
Dec. 28, 2022
सहकारी संघवाद की भाषा
प्रश्न पत्र- 2 (शासन एवं राज्यव्यवस्था)
स्रोत: द हिंदू
सहकारी संघवाद
- संघवाद सरकार की एक प्रणाली है जहाँ शक्तियों को राज्यों सहित केंद्र और उसके विभिन्न भागों के बीच समान रूप से विभाजित किया जाता है।
- यह केंद्र और राज्य के बीच एक क्षैतिज संबंध है, जिसके माध्यम से वे जनहित में "सहयोग" स्थापित करते हैं।
- यह राष्ट्रीय नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में राज्यों की भागीदारी को सक्षम बनाता है।
भाषा:
- यह संचार की एक संरचित प्रणाली है।किसी भाषा की संरचना उसका व्याकरण है और मुक्त घटक उसकी शब्दावली हैं।
- भाषाएँ प्राथमिक साधन हैं जिनके द्वारा मनुष्य संवाद करते हैं जिसे मौखिक, सांकेतिक या लिखित भाषा के माध्यम से संप्रेषित किया जा सकता है।
संवैधानिक पृष्ठभूमि
- इसका उल्लेख संविधान के भाग XVII के तहत अनुच्छेद 343-351 में किया गया है।
अनुच्छेद 343:
- इसके तहत देवनागरी लिपि में हिंदी, संघ की राजभाषा होगी।
- हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया था और यह भी प्रावधान किया गया था कि अंग्रेजी भाषा संविधान के प्रारंभ से 15 वर्षों तक जारी रहेगी।
1963 में राजभाषा अधिनियम:
- इसके अनुसार, संघ के आधिकारिक उद्देश्यों के लिए और संसद में कार्यों के संचालन के लिए हिंदी के साथ-साथ आधिकारिक भाषा के रूप में अंग्रेजी की निरंतरता को बनाये रखा गया।
- अनुच्छेद 345, आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अपनी भाषा चुनने के लिए इसे राज्यों पर छोड़ देता है।
- अनुच्छेद 348 में कहा गया है कि संसद में सर्वोच्च न्यायालय और 'प्रत्येक उच्च न्यायालय की' और विधेयकों आदि की सभी कार्यवाही अंग्रेजी भाषा में होगी।
संविधान सभा में चर्चा:
- विधायिकाओं की भाषा
- अदालतों और न्यायपालिका की भाषा
- संघ के राजकीय कार्य की भाषा।
- "राष्ट्रीय महत्व" के शैक्षिक संस्थान और "भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा"।
संघ समिति:
- इसमें संसद के 30 सदस्य होते हैं और इसकी अध्यक्षता गृहमंत्री करते हैं।
- हिंदी में प्रगति: इसका अधिदेश सरकारी प्रयोजनों के लिए हिंदी के प्रयोग में हुई प्रगति की समीक्षा करना है।
- सरकारी संचार में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ाने के लिए सुझाव देना।
- यह अपनी रिपोर्ट भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करती है, जो इसकी सिफारिशों को दोनों सदनों को अग्रेषित करता है।
- 10वीं और 11वीं रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जा चुकी है और सार्वजनिक डोमेन में नहीं है।
हिंदी भाषा पर मुद्दे:
- भावनात्मक रूप से लोगों का विभाजन।
- अखिल भारतीय सेवाओं में प्रयुक्त होने वाली भाषा।
- गैर-हिंदी राज्यों के उम्मीदवारों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
आगे की राह
- संवैधानिक रास्ता यह होगा कि अनुच्छेद 345 की भाषा का चयन किया जाए, जो प्रत्येक विधानमंडल को सभी आधिकारिक उद्देश्यों के लिए हिंदी के उपयोग या अपनी भाषा का चयन करने की अनुमति देता है।
- एक आधिकारिक भाषा का विचार लोगों की एकता को बढ़ावा नहीं दे सकता है। यह लंबे समय में अखिल भारतीय सेवाओं में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के साथ-साथ केंद्र सरकार की कार्मिक संरचना में गंभीर असंतुलन को जन्म दे सकता है।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न
प्र. आधिकारिक भाषा के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- किसी राज्य की विधायिका राज्य में उपयोग की जाने वाली किसी एक या अधिक भाषाओं या हिंदी को उस राज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपना सकती है।
- सर्वोच्च न्यायालय की कार्यवाही केवल अंग्रेजी या हिंदी भाषा में की जाती है।
उपर्युक्त में से कौन सा / से कथन सही है/ हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 , न ही 2
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
प्रश्न –‘हिंदी को राष्ट्रभाषा मानने का विचार संविधान की भावना और हमारे देश की भाषायी विविधता के विपरीत है।’ टिप्पणी कीजिए।