपयोग करके हर मौसम में निगरानी प्रदान की |

RISAT-2 के बारे में:

RISAT-2 सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) के साथ भारत का पहला उपग्रह था, जिसमें 24 घंटे, हर मौसम में निगरानी करने में सक्षम था 

300 किलोग्राम का ऑल-वेदर जासूसी उपग्रह  जिसने देश की सीमाओं पर निगरानी रखने में मदद करने के लिए, विशेष रूप से शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों और घुसपैठ विरोधी और आतंकवाद विरोधी अभियानों में मदद करने के लिए रखा गया था | अध्ययनों की  पुष्टि के अधार पर एयरो-थर्मल विखंडन के कारण उत्पन्न टुकड़े पुन: प्रवेश हीटिंग में नष्ट हो जायेगे| जो  भावी नुकसान संभावनाओ को कम कर  देता है |

 

EWS कोटा - सुप्रीम कोर्ट

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 3:2 के  बहुमत से 103वें संवैधानिक संशोधन की वैधता को बरकरार रखा है |

103वें संशोधन के द्वारा  गैर-ओबीसी और गैर-एससी/एसटी आबादी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10 प्रतिशत तक आरक्षण प्रदान करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 15(6) और 16(6) को शामिल किया गया था |

 किस आधार पर कोटा को चुनौती दी गई?

सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक केशवानंद भारती मामले (1973) में बुनियादी ढांचे के सिद्धांत की शुरुआत की  परन्तु 103वें संशोधन ने संविधान के "मूल ढांचे" का उल्लंघन किया है | 

 प्राथमिक तर्क यह  है कि सामाजिक रूप से वंचित समूहों को गारंटीकृत विशेष सुरक्षा बुनियादी ढांचे का हिस्सा है, और 103 वां संशोधन एकमात्र  आर्थिक स्थिति के आधार पर विशेष सुरक्षा का वादा करता  है |

सुप्रीम कोर्ट का फैसला –

न्यायधीशो के अनुसार  केवल आर्थिक मानदंडों पर आधारित आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है, और यह अनुच्छेद 15(4) और 16(4) में शामिल वर्गों का बहिष्कार { ओबीसी और एससी / एसटी - }103 वें संशोधन , बुनियादी ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाता है |

ईडब्ल्यूएस को एक अलग वर्ग के रूप में मानना ​ही उचित वर्गीकरण होगा, और असमानों के साथ समान व्यवहार करना संविधान के तहत समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है |

जस्टिस माहेश्वरी के अनुसार  ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण 50% सीलिंग लिमिट के कारण बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि लाइव लॉ के अनुसार सीलिंग लिमिट अनम्य नहीं है |

अनुच्छेद 15(6):

शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए ईडब्ल्यूएस के लिए 10% तक सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। ऐसे आरक्षण अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होंगे |

अनुच्छेद 16(6):

यह सरकार को ईडब्ल्यूएस के लिए सभी सरकारी पदों के 10% तक आरक्षित करने की अनुमति देता है |

EWS  क्या है ?

2019 की अधिसूचना के तहत, एक व्यक्ति जो एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण की योजना के तहत कवर नहीं किया गया  और जिनके परिवार की सकल वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है , उन्हें आरक्षण के लाभ के लिए ईडब्ल्यूएस के रूप में पहचाना जाना है |

संविधान एवं आरक्षण -

77वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1995: इंद्रा साहनी मामले में निर्णय दिया गया कि केवल प्रारंभिक नियुक्तियों में आरक्षण होगा, पदोन्नति में आरक्षण नहीं होगा |

हालाँकि संविधान के अनुच्छेद 16 (4A) के अनुसार, राज्य को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों की पदोन्नति के मामलों में उस स्थिति में आरक्षण के लिये प्रावधान करने का अधिकार है, यदि राज्य को लगता है कि राज्य के अधीन सेवाओं में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है |

81वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2000: इसने अनुच्छेद 16 (4B) पेश किया जिसके अनुसार किसी विशेष वर्ष में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के रिक्त पदों को अनुवर्ती वर्ष में भरने के लिये पृथक रखा जाएगा और उसे उस वर्ष की नियमित रिक्तियों में शामिल नहीं किया जाएगा | संक्षेप में इसने बैकलॉग रिक्तियों में आरक्षण की 50% सीमा को समाप्त कर दिया है |

85वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2001: यह अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के सरकारी कर्मचारियों हेतु पदोन्नति में आरक्षण के लिये ‘परिणामिक वरिष्ठता’ का प्रावधान करता है, इसे वर्ष 1995 से पूर्व प्रभाव के साथ लागू किया गया था| 

इंद्रा साहनी एवं अन्य बनाम भारत संघ, 1992:  आरक्षण, समता के संतुलन के सिद्धांत के आधार पर कम सीटों पर होना चाहिये, यह किसी भी परिस्थिति में 50% से अधिक नहीं होना चाहिये|”

इस निर्णय में ‘क्रीमी लेयर’ की अवधारणा को भी महत्त्व दिया गया और प्रावधान किया गया कि पिछड़े वर्गों के लिये आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों तक सीमित होना चाहिये और पदोन्नति में आरक्षण नहीं होना चाहिये |

राज्यों द्वारा सीमा का पालन: सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 1992 के निर्णय के बावजूद कई राज्यों जैसे- महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश ने 50% आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करते हुए कानून पारित किये हैं |

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