Feb. 27, 2023

मासिक धर्म की छुट्टी और इसकी वैश्विक स्थिति

स्त्रोत- द हिन्दू 

चर्चा में क्यों ?

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सैवंधानिक पीठ ने हाल ही में एक याचिकाकर्त्ता को मासिक धर्म की छुट्टी के मुद्दे को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के समक्ष उठाने का निर्देश दिया है।

पृष्ठभूमि

  • सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में श्रमिकों और छात्राओं के लिए मासिक धर्म की छुट्टी के बारे में एक जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है और इसे एक नीतिगत आयाम बताया।
  • इस ओर प्रकाश डाला गया कि मासिक धर्म के दर्द की छुट्टी के अलग-अलग "आयाम" हैं, मासिक धर्म एक जैविक प्रक्रिया है , जिस पर छुट्टी नियोक्ताओं के लिए महिला कर्मचारियों को नियुक्त करने हेतु "निराशाजनक" के रूप में भी काम कर सकती है।
  • श्रमिकों और छात्राओं के लिए मासिक धर्म की छुट्टी की अवधारणा सदैव चर्चा का विषय रही है क्योंकि ऐसी नीतियां असमानता को बढ़ावा देती हैं और ये मुद्दे स्वयं नारीवादी समूहों के बीच भी बहस का विषय रहे हैं।

मासिक धर्म की छुट्टी के बारे में

  • मासिक धर्म अवकाश या अवधि अवकाश उन सभी नीतियों को संदर्भित करता है जो कर्मचारियों या छात्राओं को मासिक धर्म के दर्द या परेशानी का अनुभव होने पर अवकाश देने की अनुमति देती है।
  • कार्यस्थल के संदर्भ में, यह उन नीतियों को संदर्भित करता है जो भुगतान या अवैतनिक अवकाश या आराम के लिए समय दोनों की अनुमति देता है।
  • अधिकांश महिलाओं को 28 दिनों के मासिक धर्म चक्र का अनुभव होता है, एक सामान्य चक्र 23 से 35 दिनों तक भिन्न हो सकता है।
  • कुछ लोगों के लिए, मासिक धर्म का दर्द या कष्ट एक असुविधाजनक घटक है जिसमे महिलाएं महीने के कुछ दिन दर्द का अनुभव करती हैं।

पक्ष में तर्क 

  • मिशिगन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ विश्वविद्यालय में महामारी विज्ञान और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के विभाग के अनुसार, मासिक धर्म वाले 15% से 25% लोगों को मध्यम से गंभीर मासिक धर्म के दौरान ऐंठन का अनुभव हो सकता है।
  • नीदरलैंड में 32,748 महिलाओं के 2017 के एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि केवल 14% महिलाएं अपनी मासिक धर्म की अवधि के दौरान काम करने या स्कूल में रहने में सक्षम थीं।

‘कैविएट’ एक लैटिन भाषा का वाक्यांश है जिसका अर्थ है 'किसी व्यक्ति को सावधान करना होता'। 

जब किसी व्यक्ति को यह आशंका होती है कि कोई उसके खिलाफ अदालत में मामला दायर करने जा रहा है तो वह एहतियाती उपाय (precautionary measures) यानी कैविएट पिटीशन के लिए जा सकता है।

यह अदालत को सूचित करने वाली एक सूचना है कि कोई अन्य व्यक्ति उसके खिलाफ एक मुकदमा या आवेदन दर्ज कर सकता है और अदालत को कैविटोर (कैविएट दाखिल करने वाला व्यक्ति) को उचित मामले में उसके समक्ष लाना होता है,  ताकि किसी भी मामले का निर्णय करने से पहले दोनों पक्षकारों की एक उचित सुनवाई हो सके।

दूसरे शब्दों में, कानूनी रूप से कैविएट एक "औपचारिक नोटिस को संदर्भित करता है जिसमें अदालत से अनुरोध किया जाता है कि वह कैविएट दर्ज करने वाले व्यक्ति को पूर्व सूचना दिए बिना कुछ निर्दिष्ट कार्रवाई करने से परहेज करे।"

" कैविएट दर्ज करने वाले व्यक्ति को "कैविएटर" कहा जाता है। 

दाखिल कैविएट याचिका 3 महीने के लिए लागू रहती है और इसी अवधि के दौरान प्रतिद्वंद्वी पार्टी द्वारा कोई मामला दायर नहीं किया जाता है, तो कैविएट कानून की अदालत में फिर से याचिका दायर करने की आवश्यकता है।

  • परंतु शोधकर्त्ताओं के अनुसार, मासिक धर्म-चक्र संबंधी मुद्दों के कारण कर्मचारियों को हर साल लगभग 8.9 दिनों की उत्पादकता का नुकसान हुआ जिसके फलस्वरूप मासिक धर्म अवकाश नीतियों को इस दृष्टि से तैयार किया गया कि यदि महिलाओं में ऐसे लक्षण हैं जो उनके कामकाज और उत्पादकता को बाधित कर सकते हैं तो उन्हें छुट्टी की अनुमति दी जा सकती है।

विपक्ष में तर्क 

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में दायर कैविएट याचिका ने मासिक धर्म की छुट्टी के संभावित मुद्दे पर प्रकाश डाला।
  • परंतु सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि नियोक्ताओं को  मासिक छुट्टी के लिए कहा गया तो यह प्रतिष्ठानों में महिलाओं की भागीदारी के लिए एक वास्तविक असंतोष के रूप में काम कर सकता है।"
  • मासिक धर्म एक जैविक प्रक्रिया है और शिक्षण संस्थानों और कार्यस्थलों में महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।

वैश्विक स्तर पर किस प्रकार की माहवारी अवकाश नीतियां लागू हैं?

  • स्पेन- पहला यूरोपीय देश है जो अन्य यौन स्वास्थ्य अधिकारों के बीच श्रमिकों को भुगतान सहित तीन दिनों के लिए मासिक धर्म की छुट्टी प्रदान करता है। यहाँ की संसद के अनुसार महिलाएं ऐसे अधिकारों के बिना "पूर्ण नागरिक" अधिकारों से वंचित हैं।
  • एशिया - 1920 के दशक में श्रमिक संघों के बीच एशिया में, 1947 में जापान में श्रम कानून के हिस्से के रूप में मासिक धर्म की छुट्टी की शुरुआत की गयी।
  • इंडोनेशिया द्वारा 1948 में एक नीति पेश की गयी, जिसे 2003 में संशोधित किया गया, जिसके तहत मासिक धर्म के दर्द का अनुभव करने वाले श्रमिकों को अपने चक्र के पहले दो दिन काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
  • फिलीपींस- श्रमिकों को महीने में दो दिन मासिक धर्म की छुट्टी की अनुमति है।
  • ताइवान में रोजगार में लैंगिक समानता का अधिनियम है जिसमें अनुच्छेद- 14 के तहत, कर्मचारियों को अपने नियमित वेतन के आधे पर हर महीने मासिक धर्म अवधि अवकाश के रूप में एक दिन की छुट्टी का अनुरोध करने का अधिकार है। इसके अनुसार प्रति वर्ष ऐसी तीन छुट्टियों की अनुमति है।
  • दक्षिण कोरिया, श्रम कानून के अनुच्छेद 73 के तहत मासिक शारीरिक छुट्टी की अनुमति देता है, जिससे सभी महिला कर्मचारियों को हर महीने एक दिन की छुट्टी मिलती है।
  • वियतनाम- यहाँ महिलाओं को उनके मासिक धर्म के हर दिन 30 मिनट का ब्रेक दिया जाता है।
  • यूनाइटेड किंगडम, चीन और वेल्स में मासिक धर्म की छुट्टी का प्रावधान है।
  • 2016 में, इटली में मासिक धर्म की छुट्टी शुरू करने का प्रस्ताव संसद में विफल रहा।

भारत में किए जा रहे प्रयास

  • भारत में भी, कुछ कंपनियों में मासिक धर्म की छुट्टी की नीतियां देखने को मिलती हैं। उदाहरण के तौर पर,  2020 में ज़ोमैटो का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है, जिसने प्रति वर्ष 10-दिन की भुगतान अवधि की छुट्टी की घोषणा की।

भारतीय संविधान के भाग-3 में मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद-14 के अंतर्गत विधि के समक्ष समता एवं विधियों के समान संरक्षण का उपबंध किया गया है। 

संविधान का यह अनुच्छेद भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर भारतीय नागरिकों एवं विदेशी दोनों के लिये समान व्यवहार का उपबंध करता है।

  • बिहार और केरल ही ऐसी राज्य सरकारें हैं, जिन्होंने महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी शुरू की है, जैसाकि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका में उल्लेख किया गया है।
  • केरल में राज्य का उच्च शिक्षा विभाग अब उन विश्वविद्यालयों में छात्रों के लिए मासिक धर्म और मातृत्व अवकाश प्रदान करेगा जो विभाग के अधीन काम करते हैं। 24 जनवरी को ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ के अवसर पर अपने छात्रों के लिए इसी तरह की प्रणाली शुरू करने का फैसला किया।
  • अनुच्छेद 14 - कुछ राज्यों में मासिक धर्म की छुट्टी की कमी को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताया गया है।
  • 'महिलाओं के मासिक धर्म की छुट्टी का अधिकार और मासिक धर्म स्वास्थ्य उत्पादों तक मुफ्त पहुंच विधेयक, 2022' शीर्षक वाला विधेयक मासिक धर्म की अवधि के दौरान महिलाओं और ट्रांसवुमेन के लिए तीन दिनों के सवैतनिक अवकाश का प्रावधान करता है।
  • लगभग 40% लड़कियां अपने मासिक धर्म के दौरान स्कूल जाना छोड़ देती हैं क्योंकि इसका स्कूल में उनकी दैनिक गतिविधियों पर प्रभाव पड़ता है और असुविधा, चिंता, शर्म एवं लीकेज तथा यूनिफॉर्म के खराब होने की चिंताओं के कारण उन्हें क्लास टेस्ट और पाठ्यक्रम छोड़ना पड़ता है।