July 27, 2023

प्रोविडेंट फण्ड, दो नये स्वास्थ्य विधेयक, DNA प्रौद्योगिकी उपयोग विधेयक, जैव विविधता संशोधन विधेयक

 प्रोविडेंट फण्ड

चर्चा में क्यों ?

  • सरकार के द्वारा EPFO के केंद्रीय न्यासी बोर्ड CBT की भविष्य निधि (PF) में जमा पर ब्याज दर बढ़ाकर 8.15% करने की सिफारिश स्वीकार कर ली गयी है।

प्रमुख बिंदु 

  • EPFO के क्षेत्रीय कार्यालय, ग्राहकों के खातों में ब्याज जमा करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
  • केंद्र द्वारा जारी नई दर इसी वित्तीय वर्ष के लिए लागू होगी।
  • EPFO ने कार्यालयों को 2022-23 के लिए EPF पर 8.15% की दर से ब्याज, सदस्यों के खातों में जमा करने के लिए कहा है।
  • मार्च, 2022 में, EPFO के द्वारा 2021-22 के लिए EPF जमा पर ब्याज दर को 8.1 % कर दिया गया था।
  • श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, "उच्च पेंशन के लिए संयुक्त विकल्प जमा करने के लिए एकीकृत पोर्टल में प्रक्रिया सरल और समझने में आसान है और इसमें कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) योजना, 1952, कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), 1995 और 4 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के प्रावधानों के अनुसार सरल आवश्यकताएं शामिल हैं।"
  • श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार, "नवीन डेटा के अनुसार 18-25 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों  के जुड़ने का आँकड़ा कुल नए सदस्यों का 56.42% है।"
  • श्रम मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, 3,673 प्रतिष्ठानों ने अपना पहला ECR जमा करके अपने कर्मचारियों को EPFO का सामाजिक सुरक्षा कवर बढ़ाया है।"

दो नये स्वास्थ्य विधेयक

चर्चा में क्यों?

  • सरकार के द्वारा संसद में दो स्वास्थ्य विधेयक - राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023 और राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक, 2023  पेश किए गए।
  • राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक तथा राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक NMC की तर्ज पर नियामक निकायों का प्रस्ताव करते हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • प्रस्तावित विधेयक, दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 और भारतीय नर्सिंग परिषद अधिनियम, 1947 को निरस्त करने का प्रयास करते हैं और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की तर्ज पर दंत चिकित्सकों तथा नर्सों और दाइयों के लिए नियामक निकाय बनाने का प्रस्ताव करते हैं।
  • इसमें स्नातक और स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए स्वायत्त बोर्ड, मूल्यांकन और रेटिंग बोर्ड तथा एक नैतिकता और पंजीकरण बोर्ड होगा, जो दंत चिकित्सा और नर्सिंग शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को देखेगा।  
  • दोनों विधेयकों में लाइव नेशनल रजिस्टर बनाने का भी प्रावधान शामिल है।
  • विधेयक का उद्देश्य विभिन्न विशिष्टताओं में नर्सों के लिए अभ्यास का दायरा बढ़ाना है। यह नर्सों को कुछ प्रक्रियाएं करने या विशिष्ट मामलों में दवाएं देने के लिए कानूनी समर्थन देता है। 
  • वर्तमान में चिकित्सा पेशेवरों को संबंधित राज्य परिषदों के साथ पंजीकरण करने की आवश्यकता है। नए विधेयकों के तहत बनाए गए रजिस्टर गतिशील होंगे, राज्य और राष्ट्रीय रजिस्टर स्वचालित रूप से समन्वयित होंगे और पेशेवरों की योग्यता समय-समय पर अपडेट की जाएगी।
  • नेशनल डेंटल कमीशन बिल में नेशनल एग्जिट टेस्ट की तर्ज पर दंत चिकित्सकों के लिए एक एग्जिट टेस्ट का प्रावधान शामिल होगा जिसे MBBS पूरा करने वालों के लिए लागू किए जाने की संभावना है।
  • अध्यक्ष जैसे व्यक्ति प्रमुख पदों पर अधिकतम चार वर्षों तक रह सकते हैं। नवीन विधेयक के अनुसार 70 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति इन पदों पर नहीं रह सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए चल रहे सभी कार्य नए आयोग के कार्यभार संभालने के बाद भी जारी रहेंगे।
  • राष्ट्रीय नर्सिंग और मिडवाइफरी आयोग विधेयक में एक नया नियामक ढाँचा बनाने के अलावा, अभ्यास के दायरे को परिभाषित करना भी शामिल है। 
  • इस बिल के नाम में ही दाइयों को शामिल किया गया है जो कि वर्तमान अधिनियम (इंडियन नर्सिंग काउंसिल एक्ट, 1947) में नहीं है। 

चिंता के बिंदु 

  • कुछ विशेषज्ञों ने दंत चिकित्सक अधिनियम, 1948 को हटाने का स्वागत किया,तो कुछ ने नियामक संस्था के निर्णयों पर अधिक सरकारी नियंत्रण की चर्चा की।
  • “डेंटल काउंसिल का अध्यक्ष वर्तमान में सामान्य निकाय द्वारा चुना जाता है। प्रस्तावित नियामक संस्था के प्रमुख अधिकारियों को सरकार द्वारा नामित किया जाएगा। इससे स्वास्थ्य के नियमन क्षेत्र में सरकार की भूमिका और अधिक बढ़ जाएगी। 

आगे की राह 

  • यह भारतीय संदर्भ में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आवश्यकता-आधारित अनुसंधान की दिशा में पेशे को विनियमित करने में आवश्यक बदलाव लाएगा। भारत को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में डेंटल सर्जनों के लिए और अधिक नौकरियाँ पैदा करने की भी आवश्यकता है।

DNA प्रौद्योगिकी उपयोग विधेयक

चर्चा में क्यों ?

  • हालिया मानसून सत्र के दौरान DNA प्रौद्योगिकी के उपयोग को विनियमित करने वाला विधेयक लोकसभा से वापस ले लिया गया।
  • यह विधेयक कुछ श्रेणियों के लोगों की पहचान स्थापित करने के लिए DNA प्रौद्योगिकी के उपयोग और अनुप्रयोग को विनियमित करने के लिए पेश किया गया था।

 

प्रमुख बिंदु 

  • सरकार द्वारा लोकसभा से एक विवादास्पद मसौदा कानून वापस ले लिया गया है , जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए डीएनए प्रौद्योगिकी के उपयोग को विनियमित करना था क्योंकि इस विधेयक के अधिकांश खंड हाल ही में पारित आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 में शामिल किए जा चुके हैं और इसी आधार पर DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019 वापस ले लिया गया।

 

DNA प्रौद्योगिकी (उपयोग और अनुप्रयोग) विनियमन विधेयक, 2019

  • इस विधेयक का प्राथमिक उद्देश्‍य देश की न्‍याय प्रणाली को सहायता और मज़बूती प्रदान करने के लिये DNA आधारित फोरेंसिक प्रौद्योगिकियों के अनुप्रयोग का विस्‍तार करना है।
  • इस विधेयक में DNA प्रयोगशालाओं के लिये अनिवार्य प्रत्‍यायन और विनियमन (Accreditation & Regulation) का प्रावधान किया गया है। इसके बिना प्रयोगशालाओं में DNA परीक्षण, विश्लेषण आदि करने पर रोक लगाई गई है।
  • विधेयक यह सुनि‍श्चित करने का प्रयास करेगा कि देश में इस प्रौद्योगिकी के प्रस्‍तावित विस्‍तृत उपयोग के DNA परीक्षण का डेटा विश्‍वसनीय है।
  • यह व्यवस्था भी की जाएगी कि नागरिकों के निजता के अधिकार के संदर्भ में इसके डेटा का दुरुपयोग न हो।
  • यह विधेयक DNA प्रमाण के अनुप्रयोग को सक्षम बनाकर आपराधिक न्याय प्रणाली को सशक्त करेगा, जिसको अपराध जाँच में सर्वोच्‍च मानक समझा जाता है।
  • इस विधेयक में परिकल्पित राष्ट्रीय और क्षेत्रीय DNA डेटा बैंकों की स्थापना फॉरेंसिक जाँच में सहायक होगी।

जैव विविधता संशोधन विधेयक

चर्चा में क्यों ?

  • बजट के मानसून सत्र में लोकसभा के द्वारा जैव विविधता (संशोधन) विधेयक, 2021 को पारित किया गया। 

इसका मुख्य उद्देश्य- 

  • अनुसंधान की तेजी से निगरानी करना, भारतीय चिकित्सा प्रणाली को प्रोत्साहित करना और स्थानीय समुदायों, 'वैद्य', 'हकीम' और पंजीकृत आयुष चिकित्सकों द्वारा बीज सहित ऐसे संसाधनों के पारंपरिक ज्ञान के उपयोग के लिए कुछ प्रावधानों को अपराध से मुक्त करना है, जो "जीविका और आजीविका" के लिए स्वदेशी दवाओं का अभ्यास कर रहे हैं।
  • पौधों की खेती को प्रोत्साहित करके जंगली औषधीय पौधों पर दबाव कम करना।
  • राष्ट्रीय हित से समझौता किए बिना पेटेंट और वाणिज्यिक उपयोग सहित भारत में उपलब्ध जैविक संसाधनों का उपयोग करते हुए अनुसंधान परिणामों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करना है।
  • प्रस्तावित कानून का उद्देश्य पेटेंट आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना, स्थानीय समुदायों के साथ पहुँच और लाभ साझा करने का दायरा बढ़ाना भी है। 
  • जैव विविधता में व्यापार को सुविधाजनक बनाना है। 

प्रमुख बिंदु 

  • यह नवीन विधेयक, जैविक विविधता अधिनियम, 2002 में संशोधन करेगा, जो जैविक विविधता के संरक्षण, इसके घटकों के सतत उपयोग और जैविक संसाधनों तथा ज्ञान के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों के उचित और न्यायसंगत बंटवारे के लिए अधिनियमित किया गया था।
  • "उक्त अधिनियम पहुँच और लाभ साझा करने पर जैव विविधता सम्मेलन तथा नगोया प्रोटोकॉल के तहत भारत के दायित्वों को पूरा करने का प्रयास करता है, ताकि जैविक संसाधनों और संबंधित पारंपरिक ज्ञान के उपयोग से प्राप्त लाभों को निष्पक्ष तथा न्यायसंगत तरीके से साझा किया जाए।"
  • सरकार ने भारतीय चिकित्सा प्रणाली, बीज, उद्योग और अनुसंधान सहित विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले हितधारकों द्वारा उठाई गई कुछ चिंताओं की पृष्ठभूमि में विधेयक पेश किया। 
  • इसके अंतर्गत सहयोगात्मक अनुसंधान और निवेश के लिए अनुकूल वातावरण को प्रोत्साहित करने के लिए अनुपालन बोझ को सरल बनाने, सुव्यवस्थित करने तथा कम करने का आग्रह किया गया था। 
  • उपयोगकर्त्ताओं द्वारा जैविक संसाधनों तक पहुँच के लिए राज्य जैव विविधता बोर्ड को पूर्व सूचना देने का उपबंध लाया गया, परंतु यह स्थानीय समुदायों सहित कुछ श्रेणियों के उपयोगकर्त्ताओं को छूट प्रदान करता है।
  • प्रस्तावित कानून जैव विविधता और इसके नागोया प्रोटोकॉल पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के उद्देश्यों से समझौता किए बिना भारत में उपलब्ध जैविक संसाधनों का उपयोग करते हुए अनुसंधान, पेटेंट आवेदन प्रक्रिया, अनुसंधान परिणामों के हस्तांतरण को तेजी से ट्रैक करने की सुविधा प्रदान करेगा।

जैव विविधता अधिनियम, 2002 

  • इस अधिनियम को वर्ष 2002 में अधिनियमित किया गया था, इसका उद्देश्य जैविक संसाधनों का   संरक्षण, इनके धारणीय उपयोग का प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के साथ उचित व न्यायसंगत साझाकरण तथा भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित रखकर वर्तमान और भावी पीढ़ियों के कल्याण के लिये इसके लाभ के वितरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है।

अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ

  • अधिनियम राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण के पूर्व अनुमोदन के बिना निम्नलिखित गतिविधियों को प्रतिबंधित करता है:
  • किसी भी व्यक्ति अथवा संगठन (भारत में स्थित अथवा नहीं) द्वारा शोध या व्यावसायिक उपयोग हेतु भारत में उत्पादित किसी भी जैव संसाधन की प्राप्ति ।
  • भारत में पाए जाने वाले या भारत से प्राप्त जैव संसाधन से संबंधित किसी भी प्रकार के शोध परिणामों का स्थानांतरण।
  • भारत से प्राप्त जैव संसाधनों पर किये गए शोध पर आधारित किसी भी आविष्कार पर बौद्धिक संपदा अधिकारों का दावा।
  • अधिनियम इन प्राधिकरणों हेतु देश के जैव प्राकृतिक संसाधनों से संबंधित किसी भी अनुसंधान परियोजना को निष्पादित करने के लिये विशेष वित्त एवं एक पृथक बजट का प्रावधान करता है।
  • यह जैव संसाधनों के धारणीय उपयोग की निगरानी करेगा तथा वित्तीय निवेश व प्राप्तियों पर नियंत्रण रखेगा तथा पूँजी एवं बिक्री की उचित व्यवस्था करेगा।