Feb. 28, 2023

शिवमोग्गा हवाई अड्डा, रायसीना डायलॉग, बौद्ध स्तूप, ऑरंगुटान, सोलर जियोइंजीनियरिंग

शिवमोग्गा हवाई अड्डा

              चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा कर्नाटक में 'कमल के आकार' के समान शिवमोग्गा हवाई अड्डे का उद्घाटन किया।
  • साथ ही जिले में 3,600 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं के उद्घाटन की घोषणाओं के साथ बेलगावी में पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन के उद्घाटन की जानकारी भी दी गयी।

          शिवमोग्गा हवाई अड्डे के बारे में 

  • इसका उदेश्य बेहतर कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना है।
  • नए हवाई अड्डे में कमल के आकार का टर्मिनल है और इसे लगभग 450 करोड़ रू. की लागत से विकसित किया गया है।
  • हवाई अड्डे का यात्री टर्मिनल भवन प्रति घंटे 300 यात्रियों को संभाल सकता है।
  • 775 एकड़ भूमि पर निर्मित, हवाई अड्डे के पास 3.2 किमी लंबा रनवे है, और हवाई अड्डा एटीआर 72 से लेकर एयरबस 320 तक के विमानों को संभाल सकता है।
  • बेंगलुरु में केम्पे गौड़ा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाद इसे राज्य का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा माना जाता है।
  • इसका नाम ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले पहले कन्नड़ कवि ‘कुवेम्पु’ के नाम पर रखा गया है ।

स्रोत – द हिन्दू

रायसीना डायलॉग

चर्चा में क्यों ?

  • भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा 8 वें रायसीना डायलॉग में इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी के मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने की सूचना दी गयी।

रायसीना डायलॉग क्या है ?

  • रायसीना डायलॉग का प्रारंभ वर्ष 2016 में किया गया था।
  • यह भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक मुद्दों पर चर्चा का वार्षिक मंच है। विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया जाता है जिसमें बहुआयामी और बहुपक्षीय वार्ता का अवसर प्राप्त होता है।
  • यह एक बहु-हितधारक, क्रॉस-सेक्टरल बैठक है जिसमें नीति-निर्माताओं एवं निर्णयकर्त्ताओं, विभिन्न राष्ट्रों के हितधारकों, राजनेताओं, पत्रकारों, उच्चाधिकारियों तथा उद्योग एवं व्यापार जगत के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाता है।
  • इसके अंतर्गत विभिन्न देशों के विदेश, रक्षा और वित्त मंत्रियों को शामिल किया जाता है।
  • ORF की स्थापना वर्ष 1990 में की गई। यह नई दिल्ली में स्थित है जो एक स्वतंत्र थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।

उद्देश्य:

  • रायसीना डायलॉग का मुख्य उद्देश्य एशियाई एकीकरण के साथ-साथ शेष विश्व के साथ एशिया के बेहतर समन्वय हेतु संभावनाओं एवं अवसरों की तलाश करना है।
  • रायसीना डायलॉग एक बहुपक्षीय सम्मेलन है जो वैश्विक समुदाय के सामने आने वाले चुनौतीपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • व्यापक अंतर्राष्ट्रीय नीतिगत मामलों पर चर्चा करने के लिये नीतिगत, व्यापार, मीडिया और नागरिक समाज से संबंधित वैश्विक नेताओं को प्रति वर्ष रायसीना डायलॉग में आमंत्रित किया जाता है।

महत्व 

  • इस डायलॉग में एक द्विपक्षीय रक्षा सहयोग समझौते की घोषणा होने की संभावना है, जिसमें सरकार से सरकार (G-2-G) समझौतों के लिए एक रूपरेखा तैयार की जाएगी।
  • भारत और इटली के बीच संबंधों के मजबूत और प्रगाढ़ होने की उम्मीद है।
  • यात्रा के दौरान, एक बिजनेस राउंडटेबल का आयोजन किया जाएगा, जिसकी सह-अध्यक्षता श्री ताजनी और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल करेंगे। भारत और इटली इस वर्ष राजनयिक संबंधों की स्थापना के 75 वर्ष मना रहे हैं।

स्रोत – द हिन्दू

बौद्ध स्तूप

    चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में ASI को ओडिशा के जाजपुर जिले के परभदी सुखुपाड़ा में खोंडालाइट पत्थर खनन स्थल से 1,300 साल पुराने बौद्ध स्तूप के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

अन्य प्रमुख बिंदु 

  • यहाँ से पुरी में 12वीं शताब्दी के श्री जगन्नाथ मंदिर के आस-पास सौंदर्यीकरण परियोजना के लिए खोंडालाइट पत्थरों की आपूर्ति की गई थी।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अनुसार, खनन के कारण एक छोटा स्तूप पूरी तरह से नष्ट हो गया है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ओडिशा के जाजपुर जिले में एक खनन स्थल के ठीक बीच में 1,300 साल पुराना एक स्तूप मिला।
  • एक अनुमान के अनुसार, 4.5 मीटर लंबा यह स्तूप 7वीं या 8वीं शताब्दी का हो सकता है।
  • पुरातात्विक संपत्ति, जो परभदी में पाई गई है, ललितगिरि के पास स्थित है, जो एक प्रमुख बौद्ध परिसर है, जहाँ बड़ी संख्या में स्तूप और मठ हैं।
  • खनन के कारण यहाँ अनेक पुरातात्विक स्थल नष्ट हो गये हैं।

आगे की राह 

  • “राज्य सरकार को खनन की अनुमति देने से पहले, विशेष रूप से जब यह पुरातात्विक महत्त्व के किसी भी स्थान के पास स्थित हो, तो किसी स्थल का विरासत मूल्यांकन करना चाहिए”।
  • सुखुपाड़ा से कई विशाल बुद्ध प्रतिमाएं खोजी जाने के बाद ,जो ललितगिरि पुरातात्विक स्थल के अंदर संग्रहालय में संरक्षित हैं, राज्य सरकार को इतनी बड़ी मात्रा में खनन की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी।
  • प्राचीन मंदिर परिसरों में खोंडालाइट पत्थरों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था।
  • ओएमसी को राज्य सरकार के महत्वाकांक्षी मंदिर विकास कार्यक्रमों के लिए खोंडालाइट पत्थरों की आपूर्ति करना मुश्किल हो सकता है। यह केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव का एक और दौर शुरू कर सकता है।

स्रोत – द हिन्दू

ऑरंगुटान

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में, चेन्नई में ऑरंगुटान तस्करों की सहायता करने के लिए चार पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

        ऑरंगुटान के बारे में

  • ऑरंगुटान का अर्थ मलय भाषा में "जंगल का आदमी" है।
  • ऑरंगुटान इंडोनेशिया और मलेशिया के वर्षावनों में पाए जाने वाले बड़े वानर हैं।
  • वर्तमान में इन्हें केवल बोर्नियो और सुमात्रा के कुछ हिस्सों में देखा जा सकता है।
  • बड़े वानरों में सबसे अधिक वृक्षवासी, वनमानुष अपना अधिकांश समय पेड़ों में व्यतीत करते हैं।
  • उनके पास आनुपातिक रूप से लंबे हाथ और छोटे पैर होते हैं और उनके शरीर पर लाल-भूरे रंग के बाल होते हैं।
  • बोर्नियन और सुमात्रन ऑरंगुटन्स दिखने और व्यवहार में थोड़े भिन्न होते हैं।
  • जबकि दोनों के बाल भूरे - लाल रंग के होते हैं, सुमात्रन ऑरंगुटन्स के चेहरे के बाल लंबे होते हैं।

घटती जनसंख्या का कारण : 

  • भौगोलिक सीमा के आधार पर अब बोर्नियन ऑरंगुटान की संख्या लगभग 104,700 है, इन्हें  IUCN की रेड लिस्ट में लुप्तप्राय घोषित किया गया है।
  • सुमात्रन लगभग 7,500 हैं, जिन्हें गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • तपनौली ऑरंगुटान: नवंबर, 2017 में ऑरंगुटान की एक तीसरी प्रजाति की घोषणा की गई थी। अस्तित्व में 800 से अधिक संख्या के साथ, तपनौली ऑरंगुटान सभी बड़े वानरों में सबसे अधिक संकटग्रस्त हैं।

स्रोत – द हिन्दू

सोलर जियोइंजीनियरिंग

चर्चा में क्यों?

  • सौर जियोइंजीनियरिंग, जिसे सौर विकिरण संशोधन भी कहा जाता है, के माध्यम से पृथ्वी द्वारा अवशोषित सूर्य के प्रकाश को वापस अंतरिक्ष में भेजकर पृथ्वी को ठंडा करने पर विचार किया जा रहा है।

सोलर जियोइंजीनियरिंग के प्रकार

  • समतापमंडलीय एरोसोल इंजेक्शन (SAI) में सूर्य के प्रकाश को प्रतिबिंबित करने के लिए पृथ्वी के समताप मंडल में बड़ी मात्रा में छोटे कणों (जैसे-सल्फर डाइऑक्साइड) का छिड़काव शामिल है। SAI की अवधारणा ज्वालामुखी विस्फोट के दौरान निकलने वाले सल्फर बादलों से ली गई है।
  • मरीन क्लाउड ब्राइटनिंग में उनकी चमक और सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करने की क्षमता बढ़ाने के लिए निचले इलाकों में समुद्री नमक का छिड़काव शामिल है।

चिंताएं

  • SAI विशेष रूप से विवादास्पद है क्योंकि एरोसोल का परावर्तक प्रभाव कुछ समय बाद समाप्त हो जाता है, जिससे शुद्ध ताप प्रभाव होता है।
  • सौर जियोइंजीनियरिंग एक "नैतिक खतरा" हो सकता है। इसके अलावा उत्सर्जन के कारको में वृद्धि हो सकती है क्योंकि यह जलवायु परिवर्तन के मूल कारण को संबोधित नहीं करता है।

स्रोत – द हिन्दू