
Oct. 20, 2022
पुली थेवर
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पुली थेवर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई।
पुली थेवर के बारे में:
आरंभिक जीवन:
- 1715 में जन्मे पुली थेवर एक तमिल पलायक्कर थे। पुली थेवर या पूली देवर एक हिंदू मारवा सरदार थे, जिन्हें अंग्रेजी में पोलीगर या स्थानीय भाषा में पलायक्कर के नाम से भी जाना जाता था।
- ये तमिल क्षेत्र के 77 पोलीगारों या स्थानीय सरदारों में से एक थे।
- इन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करने वाला पहला दक्षिण भारतीय माना जाता है।
- इन्होंने शंकरनकोइल तालुक, तेनकासी में स्थित नेरकट्टुमसेवल पर शासन किया और ईस्ट इंडिया कंपनी को कर का भुगतान करने से मना कर दिया।
पुली थेवर का विद्रोह (1755-1767):
- उन्होंने 1750 और 1760 के दशक के अंत के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ कई लड़ाईयाँ लड़ी।
- पुली थेवर का पहली बार 1755 में ब्रिटिश सेना से आमना-सामना हुआ , जब ब्रिटिश कर्नल अलेक्जेंडर हेरोन ने पश्चिमी तमिल क्षेत्र पर चढ़ाई की, परंतु असफल रहे।
ब्रिटिश के दुश्मनों के साथ संघ और गठबंधन:
- कर्नाटक के नवाब चंदा साहिब के एजेंट- मियां, मुदिमिया और नबीखान ने कटक, मदुरै और तिरुनेलवेली क्षेत्रों की कमान संभाली। उन्होंने अरकोट के नवाब मोहम्मद अली के खिलाफ तमिल सैनिकों का समर्थन किया।
- पुली थेवर ने इनके साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ एक संघ बनाया।
- पुली थेवर ने मैसूर के हैदर अली और फ्रांसीसियों का समर्थन हासिल करने का प्रयास किया, परंतु मराठों के साथ संघर्ष के कारण हैदर अली ,थेवर की सहायता नहीं कर पाया।
- इन्होंने त्रावणकोर साम्राज्य के साथ अच्छे संबंध स्थापित किये, लेकिन युसुफ खान ने इस निष्ठा को तोड़ दिया।
- युसुफ खान ( खान साहिब या इस्लाम में धर्मांतरण से पहले मरुधनायगम) को कंपनी द्वारा भेजा गया था। ये पुली थेवर पर हमला करने के लिए तैयार नहीं थे, जब तक कि तिरुचिरापल्ली से बड़ी बंदूकें और गोला-बारूद न आ जाये।
- युसुफ खान पर पलायक्करों से बातचीत करने के कारण विश्वासघात का आरोप लगाया गया और 1764 में उन्हें फांसी दे दी गई।
पुली थेवर का पतन:
- युसुफ खान की मृत्यु के बाद, पुली थेवर ने 1764 में नेरकट्टुमसेवल पर पुनः कब्जा कर लिया। 1767 में उन्हें कैप्टन कैंपबेल ने पराजित किया।इस लड़ाई में पुली थेवर बच गए और निर्वासन में उनकी मृत्यु हो गई।