June 24, 2023

एक उद्यमशील विश्वविद्यालय

चर्चा में क्यों?

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की अवधारणा को संस्थागत बनाने का कदम शिक्षा जगत और पेशेवर दुनिया के बीच की खाई को पाटने में मदद कर सकता है।

 

प्रमुख बिंदु 

  • 'वैश्विक स्तर पर, नए जमाने के विश्वविद्यालयों और 'शैक्षिक उद्यमियों' की सोच शिक्षा एवं उद्यम के बीच एक अच्छा संतुलन सुनिश्चित करने की है।'
  • नया ज्ञान हमेशा अलग-अलग या प्रतिस्पर्द्धी विषयों के बीच बातचीत का परिणाम होता है। जब विभिन्न प्रयासों के विविध खिलाड़ी अपने अनुभव को साझा करते हैं, तो संस्थान और संगठन लाभ कमाते हैं क्योंकि ये संयुक्त उद्यम ज्ञान के एक नए निकाय के निर्माण की ओर ले जाते हैं।
  • आधुनिक विश्वविद्यालय प्रणाली में भी विभिन्न क्षेत्रों के खिलाड़ियों को अनेक विषयों में अनुसंधान और अध्ययन हेतु एक समग्र मंच प्रदान कर नवीन समाधानों की खोज की जा सकती है।
  • पिछले कुछ वर्षों में, बहु-विषयक अध्ययनों में जैव रसायन और कंप्यूटिंग विज्ञान जैसे नए विषयों को देखा गया है, जो बदले में वर्तमान प्रचलन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और जेनरेटिव एआई सहित दर्जनों नए उप-विषयों को जन्म दे रहे हैं।
  • जबकि आधुनिक विश्वविद्यालय प्रणाली ने दुनिया भर में नए विषयों के विकास और वृद्धि को गति दी है, जो अकादमिक एवं औद्योगिक अनुसंधान कार्यों को एक साथ लाने वाले नवाचार विश्वविद्यालयों के लिए आर्थिक और बौद्धिक मूल्य पैदा कर रही है।

 

एक नया चरण

  • नए उत्पादों, सेवाओं, प्लेटफार्मों और पेटेंट को जन्म देने वाले नवाचारों के निर्माण के लिए शिक्षा जगत और उद्योग का यह संयुक्त उद्यम एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है।
  • इसी को देखते हुए विश्वविद्यालयों को नए ज्ञान और अनुसंधान का स्रोत होना चाहिए और इस दृष्टिकोण के व्यावसायीकरण के किसी भी प्रयास की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन, विश्व स्तर पर विश्वविद्यालयों एवं  'शैक्षिक उद्यमियों' की शिक्षा और उद्यम के बीच एक अच्छा संतुलन सुनिश्चित करना आवश्यक है।

UGC का दबाव

  • भारत में, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की 'प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस' की अवधारणा को संस्थागत बनाने की पहल शायद एक उद्यमशील विश्वविद्यालय की ओर एक संकेत है।
  • UGC विश्वविद्यालय नवाचार को बढ़ावा देने के साथ प्रतिभाशाली मस्तिष्कों के साथ नए समूह ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ाने की ओर प्रयासरत हैं।

 

"प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस (POP) 

  • इसका उद्देश्य चिकित्सकों, नीति निर्माताओं, कुशल पेशेवरों आदि को उच्च शिक्षा प्रणाली में लाकर उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाना है।"
  • यह पहल पदों की एक नई श्रेणी के माध्यम से उद्योग और अन्य पेशेवर विशेषज्ञता को शैक्षणिक संस्थानों में लाना चाहती है। इससे वास्तविक दुनिया की प्रथाओं और अनुभवों को कक्षाओं में ले जाने में मदद मिलेगी एवं उच्च शिक्षा संस्थानों में संकाय संसाधनों में भी वृद्धि होगी।
  • POP आमतौर पर अनुभव वाला एक व्यक्ति होता है, जिसे छात्रों के साथ अपने व्यावहारिक ज्ञान और कौशल को साझा करने के लिए विश्वविद्यालय में संकाय पद पर नियुक्त किया जाता है।
  • पारंपरिक अकादमिक प्रोफेसरों के विपरीत, POP को अक्सर बाहरी शिक्षा जगत से नियुक्त किया जाता है और इसके लिए Ph.D या अन्य उन्नत शोध डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है।
  • किसी विशिष्ट पेशे या उद्योग में POP विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर, उनसे कक्षा में वास्तविक दुनिया की अंतर्दृष्टि और दृष्टिकोण लाने की अपेक्षा की जाती है। POP उन क्षेत्रों में पाए जा सकते हैं जिनमें व्यवसाय, इंजीनियरिंग, कानून, पत्रकारिता और कला शामिल हैं।
  • उदाहरण के लिए, इंजीनियरिंग के क्षेत्र में, एक POP ऐसे पाठ्यक्रम पढ़ा सकता है जो व्यावहारिक, वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और व्यावहारिक शिक्षण में अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हैं।
  • वे छात्र परियोजनाओं के लिए सलाहकार के रूप में काम कर सकते हैं; नए पाठ्यक्रम विकसित कर सकते हैं जो उद्योग के रुझानों से अधिक मेल खाते हों; अनुसंधान परियोजनाओं पर अन्य संकाय के साथ सहयोग कर सकते हैं तथा पेटेंट को वाणिज्यिक उत्पादों में परिवर्तित करने के तरीकों को इंगित कर सकते हैं।

 

नवाचार अगला स्तंभ है

  • POP विश्वविद्यालयों के लिए राजदूत के रूप में कार्य कर सकते हैं, उद्योग भागीदारों के रूप में और छात्रों को इंटर्नशिप तथा नौकरी के अवसरों से जोड़ने में मदद कर सकते हैं।
  • POP किसी विश्वविद्यालय की व्यावसायिक सोच को नया आकार दे सकते हैं और उन कार्यों को सक्रिय कर सकते हैं जो विश्वविद्यालय की संस्कृति में जीवंतता जोड़ते हैं।
  • यह नवोन्मेषी संस्कृति दृढ़ता से स्थापित होने पर प्रत्येक शैक्षणिक व्यक्ति, विचारों को संश्लेषित करने और स्टार्ट-अप उद्यमों को शुरू करने में सक्षम होगा।
  • ये विश्वविद्यालय-आधारित स्टार्ट-अप न केवल विचारों को विकसित करेंगे, बल्कि विचारों को पेटेंट में परिवर्तित करेंगे और पेटेंट को वाणिज्यिक उत्पादों में बदलने में सहायक होंगे।