Oct. 21, 2022

वैदिक तारामंडल मंदिर

चर्चा में क्यों ?

पश्चिम बंगाल के मायापुर में इस्कॉन नामक संस्था द्वारा निर्मित वैदिक तारामंडल मंदिर जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक बन जाएगा।

वर्तमान में मंदिर निर्माणाधीन है। इसके 2023 तक तैयार हो जाने की पूर्ण सम्भावना है।  

वैदिक तारामंडल मंदिर के बारे में:

  • यह दुनिया के सबसे ऊँचे हिंदू मंदिरों में से एक होगा। इसकी आधारिक  संरचना वेटिकन सिटी के सेंट पॉल कैथेड्रल और ताजमहल से भी बड़ी है।
  • यह मंदिर, इस्कॉन ( इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस) के संस्थापक आचार्य प्रभुपाद के  दृष्टिकोण पर आधारित है। यह इस्कॉन का मुख्यालय बनाया जायेगा।
  • इस मंदिर के निर्माण का उद्देश्य लोगों को वैदिक संस्कृति के प्रति जागरूक करना है जो दुनिया में वैदिक ज्ञान के प्रसार में मदद करेगा।
  • वस्तुतः तारामंडल में एक बड़ा घूमने वाला मॉडल होता है जो भागवत पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में वर्णित ग्रह प्रणालियों की गति को दर्शाता है।
  • 380 फीट ऊँचे इस मंदिर में ब्लू बोलिवियन मार्बल का उपयोग किया गया है, जो मंदिर में पश्चिमी वास्तुकला के प्रभाव को दर्शाता है।
  • भगवान कृष्ण (अधिकांश इस्कॉन मंदिरों की तरह) को समर्पित होने के बावजूद, मंदिर हर धर्म, जाति और पंथ के लोगों के लिए सुलभ होगा।

मायापुर ही क्यों ?

  • मायापुर को चैतन्य महाप्रभु, एक वैष्णव संत की जन्मस्थली होने के कारण चुना गया था। इसे “स्वर्ण अवतार की भूमि” के रूप में भी जाना जाता है।
  • मायापुर शहर में इस्कॉन द्वारा स्थापित पहला मंदिर चंद्रोदय मंदिर है। इस्कॉन के संस्थापक श्री प्रभुपाद की समाधि भी यहीं स्थित है।
  • दुनिया में सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक अंगकोर वाट है, जो उत्तरी कंबोडिया में स्थित एक विशाल बौद्ध मंदिर परिसर है।

इस्कॉन ( International Society for Krishna Consciousness - ISKCON )

  • अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ या इस्कॉन को  "हरे कृष्ण आन्दोलन" के नाम से भी जाना जाता है।
  • इसे1966 में न्यूयॉर्क नगर में भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद ने प्रारम्भ किया था। देश-विदेश में इसके अनेक मंदिर और विद्यालय हैं।
  • न्यूयॉर्क से प्रारंभ हुई कृष्ण भक्ति की निर्मल धारा शीघ्र ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी। कई देश हरे रामा-हरे कृष्णा के पावन भजन से गुंजायमान होने लगे।
  • अपने साधारण नियम और सभी जाति-धर्म के प्रति समभाव के चलते इस मंदिर के अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हर वह व्यक्ति जो कृष्ण में लीन होना चाहता है, उनका यह मंदिर स्वागत करता है।

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