Dec. 27, 2022

26 december 2022

शून्य कोविड नीति 

 

चर्चा में क्यों?

  • चीन के वुहान में 2019 के शुरुआती प्रकोप के बाद से, दुनिया में COVID-19 संक्रमणों की बार-बार लहरें देखी जा रही हैं।
  • चीन अपनी "शून्य-कोविड" नीति के कारण बीमारी के प्रसार को रोकने में सफल रहा, परंतु नीति के अचानक हटाने के परिणामस्वरूप, चीन को अब COVID-19 मामलों में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है।

शून्य-कोविड नीति के बारे में 

  • इस नीति में आक्रामक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों ; जैसे- संपर्क-अनुरेखण, सामाजिक अलगाव, सामूहिक परीक्षण और लॉकडाउन का उपयोग करके वायरस के उन्मूलन के लिए पूर्ण नियंत्रण और अधिकतम दमन शामिल है। 
  • इस नीति के तहत, चीनी शहरों को कड़े लॉकडाउन लगाने और सामाजिक अलगाव के सख्त उपायों का पालन करने का निर्देश दिया गया, भले ही बहुत कम मामले सामने आए हों।

उद्देश्य

  • कोई नया संक्रमण न हो और वायरस समाप्त हो जाए, ताकि राष्ट्र अपने सामान्य सामाजिक और आर्थिक मामलों को फिर से शुरू कर सके।

जीरो-कोविड पॉलिसी कैसे काम करती है?

  • यह PCR परीक्षणों के माध्यम से शुरुआती पहचान पर केंद्रित है, विशेष रूप से शहरों में एक व्यवसाय या सार्वजनिक स्थल पर प्रवेश के संदर्भ में।
  • इसके कार्यक्रम में महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए संचरण श्रृंखलाओं को तेजी से समाप्त करना तथा सरकार की निगरानी में सार्वजनिक भवनों, यहाँ तक कि पूरे शहर को बंद रखना भी शामिल है।

प्रभाव

  • इसके तहत COVID के सकारात्मक परीक्षण के बाद परिवारों को अलग करने और लोगों को अलग-थलग करने जैसे क्रूर उपायों को लागू किया किया गया जिसने आम जनता के बीच भावनात्मक उथल-पुथल पैदा कर दी।
  • वर्तमान में, चीन में COVID-19 मामलों में वृद्धि हो रही है। कोविड संक्रमणों में नवीनतम उछाल के पीछे का कारण ओमिक्रॉन वैरिएंट का अत्यधिक संक्रमणीय वैरिएंट बीएफ.7 स्ट्रेन है।

BF.7 वैरिएंट क्या है?

  • यह 7 BA.5.2.1.7 का संक्षिप्त रूप है। यह ओमिक्रॉन वैरिएंट BA.5 का एक उप-वंशज है और अत्यधिक संक्रमणीय है।
  • इस वैरिएंट को ओमिक्रॉन स्पॉन के रूप में भी जाना जाता है।
  • इसका आर-वैल्यू 10-18 है। इसका मतलब है कि एक संक्रमित व्यक्ति औसतन 10 से 18 अन्य लोगों को वायरस प्रसारित कर सकता है। ऑमिक्रॉन वैरिएंट का आर-वैल्यू 1-5 था।

स्रोत-

ध्रुवीय भालू

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में एक सर्वेक्षण के अनुसार, आर्कटिक महासागर से जुड़े  कनाडा की पश्चिमी हडसन की खाड़ी में ध्रुवीय भालू तेजी से मर रहे हैं। इनमें भी मादा और छोटे ध्रुवीय भालू सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • 2021 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार पश्चिमी हडसन खाड़ी में 618 भालू बचे हैं। इसे 'दुनिया की ध्रुवीय भालू राजधानी' के रूप में जाना जाता है।
  • 1980 के दशक के बाद से पश्चिमी हडसन खाड़ी में ध्रुवीय भालुओं की आबादी में लगभग 50% की गिरावट देखी गई है।

महत्व

  • ध्रुवीय भालू आर्कटिक क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण शिकारियों में से एक हैं और वे जैविक आबादी को संतुलन में रखते हैं।
  • यदि ध्रुवीय भालू ,सील जैसे जानवरों का शिकार नहीं करते, तो यह पारिस्थितिकी तंत्र की खाद्य श्रृंखला और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डालता। साथ ही  आर्कटिक लोमड़ी या वालरस जैसी प्रजातियों के अस्तित्व को खतरा पैदा हो सकता है।
  • IUCN रेड लिस्ट में ध्रुवीय भालू को "सुभेद्य" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस 

श्रीमुखलिंगम मंदिर

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में, श्रीमुखलिंगम मंदिर के मुख्य पुजारी द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से ऐतिहासिक शिव मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने का आग्रह किया।

श्रीमुखलिंगम मंदिर के बारे में: 

  • श्रीमुखलिंगम मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें ‘श्रीमुख लिंगेश्वर स्वामी’ के नाम से जाना जाता है। 
  • इस मंदिर परिसर में एक स्थान पर 3 प्राचीन मंदिर हैं। मधुकेश्वर, सोमेश्वर और भीमेश्वर मंदिरों की त्रिमूर्ति कलिंग राजाओं के शानदार स्थापत्य कौशल का प्रमाण हैं।
  • यह मंदिर वंशधारा नदी के तट पर कलिंग स्थापत्य शैली में बना है।

स्रोत- द हिन्दू 

डार्क पैटर्न

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में पाया गया कि कुछ इंटरनेट आधारित फर्म, उपयोगकर्त्ताओं को कुछ शर्तों से सहमत होने या कुछ लिंक पर क्लिक करने के लिए बरगला रही हैं।

डार्क पैटर्न के बारे में

  • यह एक उपयोगकर्त्ता इंटरफ़ेस है जिसे उपयोगकर्त्ताओं को उनके हितों के लिए हानिकारक विकल्प प्रदान कर हेरफेर करने के लिए तैयार किया गया है।
  • 2010 में हैरी ब्रिग्नुल द्वारा 'डार्क पैटर्न' शब्द का प्रथम बार प्रयोग किया गया था।
  • डार्क पैटर्न इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के अनुप्रयोग को खतरे में डालते हैं और उन्हें बिगटेक फर्मों द्वारा वित्तीय और डेटा शोषण के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं।
  • डार्क पैटर्न उपयोगकर्त्ताओं को भ्रमित करते हैं, ऑनलाइन बाधाएँ उत्पन्न करते हैं, सरल कार्यों को समय लेने वाला बनाते हैं, उपयोगकर्त्ताओं को अवांछित सेवाओं या उत्पादों के लिए साइन अप करवाते हैं और उन्हें अधिक पैसे देने या उनकी इच्छा से अधिक व्यक्तिगत जानकारी साझा करने के लिए मजबूर करते हैं। 

डार्क पैटर्न के प्रकार

भारत में, भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (ASCI) द्वारा चार डार्क पैटर्न को मान्यता दी गयी है 

  • ड्रिप प्राइसिंग: यह एक पैटर्न है जब कुल कीमत केवल खरीदारी प्रक्रिया के अंत में ही प्रकट होती है।
  • चारा और स्विच: यह एक ऐसा पैटर्न है जो तब होता है जब उपयोगकर्त्ता किसी परिणाम की अपेक्षा करते हुए एक कार्रवाई करता है, लेकिन इसके बजाय दूसरा परिणाम दिया जाता है जो वे नहीं चाहते थे।
  • झूठी अत्यावश्यकता: यह एक डार्क पैटर्न है जो किसी विशेष उत्पाद की मात्रा के बारे में भ्रामक जानकारी को संदर्भित करता है।
  • प्रच्छन्न विज्ञापन: यह एक पैटर्न है जब कोई विज्ञापन संपादकीय सामग्री की नकल करता है।

स्रोत- द हिन्दू 

वीर बाल दिवस

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा की गयी कि श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों की शहादत को चिह्नित करने के लिए 26 दिसंबर को 'वीर बाल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।

वीर बाल दिवस के बारे में:

  • 26 दिसंबर, 1707 को साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को शहीद की उपाधि दी गयी ,जब उन्हें औरंगजेब के आदेश पर फाँसी दी गयी थी।
  • साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह' ( 28 नवम्बर, 1695 – 26 दिसम्बर, 1704) गुरु गोविन्द सिंह के चार पुत्रों में से तीसरे पुत्र थे। साहिबजादा जोरावर सिंह और उनके छोटे भाई साहिबजादा फतेह सिंह की गिनती सिखों के सबसे पूज्य एवं श्रद्धेय शहीदों में में होती है।
  • साहिबज़ादा फ़तेह सिंह (12 दिसम्बर, 1699 – 26 दिसम्बर, 1704) गुरू गोविन्द सिंह जी के चार पुत्रों मे से छोटे पुत्र थे। उन्हें 'बाबा फतेह सिंह' भी कहते हैं। फतेह सिंह जी तथा उनके बड़े भाई साहिबजादा जोरावर सिंह सिख धर्म के सबसे महान बलिदानी हैं।

गुरु गोबिंद सिंह

  • गुरु गोबिंद सिंह, सिखों के 10वें गुरु थे। 
  • अपने पिता, गुरु तेग बहादुर( नौवें सिख गुरु) के निधन के बाद, वह नौ वर्ष की आयु में सिख गुरु बन गए।
  • बालों को ढकने के लिए पगड़ी की शुरुआत सहित सिख धर्म में उन्हें महत्वपूर्ण योगदान के लिए भी जाना जाता है।
  • (खड्ग) और कच्छा (छोटी जांघिया) के सिद्धांतों की स्थापना के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • उन्होंने 1705 में मुक्तसर की लड़ाई में मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  • औरंगजेब की मृत्यु के एक साल बाद 1708 में एक मुगल सैनिक द्वारा गुरु गोबिंद सिंह की हत्या कर दी गई थी।

स्रोत- ऑल इंडिया रेडियो