Aug. 1, 2022

महाराजा सरफोजी

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, महाराजा सरफोजी II की 19वीं सदी की उत्कृष्ट चोरी की पेंटिंग का पता एक अमेरिकी संग्रहालय में लगाया गया है।

पेंटिंग के विषय में ?

  • कुछ इतिहासकारों के अनुसार , इस पेंटिंग में महराजा सरफोजी द्वितीय एवं उनके पुत्र शिवाजी द्वितीय का चित्र अंकित है | 

          इसे 1822 से 1827 ई . के मध्य चित्रित किया गया था एवं सरस्वती महल में रखा गया था | 1918  में तंजावुर स्थित सरस्वती महल पुस्तकालय को जनता के लिए खोल दिया गया था |

महाराजा सरफोजी द्वितीय (1798 – 1832 ई .)

  • महाराजा सरफोजी द्वितीय तंजावुर के भोंसले राजवंश के शासक थे | दरअसल , छत्रपति शिवाजी के सौतेले भाई , व्यंकोजी , ने तंजावुर के मराठा वंश की स्थापना की थी | सरफोजी द्वितीय , व्यंकोजी के वंश के दसवें शासक थे |
  • इनका जन्म 24 सितम्बर ,1777 को सतारा में हुआ था | तंजावुर के राजा तुल्जाजी ने उन्हें गोद लिया था |
  • 29 जून, 1798 को ब्रिटिश हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप अमर सिंह (राज्य- संरक्षक ) को सत्ता से हटा दिया गया था एवं सरफोजी द्वितीय को तंजावुर का राजा बना दिया गया था |
  • इसके बाद ब्रिटिश ने उन पर दबाव डालते हुए वार्षिक पेंशन के बदले तंजावुर का प्रशासन अपने हाथ में ले लिया |
  • सरफोजी द्वितीय  एक दार्शनिक , विद्वान एवं मानवतावादी शासक थे | वह अंग्रेजी के साथ-साथ तमिल,तेलुगु ,उर्दू , संस्कृत ,फ्रेंच ,जर्मन , डेनिश , डच , ग्रीक भाषाओँ के अच्छे ज्ञाता थे |
  • उन्होंने प्रशासन के क्षेत्र में सुधार करते हुए प्रशासनिक आदेशों एवं कार्यवाहियों को सावधानीपूर्वक दर्ज़ करने की परंपरा की शुरुआत की | साथ ही तंजावुर डेल्टा को सूबेदार के अधीन 5 क्षेत्रों में बाँटा |
  • तंजावुर के शासकों ने रामेश्वरम् जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए छत्रम (विश्राम गृह ) बनवाए जहाँ उन्हें विश्राम , शिक्षा एवं चिकित्सकीय सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाती थी | सरफोजी ने इस परंपरा को जारी रखा तथा 3 नये छत्रम बनवाए जिनमें ओराथानाडू के निकट स्थित छत्रम सबसे उल्लेखनीय है |
  • उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया | उन्होंने ‘नवविद्या कलानिधि शाला’ नामक विद्यालय की स्थापना की जहाँ भाषा एवं साहित्य, विज्ञान , कला-शिल्प ,वेद एवं शास्त्र की शिक्षा दी जाती थी|
  • उन्होंने जल संरक्षण के तंजावुर में 10 तालाबों का निर्माण करवाया  एवं भूमिगत जल निकासी की व्यवस्था करवायी | उन्होंने ‘जलसूत्रम’ नामक पुस्तक भी लिखी |
  • उन्होंने 1805 में अपने महल में ‘नवविद्या कलानिधि वर्णयंत्र शाला’ नाम से एक प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की|
  • इसके अतिरिक्त , सरफोजी ने धन्वतरी महल नामक अनुसंधान संस्थान की स्थापना की जहाँ मानव एवं पशुओं के उपचार के लिए औषधि बनाई जाती थी |

सरस्वती महल पुस्तकालय      

  • सरफोजी ने नायक वंशीय शासक रघुनाथ द्वारा पहले से स्थापित ‘सरस्वती भंडार पुस्तकालय’ का विस्तार किया | उन्होंने इसमें 4400 से अधिक पांडुलिपियों एवं 4500 से अधिक विदेशी पुस्तकों को रखवाया जो चिकित्सा , चित्रकला , साहित्य , दर्शन , नाटक, संगीत , विज्ञान , ज्योतिषशास्त्र , खगोलशास्त्र आदि विषयों से सम्बंधित थी |
  • यह पुस्तकालय चोलों , नायकों ,मराठों , मुस्लिम एवं ईसाईयों की विविध सांस्कृतिक विशेषताओं के समन्वय का प्रतीक है|

                                                                                                       *****