Aug. 5, 2023

वोयाजर मिशन की विरासत

वोयाजर मिशन की विरासत

चर्चा में क्यों ?

  • नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) द्वारा पृथ्वी का सबसे लंबे समय से  परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान, वोयाजर 2 के साथ संपर्क टूटने के कुछ समय बाद, अंतरिक्ष एजेंसी ने पुनः संपर्क जुड़ने का संकेत दिया है।
  • 46 साल पहले लॉन्च किया गया वोयाजर 2 फिलहाल इंटरस्टेलर स्पेस में है। वोयाजर 1 के साथ- साथ, इसने अमूल्य डेटा प्रदान किया है जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में सहायता करेगा।

प्रमुख बिंदु 

  • अंतरिक्ष यान को भेजे गए एक गलत सन्देश के कारण इसका एंटीना पृथ्वी से 0.2 डिग्री दूर चला गया था जिस कारण नासा वोयाजर 2 यान से संपर्क करने में असमर्थ थी। 
  • लगभग 46 साल पहले लॉन्च किया गया, वोयाजर 2 इंटरस्टेलर स्पेस में प्रवेश करने वाला दूसरा अंतरिक्ष यान है। इंटरस्टेलर स्पेस वह क्षेत्र जो हमारे सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के निरंतर प्रवाह के प्रभाव से बाहर है। पहला वोयाजर 1 था, जिसे वोयाजर 2 के लगभग दो सप्ताह बाद अंतरिक्ष में भेजा गया था यानि  वोयाजर 1 को वोयाजर 2 के बाद लॉन्च किया गया था।  दोनों के द्वारा सौर मंडल के सभी बाहरी विशाल ग्रहों का पता लगाया है और 40 से अधिक चंद्रमाओं और कई छल्लों की खोज की गई है। इनके द्वारा खगोल विज्ञान पर बहुत ही उपयोगी डेटा प्रदान किया गया है, और भविष्य के कई अंतरिक्ष अभियानों को प्रेरित किया है।
  • वॉयेजर 2 को, वॉयेजर 1 के उड़ान भरने से पहले लॉन्च किया गया था। क्रम में उलटफेर के कारण दोनों अंतरिक्ष यान को अलग-अलग प्रक्षेप पथों पर रखा गया,वोयाजर 1 को वोयाजर 2 से आगे, बृहस्पति और शनि तक पहुंचने के पथ पर स्थापित किया गया था।

वॉयेजर अंतरिक्ष यान को भेजने के कारण 

  • 1972 में, नासा ने अपने चार अत्यधिक जटिल अंतरिक्ष यान के साथ पांच बाहरी ग्रहों (मंगल, बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून) को अनुसन्धान की अपनी योजना बजटीय बाधाओं के कारण रद्द कर दिया था।
  • शुरू में केवल बृहस्पति और शनि का पता लगाने के लिए वोयजर को लाया गया था। हालाँकि, 1974 में, यह निर्णय लिया गया कि यदि एक अंतरिक्ष यान मिशन पूरा करता है, तो दूसरे को यूरेनस और फिर नेपच्यून की ओर पुनर्निर्देशित किया जाएगा।
  • साइंटिफिक अमेरिकन की एक रिपोर्ट के अनुसार, नासा ने बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून के दुर्लभ संरेखण का लाभ उठाने के लिए विशेष लॉन्च विंडो को चुना जो हर 175 वर्षों में एक बार होता है। 
  • इस संरेखण के कारण अंतरिक्ष यान को प्रत्येक ग्रह के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके और अपेक्षाकृत कम मात्रा में ईंधन का उपयोग करके एक से दूसरे तक जाने में मदद मिली। इससे पहले नासा ने 1973 से 1975 के बीच शुक्र और बुध के अपने मेरिनर 10 मिशन में इस तकनीक का प्रदर्शन किया था।

वोयाजर अंतरिक्ष यान की विशेषताएं 

  • वोयाजर 1 और वोयाजर 2 एक जैसे अंतरिक्ष यान हैं। दोनों 10 अलग-अलग प्रयोग करने के लिए उपकरणों से सुसज्जित है। इन उपकरणों में ग्रहों और अन्य खगोलीय पिंडों की छवियां लेने के लिए टेलीविजन कैमरे, अवरक्त और पराबैंगनी सेंसर, मैग्नेटोमीटर, प्लाज्मा डिटेक्टर, और कॉस्मिक-रे और चार्ज-कण सेंसर शामिल हैं।
  • दोनों अंतरिक्ष यान में 3.7 मीटर व्यास वाला एक बड़ा एंटीना है। चूँकि इस मिशन में उन्हें सूर्य से बहुत दूर जाना था, अतः वे अन्य अंतरिक्ष यान की तरह सौर ऊर्जा से संचालित नहीं हो सकते हैं बल्कि वोयाजर एक छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र के द्वारा उर्जा प्राप्त करता है।    
  • प्रत्येक वोयाजर अंतरिक्ष यान में एक विशेष प्रकार के सुनहरे फोनोग्राफ रिकॉर्ड उपकरण लगाया गया है। यह एक 12 इंच का डिस्क है, जिसका उद्देश्य पृथ्वी से बाहर के जीवन के साथ संपर्क स्थापित करना है।
  •  इस रिकॉर्ड के कवर पर कई प्रकार की छवियां अंकित हैं, जिसमें उन्हें चलाने के निर्देश, हमारे सौर मंडल के स्थान का नक्शा और हाइड्रोजन परमाणु का एक चित्र शामिल है। इसके अतिरिक्त इनमें   विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक ध्वनियां शामिल हैं, जैसे कि हवा और बिजली की गड़गड़ाहट, पक्षियों, व्हेल और अन्य जानवरों द्वारा बनाई गई ध्वनियां।

वोयाजर अंतरिक्ष यान की उपलब्धियाँ 

  • वोयाजर 1 ने यह पता लगाया की बृहस्पति के चंद्रमाओं में से एक जिसका नाम Io(आईओ) है, भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय है। 
  • अंतरिक्ष यान ने कम से कम 8 सक्रिय ज्वालामुखियों की उपस्थिति का पता लगाया है जो अंतरिक्ष में लावा उगल रहे हैं तथा यह सौर मंडल में सबसे अधिक भूवैज्ञानिक रूप से सक्रिय ग्रहों में से एक है। इसके अतिरिक्त इन दोनों अंतरिक्ष यानों ने बृहस्पति ग्रह के तीन नए चंद्रमाओं की भी खोज की है। बृहस्पति ग्रह के बाद ये यान शनि ग्रह की ओर आगे बढ़ गया। इसी क्रम में इसने यह पता लगाया कि टाइटन मून हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा मून है। इसके अतिरिक्त इसने यह भी पता लगाया कि टाइटन का वातावरण 90% नाइट्रोजन से बना था, और इसमें बादल और मीथेन की बारिश होने की संभावना है।
  • शनि अभियान के बाद, वोयाजर 2 को यूरेनस के अभियान पर भेज दिया गया। वोयाजर-2, 1986 में यूरेनस पर पहुंचा, जो एक्वामरीन ग्रह के पास से उड़ान भरने वाली पहली मानव निर्मित वस्तु बन गई। अंतरिक्ष यान ने पुष्टि की कि यूरेनस के मुख्य घटक हाइड्रोजन और हीलियम हैं। इनके अतिरिक्त, पहले से ज्ञात नौ छल्लों के अलावा 10 नए चंद्रमाओं और दो नए छल्लों की भी खोज की।
  • इसके बाद वोयाजर 2 neptune ग्रह के मिशन पर निकल गया। 1989 में ग्रह के पास से उड़ान भरने वाली पहली मानव निर्मित वस्तु बनकर, वोयाजर 2 ने वहां कुछ और उल्लेखनीय खोजें कीं। इसने कुछ नए चंद्रमा एवं छल्लों की खोज की। इसके अतिरिक्त इसने यह भी पता लगाया कि वहाँ हवा की गति लगभग 1100 km/h है। 
  • अंतरिक्ष यान के अधिकांश उपकरण चालू नहीं हैं, लेकिन वोयाजर यान वर्षों से डेटा को पृथ्वी पर वापस भेज रही है, हाल की गड़बड़ी के बाद ही वोयाजर-2 ने डेटा वापस भेजना बंद कर दिया है। 

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