Feb. 4, 2023

असम में बाल विवाह पर शिकंजा, डोपिंग प्रतिबंध, बार हेडेड हंस, पेरिस क्लब

असम में बाल विवाह पर शिकंजा

चर्चा में क्यों ?

  • बाल विवाह पर असम सरकार की राज्यव्यापी कार्रवाई के दौरान बाल विवाह में कथित रूप से शामिल 2,000 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • बिश्वनाथ, धुबरी, बक्सा, बारपेटा, नागांव, कोकराझार और होजई जिलों में सर्वाधिक POCSO अधिनियम और बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामले दर्ज किये गए हैं।
  •  14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों पर पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा, वहीं 14 से 18 साल के बीच की लड़कियों से शादी करने वालों पर बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।

पॉक्सो एक्ट क्या है? 

  • 2012 में भारत सरकार द्वारा नाबालिग बच्चों की सुरक्षा के लिए पॉक्सो कानून बनाया गया था।
  • इस कानून के तहत 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा माना गया है और उसके साथ यौन उत्पीड़न को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
  • वर्ष 2019 में कानून में संशोधन कर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान शामिल किया गया।
  • इसका मुख्य लक्ष्य मुल्ला, काज़ी और पुजारियों को डराना था जो इन शादियों को प्रोत्साहित करते हैं। जिन महिलाओं के पति गिरफ्तार किए गए हैं, उन कमजोर महिलाओं को वित्तीय सहायता के लिए सरकार की ओरुनोदोई योजना के तहत नामांकित किया जाएगा।

बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 

  • बाल विवाह निरोधक अधिनियम 1929 के पहले के कानून के स्थान पर बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 को अधिनियमित किया गया।
  • यह नया अधिनियम बाल विवाह पर रोक लगाने, पीड़ितों को राहत देने और इस तरह के विवाह को बढ़ावा देने या इसे बढ़ावा देने वालों के लिए सजा बढ़ाने जैसे प्रावधानों को शामिल करता है।
  • इसके तहत अधिनियम को लागू करने के लिए बाल विवाह निषेध अधिकारी की नियुक्ति भी की जाती है।
  • 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 15 साल से कम उम्र की 1.5 लाख लड़कियां पहली से ही विवाहित हैं।

डोपिंग प्रतिबंध

चर्चा में क्यों ?

  • भारतीय जिमनास्टिक्स की पोस्टर गर्ल दीपा कर्माकर को इंटरनेशनल टेस्टिंग एजेंसी (ITA) द्वारा पूर्वव्यापी 21 महीने का निलंबन दिया गया है।

इंटरनेशनल टेस्टिंग एजेंसी (ITA)

  • खेलों में निष्पक्षता के लिए इसकी स्थापना की गयी जो एक स्वतंत्र गैर-लाभकारी संगठन है। यह अंतर्राष्ट्रीय जिम्नास्टिक फेडरेशन (एफआईजी) के लिए डोपिंग रोधी परीक्षण प्रक्रियाओं को संभालती है।
  • इसका उद्देश्य खेलों को डोपिंग रोधी बनाने में सहयोग करना है। इसका कहना है कि हम अपनी विशेषज्ञता, अनुभव और स्वतंत्रता का लाभ उठाकर सभी एथलीटों और डोपिंग रोधी हितधारकों के लिए वैश्विक विश्वसनीय भागीदार बनना चाहते हैं।

जिम्नास्टिक क्या है?

  • जिम्नास्टिक एक ऐसा खेल है जिसमें वे शारीरिक व्यायाम शामिल हैं जिनमें संतुलन, शक्ति, लचीलापन, चपलता, समन्वय, समर्पण और धैर्य की आवश्यकता होती है। जिम्नास्टिक के लिए हाथ, पैर, कंधे, पीठ, छाती और पेट की विकसित की गई मजबूत मांसपेशियों का अहम योगदान होता है। जिम्नास्टिक प्राचीन यूनानियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अभ्यासों से विकसित हुआ, जिसमें घोड़े पर चढ़ने- उतरने के कौशल और सर्कस प्रदर्शन कौशल शामिल थे।
  • दीपा को बीटा-2 एगोनिस्ट, हाइजेनामाइन के सकारात्मक परीक्षण के कारण 11 अक्टूबर, 2021 को प्रतियोगिता से बाहर किया गया था और यह प्रतिबंध 10 जुलाई, 2023 तक चलेगा।
  • यूनाइटेड स्टेट्स एंटी-डोपिंग एजेंसी (USADA) के अनुसार, higenamine में मिश्रित एड्रीनर्जिक रिसेप्टर गतिविधि है जिसका अर्थ है कि यह एक सामान्य उत्तेजक के रूप में कार्य कर सकता है। 
  • WADA की 2017 में प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में जोड़ा गया higenamine वायुमार्ग को खोलने के लिए एक दमा-विरोधी के रूप में कार्य कर सकता है। यह कार्डियोटोनिक भी हो सकता है, जिसका अर्थ है कि यह कार्डियक आउटपुट बढ़ाने के लिए हृदय संकुचन को मजबूत कर सकता है।
  • 29 वर्षीय खिलाड़ी दीपा विश्व कप श्रृंखला (कोटबस, दोहा, बाकू, काहिरा) के सभी चार टूर्नामेंटों और छह विश्व चैलेंज कप श्रृंखलाओं से चूक जाएगी । वह एंटवर्प में 2023 विश्व चैंपियनशिप में अपना चार साल का निर्वासन समाप्त कर सकती हैं, जो ओलंपिक क्वालीफायर इवेंट होगा।

बार हेडेड हंस

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में कुंथनकुलम - कदनकुलम पक्षी अभयारण्य में बार-हेडेड गूज देखा गया है जिसे जुलाई, 2014 में मंगोलिया में टैग किया गया था।

बार-हेडेड हंस के बारे में:

  • बार हेडेड गूज को भारत में स्थानीय भाषा में हंस, बड़ा हंस या सफेद हंस भी कहते हैं।
  • यह एक प्रवासी पक्षी है जो सर्दियों के मौसम में भारत के लगभग सभी हिस्सों में देखा जा सकता है।
  • भारत में ये अपने प्रवास के दौरान दलदली क्षेत्रों में, खेती के आस-पास वाली जगहों, पानी व घास के नजदीक, झीलों, जोहड़ों व पानी के टैंकों में देखे जा सकते है। ये एक समूह में रहते हैं।
  • ये बड़े एवं हल्के भूरे रंग के पक्षी हैं जिन्हें दुनिया के सबसे ऊँचाई पर उड़ने वाले पक्षियों में से एक माना जाता है।
  • ये एक दिन में 1,600 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने के लिए जाने जाते हैं। 
  • वैज्ञानिक नाम: अंसर इंडिकस। 
  • वितरण:  ये मध्य एशिया के मूल निवासी हैं, जहाँ ये प्रजातियाँ प्रजनन करती हैं। ये  भारत, पाकिस्तान, नेपाल, कजाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, जापान और अन्य आस-पास के क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
  • पर्यावास: ये उच्चभूमि के पठारों पर, झीलों और दलदलों के आस-पास प्रजनन करते हैं।

विशेषताएँ:

  • इस पक्षी की गर्दन व सिर का रंग सफेद, शरीर के बाकी हिस्सों का रंग दूधिया स्लेटी, चोंच व पंजों का रंग सांवला पीला होता है। 
  • इनके सिर पर काले रंग की दो धारियां दिखती हैं, जो बार (छड़) की तरह होती हैं। इन्हीं बार के कारण इनका नाम बार हेडेड गूज पड़ा है। 
  • इनकी आँखें भूरे रंग की होती हैं। नर व मादा एक जैसे दिखते हैं, लेकिन मादा आकार में नर से थोड़ी छोटी होती है। ये पक्षी मुख्यतः कई प्रकार की घास, जड़ें, तना, बीज व फल, पानी के आस-पास उगी वनस्पति से भोजन ग्रहण करते हैं।

पेरिस क्लब

चर्चा में क्यों ?

  • पेरिस क्लब द्वारा श्रीलंकाई ऋण के बारे में आईएमएफ को वित्तीय गारंटी देने की संभावना है।

प्रमुख बिंदु:

  • पेरिस क्लब ज्यादातर पश्चिमी लेनदार देशों का एक अनौपचारिक समूह है।
  • यह अर्जेंटीना और उसके सार्वजनिक लेनदारों के बीच पेरिस में 1956 की बैठक से अस्तित्व में आया।
  • इसका उद्देश्य अपने द्विपक्षीय ऋण चुकाने में असमर्थ देशों के लिए स्थायी ऋण-राहत समाधान खोजना है।
  • पेरिस क्लब के सदस्य आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के सदस्य भी हैं।
  • सदस्य: ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, इज़राइल, जापान, नीदरलैंड, नॉर्वे, रूस, दक्षिण कोरिया, स्पेन, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।
  • अपनी स्थापना के बाद से, पेरिस क्लब 102 विभिन्न देनदार देशों के साथ 478 समझौतों पर पहुंच गया है, जिसमें कुल 614 अरब डॉलर का कर्ज है।
  • पेरिस क्लब सर्वसम्मति और एकजुटता के सिद्धांतों पर काम करता है और देनदार देश के साथ किया गया कोई भी समझौता पेरिस क्लब के सभी लेनदारों पर समान रूप से लागू होता है।
  • पिछली शताब्दी में क्लब एक प्रमुख द्विपक्षीय ऋणदाता हुआ करता था, लेकिन चीन के दुनिया के सबसे बड़े द्विपक्षीय ऋणदाता के रूप में उभरने के साथ इसका महत्व कम हो गया है।
  • श्रीलंका के मामले में, चीन, जापान और भारत सबसे बड़े द्विपक्षीय लेनदार हैं, जापान पेरिस क्लब का सदस्य है।