Aug. 2, 2022

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर और उसके न्यासों (ट्रस्ट) के 25 वर्षों के खातों के विशेष ऑडिट को पूरा करने का समय 31 अगस्त, 2022 तक बढ़ा दिया है।

क्या है विवाद ?

  • दरअसल , वर्ष 2011 में श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर की भूमिगत तिजोरियों में रखे गए 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक के खजाने की खोज की गई। तब से यह मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है |
  • इसके बाद वर्ष 2011 में  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि परंपरागत कानून के अनुसार, अंतिम शासक की मृत्यु के बाद भी शाही परिवार के सदस्यों के पास शेबैत अधिकार/ प्रबंधन करने का अधिकार (Shebait Rights) है। वस्तुतः शेबैत अधिकारों का तात्पर्य है देवता के वित्तीय मामलों के प्रबंधन का अधिकार।
  • श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर से सम्बंधित ट्रस्ट को त्रावणकोर के शाही परिवार द्वारा बनाया गया है।
  • हालाँकि,सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य में मंदिर के पारदर्शी प्रशासन के लिये तिरुवनंतपुरम ज़िला न्यायाधीश के अधीन एक प्रशासनिक समिति के गठन का निर्देश दिया था ।
  • इस पर ट्रस्ट का कहना है, चूँकि इसका गठन (न्यायालय के पूर्व के आदेश पर) मंदिर के अनुष्ठानों की देख-रेख के लिये किया गया था, प्रशासन में इसकी कोई भूमिका नहीं थी, यह मंदिर से अलग एक इकाई है और इसे ऑडिट में शामिल नहीं किया जा सकता है। 
  • प्रशासनिक समिति के अनुसार, यह अत्यधिक वित्तीय तनाव की स्थिति है और त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा संचालित मंदिर से संबंधित ट्रस्ट ऑडिट की मांग के खर्च को पूरा करने में सक्षम नहीं है।
  • सितम्बर, 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया था , जिसमें वर्ष 2020 में  अदालत के आदेश के अनुसार इसे विगत 25 साल के ऑडिट से छूट देने की मांग की गई थी।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के बारे में 

  • श्री पद्मनाभस्वामी के मंदिर की स्थापना के सन्दर्भ में विद्वानों में मतभेद नजर आता है | कुछ इतिहासकारों का कहना है कि मंदिर 8वीं शताब्दी का है लेकिन वर्तमान मंदिर संरचना 18वीं शताब्दी में त्रावणकोर के तत्कालीन महाराज मार्तंड वर्मा द्वारा बनाई गई थी | 
  • यह मंदिर शुरू में लकड़ी का बना था लेकिन बाद में इसे ग्रेनाइट से बनाया गया।
  • यह भारत में वैष्णववाद से जुड़े 108 पवित्र मंदिरों में से एक केरल का प्रसिद्ध मंदिर है | यह उन कुछ मंदिरों में से एक है जहाँ भगवान विष्णु को शेषशायी मुद्रा (वह मुद्रा , जिसमें भगवान विष्णु को शेषनाग की शय्या पर लेटे हुए दिखाया जाता है ) में दर्शाया गया है तथा उनकी नाभि से निकले कमल पर सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा को बैठे हुए दर्शाया गया है |
  • यह केरल में एकमात्र प्रमुख मंदिर संरचना है जो द्रविड़ शैली की वास्तुकला और केरल स्थापत्य की स्थानीय विशेषताओं के समन्वय का प्रतिनिधित्व करती है।
  • यह मंदिर वास्तुकला की अनूठी चेर शैली में निर्मित है तथा इस मंदिर का प्रवेश द्वार या गोपुरम द्रविड़ शैली के मंदिरों के समान है जो ज्यादातर तमिलनाडु में पाए जाते हैं| केरल के किसी अन्य प्रमुख मंदिर में इतनी विस्तृत प्रकृति का गोपुरम नहीं है।

*****