Jan. 9, 2023

तमिलनाडु बनाम 'तमिलगम'

प्रश्न पत्र-2 (शासन एवं राज्यव्यवस्था )

स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में, तमिलनाडु सरकार की द्रविड़ राजनीति को 'प्रतिगामी राजनीति' करार देने के साथ राज्यपाल(R.N रवि) ने राज्य का नाम बदलकर 'तमिलगम' रखने का भी सुझाव दिया।

पृष्ठभूमि 

संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत  एक विधेयक, जो राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किया गया है, राज्यपाल को प्रस्तुत किया जाएगा और राज्यपाल या तो घोषित करेगा कि वह विधेयक पर सहमति देता है या वह इससे सहमति वापस लेता है या अनुच्छेद 201  के तहत वह विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।”।
  • सरकार ने राज्यपाल द्वारा "सनातन धर्म की प्रशंसा" करने पर भी आपत्ति जताई है और उन पर "सांप्रदायिक घृणा भड़काने" का आरोप लगाया है।
  • सरकार के अनुसार संविधान के तहत, राज्यपाल से "राज्य का एक नाममात्र का प्रमुख होने के नाते, मुख्यमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह पर [कार्यकारी शक्ति] कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। राज्यपाल महत्वपूर्ण संवैधानिक कार्य करता है, जिसके लिए उसे निष्पक्ष और सत्यनिष्ठ व्यक्ति होना आवश्यक है।
  • साथ ही राज्यपाल राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अनावश्यक देरी कर रहे हैं।

तमिलगम 

सरकार का रुख- 

तमिलनाडु नाम हमारी भाषा, परंपरा, राजनीति और जीवन को ही इंगित करता है। CN अन्नादुराई द्वारा राज्य विधानसभा में इस नाम को आधिकारिक बनाया गया  था। यह भूमि ‘तमिलनाडु’ के नाम से ही जानी जाएगी ।”

  • हाल ही में चेन्नई के राजभवन में आयोजित काशी- तमिल संगमम के आयोजकों और स्वयंसेवकों को सम्मानित करने वाले एक कार्यक्रम के संबोधन में राज्यपाल द्वारा 'तमिलगम' शब्द तमिलनाडु के लिए अधिक उपयुक्त शब्द बताया गया।
  • तमिल भाषा में 'नाडु' शब्द का अर्थ 'भूमि' होता है, लेकिन तमिल को राष्ट्रवाद के चश्मे से देखे जाने पर, इसका अर्थ 'देश' हो जाता है। 
  • एक अनुमान के अनुसार, राज्यपाल ने 'तमिलनाडु' शब्द की व्याख्या से दूरी बनाने के बजाय 'तमिझगम' या 'तमिलगम' शब्द का सुझाव, भारत का हिस्सा होने के बजाय एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में दिया है। उनके अनुसार "तमिलनाडु, राष्ट्र की आत्मा, एक विचार और एक पहचान है और राज्य में प्रचलित नकारात्मक दृष्टिकोण एवं काल्पनिक बातों को मिटाने के लिए इसे जीवित रखना चाहिए।"

काशी और तमिल भूमि के बीच प्राचीन संबंध

  • तेनकासी में काशी विश्वनाथर मंदिर के अलावा, तमिलनाडु में सैकड़ों शिव मंदिर हैं जिनका नाम काशी है।
  • काशी विश्वनाथर मंदिर- राजा पराक्रम पांड्या ने काशी विश्वनाथर मंदिर का निर्माण दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु में तेनकासी में किया था। 
  • एक मत के अनुसार, राजा पराक्रम पांड्या, जिन्होंने 15वीं शताब्दी में मदुरै के आस-पास के क्षेत्र पर शासन किया था, भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाना चाहते थे, और उन्होंने एक शिवलिंग लाने के लिए काशी की यात्रा की। लौटते समय, वह एक पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुक गये - लेकिन जब उन्होंनेअपनी यात्रा जारी रखने की कोशिश की, तो शिवलिंग को ले जाने वाली गाय ने हिलने से मना कर दिया।                                                                                                                   
  • पराक्रमा पांड्या ने इसे भगवान की इच्छा समझा, और वहाँ लिंगम स्थापित किया, जिसे ‘शिवकाशी’ के नाम से जाना जाने लगा। जो भक्त काशी नहीं जा सकते थे, उनके लिए पांड्यों ने काशी विश्वनाथर मंदिर का निर्माण करवाया , जो आज दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु में तेनकासी में स्थित है।
  • एक अन्य राजा अधिवीर राम पांडियन ने काशी की तीर्थ यात्रा से लौटने के बाद 19वीं शताब्दी में तेनकासी में एक और शिव मंदिर का निर्माण करवाया । 
  • "थूथुकुडी जिले के संत कुमारा गुरुपारा ने वाराणसी में केदारघाट और विश्वेश्वरलिंगम के अभिषेक के लिए जगह पाने के लिए काशी की रियासत के साथ बातचीत की थी। उन्होंने काशी कलामबगम की रचना भी की, जो काशी पर व्याकरण की कविताओं का संग्रह है।”

काशी- तमिल संगम क्या है?                                                               

  • महीने भर चलने वाला काशी-तमिल संगम, वाराणसी में शुरू हो रहा है जो भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक संबंधों के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला एक उत्सव है। 
  • इसमें तमिलनाडु से करीब 2,400 लोगों को समूहों में वाराणसी ले जाया जाएगा। यह प्रक्रिया आठ दिनों तक चलेगी  और इसमें अयोध्या,प्रयागराज की यात्राएं भी शामिल होंगी।
  • प्राचीन काल से ही दक्षिण भारत में विद्वानों के अनुसार काशी की यात्रा के बिना कोई भी यात्रा अधूरी मानी जाती है। “काशी में दर्शन के लिए जाने से पहले रामेश्वरम के लोग कोटि तीर्थ (मंदिर में) में डुबकी लगाते हैं और वे रामेश्वरम के मंदिर में अभिषेक के लिए काशी से गंगाजल  लाते हैं। 
  • BHU और IIT-मद्रास इस आयोजन के लिए ज्ञान भागीदार हैं। संस्कृति, पर्यटन, रेलवे, कपड़ा और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालयों को उत्तर प्रदेश सरकार तथा वाराणसी प्रशासन के अलावा हितधारकों के रूप में शामिल किया गया है।

 उद्देश्य-

  • इसका उद्देश्य "दो ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं (उत्तर और दक्षिण) को करीब लाना है, हमारी साझा विरासत की समझ को बढ़ावा देना और क्षेत्रों के बीच लोगों से लोगों के बंधन को मजबूती प्रदान करनी है।

द्रविड़ नाडु बनाम तमिलनाडु 

  • ई. वी. रामास्वामी 'पेरियार' (1879-1973) ने तमिलों की "पहचान और स्वाभिमान " हेतु आत्म-सम्मान आंदोलन शुरू किया था। उन्होंने ‘द्रविड़नाडु’ नाम से  एक स्वतंत्र द्रविड़ मातृभूमि की परिकल्पना की, जिसमें तमिल, मलयालम, तेलुगु और कन्नड़ भाषी शामिल थे और इस लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए एक राजनीतिक दल, द्रविड़ कज़गम (डीके) का शुभारंभ किया था ।

आत्म-सम्मान आंदोलन (1925) के संस्थापक पेरियार, जाति और धर्म-विरोधी दोनों थे। उन्होंने प्रमुख सामाजिक सुधारों की वकालत की, जिसमें समाज में महिलाओं के लिए समानता, और महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए जन्म नियंत्रण का समर्थन करना शामिल था। उन्होंने हिंदी के वर्चस्व का भी विरोध किया और तमिल राष्ट्र की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान पर जोर दिया।

 

  • हाल ही में DMK सांसद ए. राजा ने  भी मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की उपस्थिति में 'द्रविड़ नाडु' या एक अलग तमिलनाडु के विचार को बढ़ावा दिया।

 

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न

प्रश्न : किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल के रूप में नियुक्त करने की सुविधा प्रदान की?

(a) पहला संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1951

(b) 7वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1956

(c) 15वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1963

(d) चौथा संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1955 

मुख्य परीक्षा प्रश्न

प्रश्न- यद्यपि भारत में राज्य का राज्यपाल एक संवैधानिक प्रमुख होता है, उसके पास मुख्यमंत्री से अधिक अधिकार हो सकते हैं। क्या आप इससे सहमत हैं? चर्चा कीजिए। (250 शब्द)