March 31, 2023

हाई-स्पीड इंटरनेट

चर्चा में क्यों?

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2030 तक भारत में 6G संचार प्रौद्योगिकी के रोलआउट के लिए एक विजन दस्तावेज का अनावरण किया है।
  • रेगुलर यूजर्स के लिए 6G एक बड़ा अवसर हो सकता है। दस्तावेज़ में कहा गया है कि वर्तमान में लगभग 30 करोड़ भारतीय परिवारों के लिए स्मार्टफोन की कुल वार्षिक खरीद 16 करोड़ रू. से अधिक है।

अन्य प्रमुख बिंदु 

  • भारत 6G मिशन के हिस्से के रूप में, उद्योग, शिक्षाविदों और सेवा प्रदाताओं सहित सभी हितधारकों को सैद्धांतिक और सिमुलेशन अध्ययनों में शामिल करके अनुसंधान के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करेगा।
  • प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट प्रोटोटाइप और प्रदर्शन तथा स्टार्टअप्स के जरिए शुरुआती मार्केट इंटरवेंशन को लागू किया जायेगा।

6G क्या है?

  • तकनीकी रूप से, 6G वर्तमान में मौजूद नहीं है, इसकी कल्पना एक बेहतर तकनीक के रूप में की गई है, जो 5G की तुलना में 100 गुना तेज इंटरनेट गति का वादा करती है।
  • प्रधानमंत्री द्वारा औपचारिक रूप से अक्टूबर, 2022 में 5G सेवाओं की शुरुआत की गयी थी और उस समय कहा था कि भारत को अगले 10 वर्षों में 6G सेवाओं को शुरू करने के लिए तैयार रहना चाहिए। 5G के विपरीत, जो अपने चरम पर प्रति सेकंड 10 गीगाबिट्स तक की इंटरनेट स्पीड प्रदान कर सकता है, 6G प्रति सेकंड 1 टेराबिट्स तक की गति के साथ अल्ट्रा-लो लेटेंसी प्रदान करने का वादा करता है।
  • रिमोट-नियंत्रित कारखाने, लगातार स्व-चालित कारों का संचार और मानव इंद्रियों से सीधे इनपुट लेने वाले तथा स्मार्ट पहनने योग्य उपकरण को इसके प्रयोग में शामिल किया गया है।
  • इसे विकास और स्थिरता के साथ संतुलित करना होगा क्योंकि अधिकांश 6G सहायक संचार उपकरण बैटरी से चलने वाले होंगे और इनमें महत्वपूर्ण कार्बन पदचिह्न हो सकते हैं।

भारत का 6G रोडमैप क्या है?

  • 6G परियोजना को दो चरणों में लागू किया जाएगा और सरकार ने परियोजना की देखरेख करने और मानकीकरण, 6G उपयोग के लिए स्पेक्ट्रम की पहचान, उपकरणों और प्रणालियों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और पता लगाने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक शीर्ष परिषद की नियुक्ति की है।
  • पहले चरण में –इसकी सहायता से नवीन खोजों , जोखिम भरे रास्तों पर इसकी उपलब्धता और प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट टेस्ट के लिए सहायता प्रदान की जाएगी।
  • दूसरे चरण में व्यावसायीकरण के लिए कार्यान्वयन, IP और टेस्टबेड बनाने के लिए पर्याप्त रूप से समर्थन किया जाएगा।

सुझाव 

  • सरकार को 6G के लिए उच्च आवृत्ति बैंड में स्पेक्ट्रम के साझा उपयोग का पता लगाना होगा।
  • "मांग उत्पन्न करने के लिए कुछ बैंड खोले जाएं।
  • “5G+ और 6G प्रौद्योगिकियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक बड़े मिड-बैंड का विस्तार किया जायेगा।
  • 6G पर अनुसंधान और नवाचार को वित्त पोषित करने के लिए,अगले 10 वर्षों के लिए अनुदान, ऋण, वीसी फंड, फंड ऑफ फंड्स आदि से फंडिंग साधनों की सुविधा देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये के कोष के निर्माण की सिफारिश की गयी है।

भारत की तत्काल कार्य योजना क्या है?

  • सरकार ने एक Bharat 6G परियोजना की स्थापना की है।
  • परियोजना की देखरेख करने और मानकीकरण, 6G उपयोग के लिए स्पेक्ट्रम की पहचान, उपकरणों और प्रणालियों के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने और अनुसंधान और विकास के लिए वित्त का पता लगाने जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक शीर्ष परिषद की नियुक्ति की है।
  • शीर्ष परिषद भारतीय स्टार्ट-अप, कंपनियों, अनुसंधान निकायों और विश्वविद्यालयों द्वारा 6G प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान और विकास, डिजाइन और विकास की सुविधा और वित्त पोषण करेगी। इसका उद्देश्य भारत को बौद्धिक संपदा, उत्पादों और किफायती 6G दूरसंचार समाधानों का एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्त्ता बनने में सक्षम बनाना और भारत के प्रतिस्पर्धी लाभों के आधार पर 6G अनुसंधान के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की पहचान करना है।
  • काउंसिल का मुख्य फोकस नई तकनीकों जैसे कि टेराहर्ट्ज कम्युनिकेशन, रेडियो इंटरफेस, टैक्टाइल इंटरनेट, कनेक्टेड इंटेलिजेंस के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 6G डिवाइस के लिए नए एन्कोडिंग तरीके और वेवफॉर्म चिपसेट पर होगा।

अन्य क्षेत्र 6G रोलआउट

  • दक्षिण कोरिया ने 2025 तक चलने वाले पहले चरण में 1200 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 6G अनुसंधान और विकास योजना की रूपरेखा तैयार की है, ताकि वैश्विक नेतृत्व प्राप्त किया जा सके, प्रमुख मूल तकनीकों का विकास किया जा सके, अंतर्राष्ट्रीय मानकों और पेटेंट में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सके और इसके लिए एक मजबूत नींव का निर्माण किया जा सके।
  • जापान में, इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल एंड वायरलेस नेटवर्क (IOWN) फोरम ने 6G के लिए अपना विज़न 2030 श्वेत पत्र प्रकाशित किया है, जिसमें चार आयामों: संज्ञानात्मक क्षमता, जवाबदेही, मापनीयता और ऊर्जा दक्षता में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिए प्रमुख तकनीकी दिशाएँ निर्धारित की गई हैं।