April 1, 2023

अरावली ग्रीन वाल परियोजना

 

चर्चा में क्यों?

  • केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने हरियाणा के गुरुग्राम ज़िले के टिकली गाँव में अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस के अवसर पर ‘अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट’ का उद्घाटन किया।

‘अरावली रेंज’

  • अरावली रेंज 3 राज्यों- हरियाणा, राजस्थान , गुजरात  और एक केंद्रशासित प्रदेश दिल्ली तक प्रसारित है।
  • यह उत्तर भारतीय (North India) पर्वतमाला 692 किलोमीटर लंबी है।
  • यह एक अवशिष्ट पर्वत है एवं विश्व के प्राचीनतम मोड़दार पर्वतों में से एक है।
  • अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही ज़िले में 'गुरुशिखर' (1727 मी.) है, जो माउंट आबू में है।
  • अरावली की औसत ऊँचाई 920 मीटर है तथा इसके दक्षिणी भाग की ऊँचाई व चौड़ाई सर्वाधिक है।
  • यह पर्वत श्रेणी क्वार्ट्ज चट्टानों से निर्मित है।
  • इनमें सीसा, तांबा, जस्ता आदि खनिज पाये जाते हैं। इस पर्वत श्रेणी को उदयपुर के निकट 'जग्गा पहाड़ियों', अलवर के निकट 'हर्षनाथ की पहाड़ियों' एवं दिल्ली के निकट इसे 'दिल्ली की पहाड़ियों' के नाम से जाना जाता है।
  • यह पश्चिमी मरुस्थल के विस्तार को रोकने का कार्य करती है। यह अनेक प्रमुख नदियों- बाना, लूनी, साखी एवं साबरमती का उदगम स्थल है। इस पर्वतमाला में केवल दक्षिणी क्षेत्र में सघन वन हैं, अन्यथा अधिकांश क्षेत्रों में यह विरल, रेतीली एवं पथरीली (गुलाबी रंग के स्फ़टिक) है।

‘अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट’

  • इस कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा वानिकी के माध्यम से मरुस्थलीकरण और भूमि क्षरण का मुकाबला करने के लिये ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट शुरू किया गया।
  • अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के तहत वनरोपण, पुन: वनीकरण और जल स्रोतों की बहाली के माध्यम से अरावली के हरित क्षेत्र और जैव विविधता में वृद्धि होगी।
  • मिट्टी की उर्वरता, पानी की उपलब्धता और जलवायु में भी सुधार किया जायेगा।
  • यह परियोजना स्थानीय समुदायों को रोज़गार के अवसर, आय सृजन और पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाएँ प्रदान करने का प्रयास है।
  • हरियाणा में अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के शुरुआती चरण में, परियोजना के तहत 75 जल स्रोतों का कायाकल्प किया जाएगा।
  • परियोजना में अरावली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान और जल संसाधनों का संरक्षण भी शामिल होगा। यह परियोजना गुरुग्राम, फरीदाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़ और रेवाड़ी ज़िलों में बंजर भूमि को शामिल करेगी।
  • यह देश भर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार करने के विजन का हिस्सा है। इसमें स्वैच्छिक संगठन, सोसाइटी फॉर जियोइन्फॉर्मेटिक्स एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट, IAM गुरुग्राम क्रमश: बंधवाड़ी और घाटबंध में जल स्रोतों के पुनरुद्धार के लिये श्रमदान के उद्देश्य से लोगों को जुटाने के काम में लगे हुए हैं।

अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-

  • अरावली रेंज की पारिस्थितिकी सेहत में सुधार।
  • थार मरुस्थल के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने और हरित अवरोधों को बनाकर भूमि क्षरण को कम करना, जिससे मिट्टी के कटाव, मरुस्थलीकरण और धूल भरी आंधियों को रोकना।
  • यह हरित दीवार अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियों को लगाकर, वन्यजीवों के लिये आवास प्रदान करके तथा पानी की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करके अरावली रेंज की जैव विविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाने के लिये कार्बन पृथक्करण और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगी।
  • वनीकरण, कृषि-वानिकी और जल संरक्षण गतिविधियों से स्थानीय समुदायों को जोड़कर सतत् विकास और आजीविका के अवसरों को बढ़ावा देना, जिससे आय, रोज़गार, खाद्य सुरक्षा और सामाजिक लाभ सामने आएंगे।
  • इस परियोजना को केंद्र और राज्य सरकारों, वन विभागों, अनुसंधान संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों, निजी क्षेत्र की संस्थाओं और स्थानीय समुदायों जैसे विभिन्न हितधारकों द्वारा निष्पादित किया जाएगा। परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त वित्तपोषण, तकनीकी कौशल, नीति समन्वय और जन-जागरूकता आदि पर काम किया जाएगा।
  • UNCCD  (यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन), CBD (कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी) और UNFCCC(यूनाइटेशन नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज) जैसे विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत भारत की प्रतिबद्धताओं के लिये योगदान करना।

अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस

  • यह पहली बार 1971 में मनाया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी FAO( खाद्य और कृषि संगठन) की एक पहल थी।
  • इसे जीवन में वनों के प्रति सम्मान और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में मनाया गया था। यह वनों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने का भी प्रयास करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने भी 2011 से 2020 के दशक को ‘वनों का अंतर्राष्ट्रीय दशक’ घोषित किया। वर्ष 2012 में 21 मार्च को ‘अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस’ के रूप में घोषित किया गया।
  • इसका उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संबंधी परियोजनाओं को बढ़ावा देना था।
  • थीम – 2023 के लिए अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस (अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस) की थीम "वन और स्वास्थ्य" है।
  • वन न केवल स्वच्छ हवा, पानी, भोजन आदि देते हैं, बल्कि वे पारंपरिक ज्ञान-विज्ञान और औषधियों के संसाधन भी हैं।