Aug. 23, 2023

मानहानि

मानहानि

चर्चा में क्यों ?

  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात की एक अदालत द्वारा मानहानि मामले में राहुल गांधी को सुनाई गई दो साल की सजा पर रोक लगा दी गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के तहत राहुल की सजा को स्थगित रखा जाएगा। 
  • न्यायमूर्ति B. R. गवई की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ के अनुसार, गुजरात की निचली अदालत द्वारा राहुल को अधिकतम दो साल की सजा दिए जाने के प्रावधान उचित न बताते हुए सांसद के रूप में राहुल को अयोग्य घोषित करना अनुचित है।
  • यानी अयोग्यता फिलहाल अनिवार्य रूप से रद्द कर दी गई है। अपील प्रक्रिया पूरी होने तक राहुल की अयोग्यता स्थगित रहेगी।
  • 'लोक प्रहरी बनाम भारत संघ' मामले में 2018 के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अयोग्यता "अपीलीय अदालत द्वारा दोषसिद्धि पर रोक की तारीख से लागू नहीं होगी"।
  • लोकसभा अध्यक्ष द्वारा अयोग्यता को औपचारिक रूप से रद्द नहीं किया गया है
  • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, सजा के व्यापक प्रभाव न केवल राहुल के सार्वजनिक जीवन को बल्कि मतदाताओं के अधिकारों को भी प्रभावित करते हैं।

पृष्ठभूमि 

  • 2019 में राहुल गाँधी द्वारा लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में 'मोदी' उपनाम के ऊपर कटाक्ष किया गया था।
  • जिसके परिणामस्वरूप गुजरात राज्य के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी के द्वारा सूरत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक निजी शिकायत दर्ज की गई, जिसमें कांग्रेस नेता पर मोदी नाम पर मानहानि का केस लगाया।
  • न्यायिक मजिस्ट्रेट ने राहुल को IPC की धारा 500 के तहत आपराधिक मानहानि का दोषी पाया, और उन्हें उस धारा के तहत अधिकतम सजा दी, जो दो साल की जेल है।
  • न्यायिक मजिस्ट्रेट के फैसले के आधार पर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) स्वत: लागू हो गई।
  • धारा 8(3) के तहत “किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया और कम से कम दो साल के कारावास की सजा पाने वाला व्यक्ति अपराध की तारीख से अयोग्य हो जाएगा। इसके अतिरिक्त  दोषसिद्धि और उसकी रिहाई के बाद छह साल की अगली अवधि के लिए भी अयोग्य घोषित हो जाएगा।''

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