Oct. 27, 2022

लोथल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) स्थल के निर्माण की समीक्षा की।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर

यह परियोजना मार्च 2022 में शुरू की गयी और इसे 3,500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जा रहा है।

इसमें चार थीम पार्क हैं - मेमोरियल थीम पार्क, मैरीटाइम एंड नेवी थीम पार्क, क्लाइमेट थीम पार्क और एडवेंचर एंड एम्यूजमेंट थीम पार्क।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर भारत के विविध समुद्री विरासत के अध्ययन के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।

विश्व का सबसे ऊँचा लाइटहाउस संग्रहालय परिसर में होगा।

यह लोथल को विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में भी मदद करेगा।

लोथल के बारे में

लोथल सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक था जो विश्व का सबसे पुराना बंदरगाह था।

माना जाता है कि यह बंदरगाह शहर 2,200 ईसा पूर्व में स्थापित किया गया था। यह अब गुजरात राज्य के भाल क्षेत्र में स्थित है।

लोथल सिंधु घाटी सभ्यता (IVC) का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था।

यह भारत की समुद्री शक्ति और समृद्धि का प्रतीक था क्योंकि इसके मोतियों, रत्नों और गहनों का व्यापार पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुंच गया था।

गुजराती में लोथल  का अर्थ "मृतकों का टीला" है। संयोग से, मोहनजोदड़ो शहर(अब पाकिस्तान में स्थित) के  नाम का अर्थ सिंधी में यही है।

लोथल की खोज

गुजरात के अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के किनारे खम्भात की खाड़ी के निकट स्थित इस आयताकार स्थल की खोज 1957 में रंगनाथ राव ने की थी। 

लोथल का अर्थ है मुर्दों का नगर। पूरे सिंधु सभ्यता का यह एकमात्र ऐसा स्थल है जहाँ से गोदीवाड़ा (डॉकयार्ड) का साक्ष्य मिला है जिसका आकार 214 मीटर * 36 मीटर * 3.3 मीटर का है।

यहाँ से वृत्ताकार तथा चौकोर अग्नि वेदिका के साक्ष्य मिले हैं। यहाँ से बर्तन के टुकड़ों पर लगे हुए चावल के दाने प्राप्त हुए हैं, साथ ही बाजरे की भी प्राप्ति हुई है।

यहाँ से तीन युग्मित समाधि मिली है। साथ ही एक ममी का उदाहरण भी मिला है जिसे मिस्र के संपर्क का परिणाम माना जा सकता है। एक मकान का दरवाजा मुख्य सड़क की ओर खुलने का साक्ष्य मिला है।

यहाँ से अनाज पीसने की चक्की तथा मनका बनाने का कारखाना एवं पूरा हाथी दांत मिला है। साथ ही यहाँ से सूती वस्त्र तथा रंगाई के कुंड भी प्राप्त हुए हैं। 

यहाँ मिट्टी से बनी दो पशु आकृतियाँ, गोरिल्ला के अंकन वाली मुद्रा तथा बारहसिंघे के अंकन वाली मुहर प्राप्त हुई हैं। साथ ही दो मुंहे राक्षस के अंकन वाली फारसी मुद्रा भी प्राप्त हुई है।

यहाँ की मुहरों तथा बर्तनों पर बत्तख का चित्रण सर्वाधिक है। यहाँ से एक खिलौना ऐसा मिला है, जिसमें एक व्यक्ति को दो पहियों पर खड़ा दिखाया गया है। यहाँ से साँप के चित्रण वाली कुछ मुद्रा मिली है। बटन के आकार की एक मुद्रा भी मिली है।

इसके अतिरिक्त, गोवा में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान ने लोथल स्थल पर नमक, जिप्सम क्रिस्टल के साथ समुद्री सूक्ष्म जीवाश्मों की खोज की। यह इंगित करता है कि निश्चित रूप से एक गोदीवाड़ा था।

लोथल सूक्ष्म मोतियों के लिए प्रसिद्ध था।

लोथल का महत्व

लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था, लेकिन इसका आवेदन यूनेस्को की अस्थायी सूची में लंबित है।

लोथल का उत्खनन स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह शहर है।

नगर निर्माण योजना: लोथल एक महानगर था जिसमें एक ऊपरी और निचला शहर था और इसकी उत्तरी तरफ खड़ी दीवार, इनलेट और आउटलेट चैनलों के साथ एक बेसिन था जिसे ज्वारीय गोदी के रूप में पहचाना गया है।

सैटेलाइट इमेज से पता चलता है कि नदी चैनल (अब सूख चुका है) उच्च ज्वार के दौरान काफी मात्रा में पानी लाता था, जो बेसिन को भर देता था और नावों को ऊपर की ओर नौकायन की सुविधा प्रदान करता था।

पोर्ट फंक्शनिंग: पत्थर के लंगर, समुद्री गोले, सीलिंग के अवशेष, जो फारस की खाड़ी में इसके स्रोत का पता लगाते हैं; गोदाम के रूप में पहचान की गई संरचना के साथ-साथ बंदरगाह के कामकाज की समझ में और सहायता करते हैं।

लोथल का विरासत मूल्य दुनिया भर के अन्य प्राचीन बंदरगाह-नगरों से तुलनीय है जैसे- ज़ेल हा (पेरू), ओस्टिया (रोम का बंदरगाह) और इटली में कार्थेज (ट्यूनिस का बंदरगाह), चीन में हेपु, मिस्र में कैनोपस, गैबेल ( फोनीशियन के बायब्लोस), इज़राइल में जाफ़ा, मेसोपोटामिया में उर, वियतनाम में होई एन आदि।

क्षेत्रीय तुलना: इस क्षेत्र में, इसकी तुलना बालाकोट (पाकिस्तान), खिरसा (गुजरात के कच्छ में) और कुंतासी (राजकोट में) के अन्य सिन्धु बंदरगाह शहरों से की जा सकती है।

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