July 28, 2022

मोढेरा सूर्य मंदिर

चर्चा में क्यों ?  

अहमदाबाद शहर के कालूपुर में अहमदाबाद रेलवे स्टेशन को अगले पांच वर्षों में मोढेरा सूर्य मंदिर की थीम पर विकसित किया जाएगा।

मोढेरा सूर्य मंदिर के विषय में

• मोढेरा सूर्य मंदिर अहमदाबाद के निकट मेहसाणा जिले के मोढेरा गाँव में स्थित है जो सूर्य देवता को समर्पित एक हिंदू मंदिर है।यह पुष्पावती नदी के तट पर स्थित है।

• मोढेरा का मंदिर पूरे गुजरात में बने सभी सूर्य मंदिरों में सबसे महत्वपूर्ण है। यह कश्मीर (मार्तंड) और उड़ीसा (कोणार्क) के अन्य दो प्रसिद्ध सूर्य-मंदिरों के समान महत्व रखता है|

• इसका निर्माण सूर्य देव के सम्मान में चालुक्य वंशीय शासक भीम प्रथम के शासनकाल के दौरान 1026-27 ईस्वी में करवाया गया था| इस शानदार स्थापत्य स्मारक के अवशेष अभी भी भव्यता की झलक दिखाते हैं और इस स्थल की पवित्रता की गवाही देते हैं।

• कहा जाता है कि मोढेरा या मोढेरापुरा, जिसे मुंडेरा के नाम से भी जाना जाता है, मोढा  ब्राह्मणों की मूल बस्ती रही है। रामायण से संबंधित अपने पौराणिक अतीत के कारण यह भी माना जाता है कि मोढा ब्राह्मणों ने राम और सीता के विवाह के अवसर पर मोढेरा को प्राप्त किया था।

• इस मंदिर के तीन मुख्य भाग हैं- गर्भगृह एवं गूढ़मंडप लिए मुख्य मंदिर, सभामंडप तथा सूर्यकुंड।

• गर्भगृह एवं एक मंडप से सुसज्जित मुख्य मंदिर को गूढ़मंडप कहा जाता है।

• मंदिर का सभामंडप एक अष्टभुजीय कक्ष है। इसमें लगे तोरण मानो भक्तों का स्वागत करते प्रतीत होते हैं। सभामंडप के स्तंभों पर उत्तम नक्काशी की गई है। साथ ही स्तंभों के बीच अर्द्धवृत्ताकार वृत्तखण्ड लगे हैं, जिन्हें मंडोवार कहा जाता है। इस संरचना से मंदिर का विमान एवं शिखर अलग-अलग दिखता है।

• सभामंडप में 52 स्तंभों का निर्माण किया गया है, जो एक सौर वर्ष के 52 सप्ताहों को दर्शाते हैं।

• मंदिर परिसर के पूर्वी छोर पर सूर्यकुंड या बावड़ी की संरचना की गई है जिसे रामकुंड भी कहा जाता है | इसकी सीढ़ियों पर कई छोटे-बड़े मंदिर निर्मित हैं जो भगवान शिव, गणेश, विष्णु आदि को समर्पित हैं।

• इस सूर्य मंदिर की संरचना इस तरह की गई है कि विषुव के समय यानी 21 मार्च एवं 21 सितंबर के दिन सूर्य की प्रथम किरण गर्भगृह के भीतर स्थित प्रतिमा पर पड़ती है।

• इसके अलावा, उल्टे कमल रूपी आधार के ऊपर लगे फलकों पर हाथियों की मूर्तियाँ बनायी गई हैं। इसे गज पेटिका कहा जाता है।

• वास्तुकला एवं शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करते  हुए इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके निर्माण में जोड़ लगाने के लिए कहीं भी चूने का प्रयोग नहीं किया गया है।

• इसके अतिरिक्त यहाँ मातंगी मदेश्वरी माता का प्रसिद्ध मंदिर भी अवस्थित है, मूल मंदिर प्राचीन सीढ़ीदार कुएं में है। मोढा समुदाय के लोग माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं।

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