July 17, 2023

SCO शिखर सम्मेलन- 2023

 SCO शिखर सम्मेलन- 2023

चर्चा में क्यों ?

  • भारत  द्वारा 23वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की वर्चुअल मेजबानी की गई। इस शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ईरान के साथ अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO)

  • चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान ने 1996 मेॱ मिलकर "शंघाई V" नाम से संगठन की स्थापना की, जिसका मुख्यालय बीजिंग में बनाया गया। 
  • वर्ष 2001 में शंघाई में आयोजित शिखर सम्मेलन में उज्बेकिस्तान को शामिल कर "शंघाई VI" में बदल दिया गया, जो अब शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) या SCO नाम से जाना जाता है।
  • 2017 में भारत और पाकिस्तान इसके स्थायी सदस्य बने। 
  • 23वें शिखर सम्मेलन में ईरान आधिकारिक तौर पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य के रूप में शामिल होने के कारण इस संगठन के सदस्यों की संख्या 8 से बढ़कर 9 हो गयी है। 
  • SCO शिखर सम्मेलन-2023 का विषय - 'SECURE' है जो सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान एवं पर्यावरण संरक्षण पर केन्द्रित है। 
  • कज़ाखस्तान में होने वाला 24वाँ शिखर सम्मेलन भौतिक रूप से किया जाएगा।

SCO में भारत का विजन

  • हाल ही में संपन्न शिखर सम्मलेन में प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, यूक्रेन युद्ध और समृद्धि जैसे मुद्दे शामिल किये गए। भारत द्वारा अपने संबोधन में सदस्य देशों के बीच एकता और सहयोग के महत्व पर चर्चा करते हुए भारत के दृष्टिकोण को साझा किया गया, जिसमें सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे शामिल थे।
  • भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया और SCO से आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों की निंदा करने का आग्रह किया।
  • भारत द्वारा अफगान लोगों के कल्याण हेतु पड़ोसी देशों को अस्थिर करने के लिए अफगान धरती के इस्तेमाल को रोकने के महत्व पर बल दिया गया।
  • एक नई दिल्ली घोषणा जारी की गयी, जिसके तहत कट्टरपंथ का मुकाबला करने के लिए एक संयुक्त वक्तव्य और UPI जैसे डिजिटल भुगतान की विशेषज्ञता साझा करने की पेशकश की गयी। इसमें नए उभरते संघर्षों, बाजारों में अशांति, आपूर्ति श्रृंखला अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन और COVID-19 महामारी जैसी चुनौतियां भी शामिल की गईं। 

अन्य देशों का विज़न 

ऊर्जा सहयोग के लिए कज़ाखस्तान का प्रस्ताव

  • कज़ाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायेव ने SCO के भीतर घनिष्ठ ऊर्जा सहयोग का प्रस्ताव रखा। इसमें SCO ऊर्जा सम्मेलन की मेजबानी करने और संगठन के लिए एक संयुक्त ऊर्जा रणनीति विकसित करने का सुझाव दिया गया। इस पहल का उद्देश्य SCO सदस्यों के बीच ऊर्जा सहयोग को बढ़ाना है, जिसमें रूस, चीन, भारत और अब ईरान भी शामिल हैं।

प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ रूस का रुख़

  • रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के द्वारा SCO के भीतर संबंधों को बढ़ावा देने और विदेशी व्यापार निपटान में स्थानीय मुद्राओं के उपयोग का समर्थन करने के महत्व पर जोर दिया गया । पुतिन ने संघर्ष की बढ़ती संभावना और वैश्विक आर्थिक संकट के खतरे के बारे में भी चेतावनी दी।

चीन द्वारा क्षेत्रीय शांति का आह्वान

BRI, एक चीन की पहल है। इसका उद्देश्य दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है।   

 
  • चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस, ईरान और अन्य सदस्य देशों के नेताओं से क्षेत्रीय शांति की रक्षा के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। आम सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया और SCO सदस्यों के बीच एकजुटता और आपसी विश्वास बढ़ाने का आह्वान किया।
  • चीन के द्वारा विभिन्न देशों की विकास रणनीतियों और क्षेत्रीय सहयोग पहलों के साथ बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) परियोजना के उच्च गुणवत्ता वाले सहयोग की वकालत की गयी। 
  • 60 अरब डॉलर का चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), BRI की प्रमुख परियोजना है।
  • भारत ने CPEC को लेकर चीन के समक्ष कड़ा विरोध किया है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से होकर गुजर रहा है और चीन इसके माध्यम से अस्थिर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं हेतु छोटे देशों को भारी किस्तों पर ऋण प्रदान करता है। 
  • भारत के अनुसार बेहतर कनेक्टिविटी न केवल आपसी व्यापार को बढ़ाती है, बल्कि विश्वास भी पैदा करती है जिसके लिए SCO चार्टर के बुनियादी सिद्धांतों को बनाये रखने की आवश्यकता है और राज्यों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना आवश्यक है। 

ईरान की भागीदारी का महत्व 

  • आधिकारिक तौर पर SCO का पूर्ण सदस्य बनने के कारण सभी सदस्यों की तरह ईरान ने भी बेलारूस की SCO सदस्यता के लिए दायित्व के ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। जिससे बेलारूस का संभावित विलय संगठन को और मजबूत करेगा। ईरान को शामिल करने के पश्चात SCO के विस्तार से पड़ोसी देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग और बातचीत मजबूत होगी।

ईरान का मकसद 

  • SCO में भागीदारी से ईरान के कई आर्थिक और भू-रणनीतिक हितों को लाभ होगा और तेहरान की भू-राजनीतिक स्थिति, जनसंख्या, ऊर्जा आपूर्ति, कनेक्टिविटी क्षमता, मानव संसाधन और सॉफ्ट पावर प्राप्त करने में वह सक्षम बन पायेगा।
  • विगत कुछ वर्षों में, ईरानी अर्थव्यवस्था को अपने परमाणु विकास के कारण पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है।
  • अमेरिका, 2018 में संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) परमाणु समझौते से अलग हो गया था और उसने ईरान पर 'अधिकतम दबाव' की नीति लागू की। नतीजतन, तेहरान अपने आर्थिक और रणनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए ‘लुक ईस्ट’ पर ध्यान केंद्रित करने लगा और परिणामस्वरूप आज ईरान SCO का सदस्य बनने में सफल रहा।

नवीन मुद्रा प्रयोग 

  • अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा रूस और ईरान पर प्रतिबंधों के कारण SCO सदस्य समूह के भीतर भुगतान के लिए “राष्ट्रीय मुद्राओं” के उपयोग पर सहमत हुए जो अन्तराष्ट्रीय डॉलर आधारित भुगतान को रोक देगा।
  • रूस के अनुसार, भारतीय मुद्रा की अस्थिता के कारण भारतीय रुपया के स्थान पर चीन की युआन मुद्रा को लेन-देन और भुगतान निपटारे हेतु तीसरी मुद्रा के रूप में प्रयोग करना चाहिए।
  • रूस में भारत और चीन 2 सबसे बड़े उर्जा भागीदार बनकर उभरे हैं और तीसरी मुद्रा का चयन कर राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को अंतर्राष्ट्रीय दबाव से बचने में सहायता मिलेगी।

SCO देशों में नवाचार को बढ़ावा देने का भारत का एक प्रयास 

  • भारत के वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा मई, 2023 में नई दिल्ली में SCO स्टार्टअप फोरम के तीसरे संस्करण का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य नवाचार और आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है, ताकि सदस्यों देशों में ज्ञान के आदान-प्रदान का एक तंत्र स्थापित किया जा सके
  • विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में स्टार्टअप की शुरुआत और नवाचार से दुनिया भर के निवेशकों को भारत में डिजिटल कनेक्टिविटी की ताकत का लाभ उठाने और उससे जुड़ी संभावनाओं के दोहन का मौका दिया जाए 
  • सरकारी सहायता और निवेश में हुई वृद्धि के कारण, 2022 में स्टार्टअप की संख्या बढ़कर 72,998 हो गई  जिससे बड़ी मात्रा में रोजगार में वृद्धि हुई
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप तंत्र भारत में है2023 में, भारत के स्टार्टअप उद्योग में 180 अरब डॉलर के निवेश की संभावना है

SCO का महत्त्व

आर्थिक सहयोग:

  • SCO के सदस्य देश वैश्विक आबादी के लगभग 42% और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 25% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • यहाँ पर्यटन क्षेत्र में अपार संभावनाएँ मौजूद हैं जो भारत के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

सुरक्षा सहयोग:

  • आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद जैसे खतरों का सामना करने के लिए SCO के तहत सदस्य देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने हेतु क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (Regional Anti-Terrorist Structure- RATS) का निर्माण किया गया है।
  • RATS, SCO का एक स्थायी निकाय है जिसका उद्देश्य आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में सदस्य देशों के बीच समन्वय और बातचीत को सुविधाजनक बनाना है। SCO-RATS का मुख्य कार्य समन्वय और सूचना साझा करना है।
  • निष्कर्ष - SCO क्षेत्रीय राज्यों के लिये एक आकर्षक मंच है, लेकिन इसके आंतरिक अंतर्विरोध चिंता के कारण हैं। रूस के बाहुबल और चीन के धन ने पश्चिमी शक्तियों को इस क्षेत्र से बाहर रखने के लिये मध्य एशिया में उनके श्रम के रणनीतिक विभाजन हेतु एक विवेकपूर्ण आधार प्रदान किया है।