Oct. 20, 2022

मोहनजोदड़ो

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भारी बारिश और बाढ़ के कारण मोहनजोदड़ो के पुरातात्विक स्थल पर भारी तबाही मची| पाकिस्तान के पुरातत्व विभाग द्वारा चेतावनी दी गयी कि अगर इसके संरक्षण और जीर्णोद्धार पर तत्काल ध्यान नहीं दिया गया, तो मोहनजोदड़ो का यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल का दर्जा खतरे में पड़ सकता है|

 मोहनजोदड़ो के बारे में

  • ‘मोहनजोदड़ो’ का शाब्दिक अर्थ है 'मृतकों का टीला' |
  • मोहनजोदड़ो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में सिंधु नदी के किनारे स्थित है|
  • यह सिन्धु सभ्यता (हड़प्पा सभ्यता) का सबसे बड़ा शहर था जिसकी खोज 1922 में राखलदास बनर्जी और सर जॉन मार्शल द्वरा की गयी|
  • यहाँ के दुर्ग क्षेत्र में एक सभागार, पुरोहितों का आवास,महाविद्यालय तथा महास्नानागार के साक्ष्य मिले हैं|
  • मोहनजोदड़ो के भवन पकी ईटों से निर्मित हैं| मकान में आंगन, रसोईघर, कुंआ, स्नानागार आवश्यक रूप से जुड़े होते थे| ये मकान तीन मंजिल तक हो सकते थे, क्योंकि यहाँ से पहले तल्ले पर जाने की सीढ़ी का साक्ष्य मिला है| नगर में प्रवेश द्वार दक्षिण एवं उत्तर की तरफ निर्मित थे|
  • यह स्ट्रीट ग्रिड(सड़कें ग्रिड प्रणाली पर आधारित), विकसित जल आपूर्ति, जल निकासी, , शौचालय और उत्तम सीवरेज व्यवस्था के साथ विस्तृत टाउन प्लानिंग के लिए प्रसिद्ध है|
  • यहाँ पर सड़क को पक्की करने का साक्ष्य मिला है, जो पूरी हड़प्पा सभ्यता में एक मात्र ऐसा उदाहरण है| नाव के चित्रयुक्त बर्तन तथा हड्डी से बनी सुई प्राप्त हुई है|
  • पक्की ईटों  से बना स्नानागार  इसकी सबसे प्रसिद्ध सरंचना है जहाँ पानी के रिसाव को रोकने के लिए फर्श और बाहरी दीवारों पर ज़िप्स्म का लेप किया गया था| स्नानागार के चारों ओर खुले बरामदे भी मिले हैं|
  • इस स्थल का सबसे बड़ा स्थापत्य निर्माण एक अन्नागार है जिसमें विभिन्न आकार के 27 कक्ष बने हुए थे|
  • यहाँ पुजारी ,देवी की मूर्ति ,एक नर्तकी और पशुपति शिव की मुहर आदि के भी साक्ष्य पाए गये हैं| 
  • यहाँ की अधिकांश जातियाँ भूमध्यसागरीय प्रतीत होती हैं|
  • यहाँ से 1200 मुद्राओं की प्राप्ति हुई है| 

यूनेस्को विश्व विरासत स्थल 

  • यूनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे विशेष स्थानों (जैसे- वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन, या शहर इत्यादि) को कहा जाता है, जो विश्व विरासत स्थल समिति द्वारा चयनित होते हैं और यही समिति इन स्थलों की देखरेख यूनेस्को के तत्वाधान में करती है|
  • वर्तमान में भारत में कुल 40 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं, जिनमें 7 प्राकृतिक, 32 सांस्कृतिक और 1 मिश्रित स्थल है|
  • अभी वर्तमान में पूरे विश्व में 1154 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं, जिसमें 897 सांस्कृतिक, 218 प्राकृतिक और 39 मिश्रित स्थल हैं|
  • भारत का 39वाँ विश्व धरोहर विरासत धरोहर स्थल कालेश्वर (रामप्पा) मंदिर है जो तेलंगाना में स्थित है|
  • भारत का 40वाँ विश्व विरासत धरोहर स्थल हड़प्पा सभ्यता का शहर धौलावीरा है जो गुजरात में स्थित है|
  • महाराष्ट्र राज्य में सबसे ज्यादा यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं, महाराष्ट्र में 5 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल हैं|

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