Aug. 9, 2022

लचित बोरफुकन

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, असम सरकार ने पाठ्य पुस्तकों में लचित बोरफुकन की वीरता को शामिल करने का अनुरोध किया।

लचित बोरफुकन के बारे में 

  • लचित बोरफुकन का जन्म 24 नवंबर, 1622 को अहोम राज्य की पहली राजधानी चराइदेव में हुआ था| इन्होंने मुगल सेना के खिलाफ दो युद्धों- अलाबोई की लड़ाई एवं सराईघाट की लड़ाई में अहोम सेना का नेतृत्व किया था|
  • 25 अप्रैल, 1672 को इनका निधन हो गया।

अलाबोई की लड़ाई

  • यह युद्ध 5 अगस्त, 1669 को उत्तरी गुवाहाटी में दादरा के पास अलाबोई की पहाड़ियों  में लड़ा गया था|
  • औरंगजेब ने 1669 में अपने सहयोगी राजपूत राजा राम सिंह प्रथम के अधीन आक्रमण का आदेश दिया था, जिन्होंने एक संयुक्त मुगल और राजपूत सेना का नेतृत्व किया था।
  • बोरफुकन ने गुरिल्ला युद्ध पद्धति का प्रयोग करते हुए मुगलों की पूरी सेना को अलाबोई की लड़ाई में हरा दिया।

सराईघाट का नौसैनिक युद्ध

  • यह युद्ध वर्ष 1671 में गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र नदी के तट पर लड़ा गया था। इसमें लचित बोरफुकन के वीरतापूर्ण नेतृत्व के कारण मुगलों की निर्णायक हार हुई।
  • कहा जाता है कि लचित ने सामने से हमले का नाटक करके मुगलों को बरगलाया था तथा जैसे ही बेड़ा ब्रह्मपुत्र नदी पर आगे बढ़ा, मुख्य अहोम बेड़े ने पीछे से हमला किया, जिससे अहोम सेना की जीत हुई।

अहोम साम्राज्य

  • अहोम साम्राज्य की स्थापना 13वीं सदी में छोलुंग सुकपा (Chaolung Sukapa) द्वारा असम के क्षेत्र में की गयी थी| अहोम शासकों ने इस क्षेत्र पर 1826 की यांडाबू की संधि होने तक किया |
  • अहोम शासकों ने स्थानीय जमीदारों (भुइयाँ) द्वारा स्थापित परंपरागत राजनीतिक व्यवस्था को समाप्त कर नए राज्य की स्थापना की थी |
  • अहोम राज्य बंधुआ मज़दूरों पर निर्भर था जिन्हें ‘पाइक’ कहा जाता था।
  • अहोम समाज को कुल/खेल (Clan/Khel) में विभाजित किया गया था। एक कुल/खेल का सामान्यतः कई गाँवों पर नियंत्रण होता था।
  • अहोम साम्राज्य के लोगों ने अपनी पारंपरिक मान्यताओं के साथ- साथ हिंदू धर्म और असमिया भाषा को स्वीकार किया।
  • अहोम लोगों का स्थानीय लोगों के साथ विवाह के चलते उनमें असमिया संस्कृति को आत्मसात करने की प्रवृत्ति देखी गई।
  • अहोम राजाओं ने विभिन्न विद्वानों को सरंक्षण प्रदान किया तथा संस्कृत के महत्वपूर्ण ग्रंथों का स्थानीय भाषा में अनुवाद करवाया साथ ही बुरंजी (Buranjis) नामक ऐतिहासिक कृतियों को अहोम तथा असमिया  दोनों भाषाओँ में लिखा गया।

सैन्य कुशलता 

  • अहोम साम्राज्य का प्रधान सेनापति राजा होता था तथा पाइक राज्य की मुख्य सेना होती थी।
  • अहोम सेना की टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाने, हाथी, घुड़सवार सेना और जासूस शामिल थे। युद्ध में इस्तेमाल किये जाने वाले मुख्य हथियार- तलवार, भाला, बंदूक, तोप, धनुष और तीर थे।
  • अहोम सैनिक गुरिल्ला युद्ध पद्धति में दक्ष थे। इस बात की चर्चा पराजित होकर लौटे राजपूत राजा राम सिंह प्रथम ने भी अपने विवरण में की थी |
  • चमधारा, सराईघाट, सिमलागढ़, कलियाबार, कजली और पांडु अहोम साम्राज्य के प्रमुख किले थे।
  • उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी पर नाव का पुल (Boat Bridge) बनाने की तकनीक भी सीखी थी।
  • इन सबसे बढ़कर अहोम राजाओं के लिये नागरिकों और सैनिकों के बीच आपसी समझ तथा समृद्ध लोगों के बीच एकता ने हमेशा मज़बूत हथियारों के रूप में काम किया|
  • फरवरी, 2022 में देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुवाहाटी में 17वीं शताब्दी के अहोम राज्य के  महान और वीर योद्धा लचित बोरफुकन के  400वीं जयंती समारोह की घोषणा की थी|
  • इससे पहले प्रधानमंत्री ने 17वीं शताब्दी के अहोम साम्राज्य के सेनापति लचित बोरफुकन को भारत की "आत्मनिर्भर सेना का प्रतीक" कहा था।
  • बोरफुकन की 400वीं जयंती की स्मृति में अलाबोई में लड़ने वाले सैनिकों के लिए एक युद्ध स्मारक बनाया जा रहा है।
  • उत्तर-पूर्वी सैनिकों वीरता की विरासत आज भी बनी हुई है जिसका प्रतिनिधित्व असम रेजिमेंट द्वारा किया जाता है।
  • वर्तमान में लचित के असाधारण साहस और नेतृत्व को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) द्वारा सम्मानित किया जाता है, जो 1999 से हर साल सर्वश्रेष्ठ कैडेट को उनके नाम पर स्वर्ण पदक प्रदान करती है।
  • भारत सरकार चराइदेव पहाड़ियों में फैले अहोम राज्य के शाही परिवार के कब्रगाह स्थलों को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में बदलने की कोशिश कर रही है।