July 27, 2022

नए संसद भवन पर राष्ट्रीय चिह्न (अशोक स्तम्भ) का अनावरण

चर्चा में क्यों?  

• हाल ही में, प्रधानमंत्री द्वारा विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बनाये जा रहे नए संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय चिह्न (National Emblem) का अनावरण किया गया ।

• नए संसद भवन के शीर्ष पर स्थापित यह राष्ट्रीय प्रतीक 6.5 मीटर ऊंचा एवं कांस्य धातु  से बना है तथा  इसका वजन 9,500 किलोग्राम है। साथ ही प्रतीक को सहारा देने के लिए लगभग 6,500 किलोग्राम वजन वाली स्टील की एक सहायक संरचना का निर्माण किया गया है। इसकी अवधारणा का रेखाचित्र और प्रक्रिया, मिट्टी प्रारूप/ कंप्यूटर ग्राफिक से लेकर कांस्य ढलाई और पॉलिश करने तक की तैयारी सहित आठ विभिन्न चरणों से गुजरी है।  

राष्ट्रीय चिह्न के बारे में

• भारत का राष्ट्रीय चिह्न (National Emblem of India), सारनाथ स्थित अशोक के सिंह स्तंभ की अनुकृति है, जो सारनाथ के संग्रहालय में सुरक्षित है। इसे 26 जनवरी, 1950 को भारत के ‘राष्ट्रीय चिन्ह’ के रूप में अपनाया गया था। इसमें देवनागरी लिपि में “सत्यमेव जयते” लिखा है।

• इसे समकालीन भारत द्वारा विश्व शांति और सद्भावना के प्रति अपनी प्राचीन प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में चुना गया था।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि  

• वाराणसी के निकट सारनाथ में स्थित अशोक का स्तंभ मौर्यकालीन स्तंभ एवं मूर्तिकला का सर्वोत्कृष्ट उदाहरण है। इस स्तंभ की गोलाकार वेदी या अबेकस पर चार शेर एक-दूसरे की ओर पीठ किए हुए स्थापित किए गए हैं जो चारों दिशाओं को निरूपित करते हैं।  

• एक ही पत्थर को काटकर बनाए गए इस सिंह स्तंभ के ऊपर ‘धर्मचक्र’ रखा हुआ है। इन शेरों के मुख खुले हुए हैं, जो चारों दिशाओं में धम्म का प्रसार एवं विश्व को चार आर्य सत्यों का उपदेश देते हुए भगवान बुद्ध को प्रतीकबद्ध करते हैं।

• इस वेदी के निचले भाग में चार पशु उत्कीर्ण किए गए हैं, जो हैं- एक चौकड़ी भरता घोड़ा, एक साँड, एक हाथी एवं एक शेर। इनके बीच-बीच में चक्र बने हुए हैं।

• ये पशु अनंत काल तक अस्तित्व का चक्र घुमाते हुए एक-दूसरे का पीछा करते हुए प्रतीत होते हैं। दरअसल, हाथी, भगवान बुद्ध की माता माया के स्वप्न एवं उनके गर्भ में प्रवेश करता हुआ श्वेत हाथी का प्रतीक है। साँड, वृषभ राशि का प्रतीक है जिस माह में भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। घोड़ा, भगवान बुद्ध के कंथक अश्व को दर्शाता है, जिसका उपयोग बुद्ध ने गृहत्याग के समय किया था और शेर, भगवान बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक है।

• शीर्ष फलक या अबेकस के नीचे मुण्डक उपनिषद् का सूत्र वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ देवनागरी लिपि में लिखा गया है, जिसका अर्थ होता है ‘सत्य की ही विजय होती है।’

• सारनाथ का यह शीर्ष स्तंभ भगवान बुद्ध द्वारा दिए गए पहले उपदेश की स्मृति में बनवाया गया था। इसे ‘धर्मचक्र प्रवर्तन’ के नाम से भी जाना जाता है |

अशोक स्तंभ की राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में प्रासंगिकता  

राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में इसकी प्रासंगिकता को इस रूप में भी समझ सकते हैं कि इसमें दर्शाए गए चार शेर, शक्ति एवं सामर्थ्य को प्रदर्शित करते हैं एवं ये शेर शांत मुद्रा में बैठे हुए हैं, जोकि संयम को दर्शाते हैं। यही शक्ति एवं संयम के संयोजन का सिद्धांत हमारे देश भारत की विदेश नीति का मूल आधार है, जिसे ‘No First Use’  नीति के माध्यम से समझ सकते हैं।

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