Nov. 4, 2022

चीनी कम्युनिस्ट कांग्रेस से निकले अहम संदेश

(अनुराग विश्वनाथ)

 (साभार बिजनस स्टैन्डर्ड )

चीन में राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने स्थापित परंपराओं को पलटते हुए नई राजनीतिक इबारत लिखी है। इसके निहितार्थों को विस्तार से समझा रही हैं। अनुराग विश्वनाथ 

गत अक्टूबर में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेस का आयोजन हुआ। यह आयोजन चीन की अपारदर्शी राजनीति को प्रतिबंबित करने वाला ही रहा। कांग्रेस में राष्ट्रपति शी चिनफिंग ही यत्र-तत्र-सर्वत्र दिखाई पड़े। यह कांग्रेस वास्तव में शी द्वारा शी के अभिनंदन का उत्सव सरीखी रही। इसके अतिरिक्त यह कांग्रेस चीन की सबसे शक्तिशाली संस्था पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति (पीबीएससी) के नेताओं से परिचित कराने का पड़ाव भी बनी।

इस ताकतवर संस्था के सदस्यों ने वरीयता अनुक्रम में बारी-बारी से ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल में प्रवेश किया। सबसे पहले शी दाखिल हुए और अपनी उपस्थिति से अपनी ऐतिहासिक तीसरी ताजपोशी को पुष्ट किया। उनके बाद 63 वर्षीय ली छ्यांग आए, जो फिलहाल शांघाई के पार्टी सचिव हैं और इससे पहले समृद्ध चेच्यांग प्रांत के गवर्नर रह चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि वह अगले वर्ष प्रधानमंत्री पद की कमान संभालेंगे। बाकी बचे सात सदस्यों और उनके नीचे 24 सदस्यीय पोलित ब्यूरो और 205 सदस्यों वाली केंद्रीय समिति ने कांग्रेस को प्रामाणिकता प्रदान की, जो वास्तव में शी द्वारा शी के लिए ही थी। 

हालांकि, कांग्रेस से पहले और उसके बाद जो घटित हुआ, उससे शी के शासन वाले चीन की वैचारिकी और उभरती दशा-दिशा के चक्र को समझने में मदद मिलती है। इसे ‘नए युग’ में ‘चीनी विशिष्टताओं के साथ समाजवाद पर शी चिनफिंग के विचार’ के रूप में महिमामंडित किया जा रहा है।

कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र (चार्टर) में संशोधन करते हुए ‘दो प्रतिष्ठानों’ को जोड़ने की घोषणा की है। एक तो पार्टी में शी के ‘मूल’ दर्जे को बहाल करना और दूसरा ‘नए युग’ में ‘चीनी विशिष्टताओं के साथ समाजवाद पर शी चिनफिंग के विचार’ को मार्गदर्शिका के रूप में स्थापित करना। यह शी के लिए दुर्लभ राजनीतिक विजय है।

साझा समृद्धि एवं सुरक्षाः कांग्रेस में दो शब्द मुख्य रूप से छाए रहे। एक साझा-समृद्धि (जिसके प्रस्ताव को वर्ष 2023 में होने वाली कांग्रेस की तीसरी विस्तृत बैठक के दौरान व्यापक कर सुधारों के साथ पेश किया जा सकता है) और सुरक्षा, जिसका शी के 105 मिनट लंबे भाषण में 91 बार उल्लेख किया गया।

जहां तक साझा-समृद्धि का संदर्भ है तो इसका संबंध चीन की सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था है, जिसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 3.3 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2022 के 5.5 प्रतिशत से कम है। वहीं चीनी आधिकारिक आंकड़े कहते हैं कि जुलाई से सितंबर के दौरान अर्थव्यवस्था ने 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। वहीं प्रॉपर्टी सेक्टर दबाव में है, बेरोजगारी के हालात हैं और शून्य-कोविड नीति से आपूर्ति श्रंखला  भी भरभराई हुई है। 

जहां तक सुरक्षा का सवाल है तो चीन निरंतर रूप से भू-राजनीतिक एवं आंतरिक तनावों से जूझ रहा है। सितंबर के महीने में भारतीय मीडिया में वहां सैन्य तख्तापलट की अफवाहें चलीं। संयोग से उसी दौरान चीन के पूर्व-न्याय मंत्री और तीन प्रांतीय प्रमुखों की गिरफ्तारी हुई थी।

वहीं कांग्रेस से चंद रोज पहले ही पेइचिंग के सिथोंग ब्रिज पर झंडा फहराया गया, जिसमें लिखा था, ‘हम पीसीआर टेस्ट नहीं चाहते, हम खाना चाहते हैं।’ चीन कोविड-19 की जद में आने वाला पहला देश है और उससे उबरने वाला आखिरी देश भी वही होगा। यहां तक कि लोग वहां मुफ्त पीसीआर टेस्ट जैसी रियायतों-सौगातों से भी उकता गए हैं।

पार्टी की अंदरूनी राजनीतिः अनजाने में ही सही, लेकिन चीनी कांग्रेस दलगत राजनीति पर भी रोशनी डाल गई। वर्ष 2002 से 2012 के बीच राष्ट्रपति रहे हू चिंताओ राष्ट्रपति शी के बगल ही बैठे थे। एक वायरल वीडियो में यह देखने में आया कि हू को जबरन वहां से ले जाया जा रहा है। चीनी सरकारी मीडिया में बताया गया कि हू असहज महसूस कर रहे थे। (लेकिन वह इतने बीमार भी नहीं थे कि निकलते समय अपने प्रशिक्षु प्रधानमंत्री ली केछ्यांग की पीठ न थपथपा सकें) साइबर सेंसर्स ने इंटरनेट पर हू के उल्लेख को ही ब्लॉक कर दिया। ‘बिग हू’ उपनाम से विख्यात हू कम्युनिस्ट यूथ लीग (सीवाईएल) से आते हैं।

बिग हू को वहीं से चुनकर शीर्ष पद के लिए ‘प्रशिक्षित’ किया गया, जिसकी कमान उन्होंने 2002 में संभाली। शीर्ष नेताओं के स्तर पर यही अपेक्षा होती है कि उन्हें अग्रिम तौर ‘प्रशिक्षित’ किया जाए। शी के नेतृत्व परिवर्तन में दो महत्त्वपूर्ण ‘प्रशिक्षुओं’ को समायोजित न कर उन्हें छोड़ दिया गया। इनमें से एक हैं उप-प्रधानमंत्री हू चुन्हुआ (जिन्हें ‘स्मॉल हू’ भी कहा जाता है और उन्हें हू चिंताओ का वरदहस्त प्राप्त है), जिन्हें 24 सदस्यीय पोलित ब्यूरो में भी जगह न देकर पदावनत किया गया। स्मॉल हू को शामिल किया जाना गुटीय-आंतरिक एकता का संदेश देता। स्मॉल हू की पृष्ठभूमि भी सीवाईएल की है।

स्मॉल हू के साथ ही सुन चेंगकाई को भी ‘अगली पीढ़ी के नेता’ के रूप में चुना गया था, लेकिन 2018 में भ्रष्टाचार के आधार पर उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई। प्रधानमंत्री ली कछ्यांग और वांग यी (67) की भी सीवाईएल की पृष्ठभूमि है, जिन्हें नए फेरबदल में बाहर कर दिया गया है। यूं तो चीन में सेवानिवृत्ति की आयु 68 साल है, लेकिन शी 69 वर्ष के हैं। 

सामूहिक नेतृत्व का समापनः पीएसबीसी के मौजूदा स्वरूप में शी के वफादार भरे हुए हैं, जिसमें शक्ति का संतुलन और निगरानी एवं नियंत्रण की गुंजाइश समाप्त हो गई है। सभी उच्च और प्रभावशाली पद शी के वफादारों के खाते में चले गए हैं। फुच्यान और चेच्यांग के अलावा शांशी (जो कि शी का गृहनगर है) से लोग चुने गए हैं। वास्तव में शांशी के जो चांग यूश्या (72) केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के वाइस-चेयरमैन बने हैं, उन्हें किंगमेकर बताया जा रहा है। 

चीनी सत्ता में दूसरे पायदान पर ली छ्यांग वेनचाउऊ, चेच्यांग से आते हैं। उन्हें चेच्यांग की ‘डबल 8’ रणनीति (आठ रणनीतिक लाभों के साथ ही आठ रणनीतिक कदम) का व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है। हालांकि उन्हें शांघाई के बेतरतीब लॉकडाउन के लिए आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।

उस दौर के कई डरावने वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे। ली छ्यांग को नई जिम्मेदारी के लिए उस प्रकार से प्रशिक्षित भी नहीं किया गया, जैसा पूर्व में उप-प्रधानमंत्री के रूप में सेवाओं के साथ किया जाता रहा है। वहीं 24 सदस्यीय पोलित ब्यूरो में चीन की प्रमुख ​शिंग्हुआ विश्वविद्यालय के दिग्गजों का दबदबा हो गया है। उसमें वैज्ञानिकों से लेकर अर्थशास्त्री और वैमानिकी इंजीनियर से लेकर पर्यावरणीय इंजीनियर जैसे पेशेवरों का जमावड़ा हुआ है। 

नए दौर का नया राजनीतिक दस्तूरः शी ने पार्टी की उन परंपराओं को पलट दिया है, जिन्हें आधुनिक चीन के निर्माता और सुधारक तंग श्याओपिंग ने बनाया था। शी ने अपनी नई इबारत लिखी है। फिर चाहे सेवानिवृत्ति आयु की सुविधाजनक व्याख्या हो, या मनमाने ढंग से केंद्रीय समिति के सदस्यों का चुनाव, या पार्टी और राज्य का घालमेल, सामूहिक नेतृत्व और सहमति-आधारित नेतृत्व पर वफादारों को वरीयता देना या फिर अगली पीढ़ी के नेतृत्व का चयन करने की परंपरा से विचलन। 

शी ने ‘पार्टी ही लोग हैं और लोग ही पार्टी हैं’ और ‘चीन को विश्व की जरूरत है और विश्व को चीन की जरूर है’ जैसे अपने जुमलों के साथ इसे तार्किकता का जामा पहनाया है। शी को अपने इसी तर्क का सहारा है कि वैश्विक एवं घरेलू ढांचे में बदलाव के साथ चीन ‘नए दौर’ में है, परंतु मार्गदर्शिका के रूप में शी चिनफिंग के विचारों के साथ चीन सुरक्षित हाथों में है। 

(लेखिका सिंगापुर-केंद्रित स्वतंत्र समाजशास्त्री हैं और उन्होंने ‘फाइंडिंग इंडिया इन चाइना’शीर्षक से पुस्तक भी लिखी है)