Aug. 22, 2022

कामाख्या मंदिर

चर्चा में क्यों ?

  • पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे (एनएफआर) कामाख्या रेलवे स्टेशन से गुवाहाटी के कामाख्या मंदिर तक एक रोपवे बनाने की योजना बना रहा है।
  • शहर के पश्चिमी छोर पर स्थित रेलवे स्टेशन और ब्रह्मपुत्र नदी के दक्षिणी तट पर नीलाचल पहाड़ियों के ऊपर स्थित मंदिर के बीच हवाई दूरी लगभग 1.5 किमी है।

कामाख्या मंदिर के बारे में

  • यह असम में गुवाहाटी शहर के पश्चिमी भाग में नीलाचल पहाड़ी पर स्थित है जो शक्ति की देवी सती को समर्पित है|
  • यह भारत के सबसे प्राचीन 51 शक्तिपीठों में से एक है।
  • मुख्य मंदिर दस महादेवियों को समर्पित अलग-अलग मंदिरों से घिरा हुआ है जो इस प्रकार हैं- काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमलात्मिका।
  • यह भारत में तांत्रिक शाक्त पंथ का प्रमुख स्थल है। इस मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है, देवी की पूजा योनि जैसे पत्थर के रूप में की जाती है जिसके ऊपर एक प्राकृतिक झरना बहता है।
  • तंत्र पूजा का केंद्र होने के कारण यह मंदिर अंबुबाची मेले के नाम से जाने जाने वाले वार्षिक उत्सव में हजारों तंत्र भक्तों को आकर्षित करता है।यहाँ मनाया जाने वाला एक और वार्षिक उत्सव मनशा पूजा है।

मंदिर वास्तुकला

  • इसे दो अलग-अलग शैलियों के संयोजन से तैयार किया गया था अर्थात् पारंपरिक नागर या उत्तर भारतीय शैली एवं सारसेनिक शैली। इस प्रकार, एक असामान्य संयोजन होने के कारण,जो भारत के इस प्रसिद्ध शक्ति मंदिर में दिखाई देती है , इसे वास्तुकला की ‘नीलाचल शैली’ के रूप में नामित किया गया है।
  • रूढ़िवादी नागर शैली के उल्लंघन से इस नए प्रकार की शैली के विकास के पीछे का कारण 17 वीं शताब्दी ईस्वी में संकलित प्रमुख ग्रथ ‘दरंग-राज वंशावली’ में बताया गया है।

अंबुबाची पर्व/मेला

  • यह पर्व कामाख्या (सती) देवी का रजस्वला पर्व होता है|
  • यह पर्व प्रत्येक वर्ष 21 से 25 जून के मध्य मनाया जाता है| यह मान्यता है कि इस अवधि के दौरान देवी कामाख्या मासिक धर्म चक्र से गुजरती हैं| इस अवधि के दौरान कामाख्या मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं|
  • देवी कामाख्या को ‘सिद्ध कुब्जिका’ के रूप में भी जाना जाता है जो इच्छा की एक हिंदू तांत्रिक देवी हैं तथा जिनकी उत्पत्ति हिमालय की पहाड़ियों में हुई थी| उन्हें ‘काली’ और ‘महा त्रिपुरा’ के रूप में भी जाना जाता है।
  • इस पर्व को 'पूर्व के महाकुंभ' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह विश्व के लाखों तीर्थयात्रियों एवं भक्तों को आकर्षित करता है।

पर्व का सामाजिक महत्व

  • भारत के अन्य हिस्सों की तुलना में असम में मासिक धर्म से जुड़ी रूढ़िवादी पाबंदियों  के कम होने का एक कारण देवी कामाख्या का रजस्वला पर्व/मेला है। 
  • असम में लड़कियों के नारीत्व की प्राप्ति को 'तुलोनी बिया' नामक एक रस्म के साथ मनाया जाता है, जिसका अर्थ है छोटी शादी। अंबुबाची मेला मासिक धर्म स्वच्छता पर जागरूकता को बढ़ावा देता है|

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