Nov. 10, 2022

अजंता की गुफाएं

अजंता की गुफाएं

स्थान - अजंता गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी पर स्थित हैं| 

यह सह्याद्री पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में रॉक-कट गुफाओं की एक श्रृंखला है| 

सम्बंधित धर्म — बौद्ध धर्म  |

आकार- घोड़े की नाल के आकार (अर्द्धवृत्ताकार) में निर्मित|

गुफाओं की संख्या:  यहाँ कुल 30 गुफाएँ (सभी बौद्ध) हैं, जिनमें से 25 का उपयोग विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में, जबकि 5 का उपयोग चैत्य या प्रार्थना कक्ष के रूप में किया जाता था|

 इनमें 29 गुफाएं पूर्ण निर्मित हैं, वहीं 1 गुफा अर्द्धनिर्मित है। गुफा संख्या 9 और 10 सातवाहन काल से संबद्ध हैं, जबकि गुफा संख्या 16, 17, 19 गुप्तकाल से|

विकास का समय-  गुफाओं को 200 ईसा पूर्व  से 650 ई. के बीच की अवधि में विकसित किया गया था|

अजंता की गुफाओं को बौद्ध भिक्षुओं द्वारा वाकाटक राजाओं के संरक्षण में अंकित किया गया जिसमे हरिषेण  प्रमुख था|

यहाँ प्राप्त चित्रों में आम तौर पर बुद्ध और जातक कहानियों की चर्चा मिलती है |

यूनेस्को साइट अजंता गुफाओं को 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया |

विशेषता - अजंता चित्रकला की विशेषता है कि चित्रों में दृश्यों को अलग-अलग भागों में नहीं विभाजित किया गया है| 

इन गुफाओं में 9वीं और 10वीं गुफा सबसे प्राचीन है तथा 17वीं गुफा में सबसे अधिक चित्र पाए जाते हैं|

फ्रेस्को म्यूरल पेंटिंग तकनीक -  इसे ताजा रूप से बिछाए गए या गीले चूने के प्लास्टर पर निष्पादित किया जाता है। पानी का उपयोग शुष्क-पाउडर वर्णक के लिए प्लास्टर के साथ विलय करने के लिए वाहन के रूप में किया जाता है और प्लास्टर की स्थापना के साथ, पेंटिंग दीवार की  एक अभिन्न अंग बन जाती है।

रंग - चूने के पानी में मिलाकर सतह पर लगाये जाते थे| पीले रंग (वर्ण) के लिए पीली मिट्टी, लाल के लिये गेरू, सफेद के लिये चीनी मिट्टी, जिप्सम या चूना, काले के लिये काजल, नीले के लिये लाजवर्द तथा हरे रंग के लिये ग्लेकोनाइट पत्थर का प्रयोग किया जाता था|

वर्तमान में इन गुफाओं का रख-रखाव भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) द्वारा किया जा रहा है|

अजंता की गुफाओं में की गयी चित्रकारी तिब्बत व श्रीलंका की चित्रकला से प्रभावित है|

अजन्ता के गुफा चित्र-

इसके विकास में विभिन्न राजवंशों का योगदान रहा है, यथा- सातवाहन वंश, वाकाटक वंश, गुप्त वंश तथा चालुक्य वंश|

गुफा संख्या 16 में  कुछ अनुपम चित्र बनाए गये हैं| इनमें एक महत्वपूर्ण चित्र मरणासन्न राजकुमारी का है  इसमें एक राजकुमारी अपने पति के विरह में मर रही है जबकि उसके परिजन चारों ओर से उसे घेरकर खड़े हैं |इस चित्र में मानव करूणा का अद्वितीय चित्रण हुआ है | 

 गुफा संख्या 17 को चित्रशाला का नाम दिया जाता है क्योंकि इसमें अनेक सुंदर चित्र उकेरे गये हैं | एक अद्भुत चित्र बुद्ध एवं उनकी पत्नी यशोधरा के संबंधों को व्यक्त कर रहा है | यशोधरा के द्वारा अपने पुत्र राहुल को महात्मा बुद्ध को अर्पित करते हुए दिखाया गया है | यहाँ भी संवदेना का बड़ा ही सजीव चित्रण मिलता है|

अजन्ता के चित्रों पर बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है|  इन चित्रों में महात्मा बुद्ध तथा बोधिसत्वों को अभिव्यक्त किया गया है| वस्तुतः अजन्ता चित्रकला क्लासिकल मानदंड ग्रहण कर लेती है तथा यह आने वाले युगों में भारतीय चित्रकला पर गहरा प्रभाव छोड़ती है |

*****