
Oct. 21, 2022
आचार्य विनोबा भावे
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने आचार्य विनोबा भावे को उनकी जयंती (11 सितंबर) पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
आचार्य विनोबा भावे के बारे में :
जन्म: उनका जन्म 11 सितंबर, 1895 को कोंकण क्षेत्र के कोलाबा में गागोजी (वर्तमान गागोडे बुद्रुक) नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था।
बचपन का नाम: विनायक नरहरि भावे
- विनायक नरहरि शंभूराव और रुक्मिणी देवी के सबसे बड़े पुत्र थे।विनायक का पालन-पोषण उनके दादा शंबुराव भावे ने किया था और वे कर्नाटक की एक धार्मिक महिला अपनी माँ रुक्मिणी देवी से बहुत प्रभावित थे। बहुत कम उम्र में, भगवद्गीता पढ़ने के बाद विनायक अत्यधिक प्रेरित हुए।
- इसी क्रम में उन्होंने गीता का मराठी भाषा में अनुवाद गीताई (मराठी में 'मदर गीता') शीर्षक के साथ किया गया है।
- उन्हें भारत का राष्ट्रीय शिक्षक माना जाता है। वह एक अहिंसा समर्थक , स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता, समाज सुधारक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे। इन्होंने ब्रह्मचर्य का व्रत लिया और जीवन भर उसका पालन किया। गांधी जी इनके ब्रह्मचर्य का सम्मान करते थे।
गांधी के साथ जुड़ाव:
- विनोबा ने 7 जून, 1916 को गांधी से मुलाकात की और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ जुड़ गये। वे कुछ समय के लिए गांधी जी के साथ साबरमती आश्रम में एक झोपड़ी में रहे, जिसका नाम 'विनोबा कुटीर' रखा गया।
- आश्रमवासियों को इन्होंने मराठी में भगवद गीता पर ज्ञान दिया जिसे बाद में एक पुस्तक ‘टॉक्स ऑन द गीता’ के रूप में प्रकाशित किया गया।
- 1921 में , विनोबा भावे गांधी के निर्देशों के तहत वर्धा में एक गांधी-आश्रम का प्रभार लेने के लिए गए। वहाँ अपने प्रवास के दौरान, मराठी में एक मासिक 'महाराष्ट्र धर्म' निकाला, जिसमें उपनिषदों पर उनके निबंध शामिल थे।
स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- उन्होंने असहयोग आंदोलन में विदेशी के बजाय स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के आन्दोलन में भाग लिया।
- उन्होंने खादी का मंथन करने वाला चरखा उठाया और दूसरों से ऐसा करने का आग्रह किया जिसके परिणामस्वरूप कपड़े का बड़े पैमाने पर उत्पादन भी हुआ।
- ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश के आरोप में, विनोबा को 1932 में छह महीने के लिए जेल जाना पड़ा।
- गांधी द्वारा उन्हें पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही (सामूहिक कार्रवाई के बजाय सत्य के लिए खड़े होने वाले व्यक्ति) के रूप में भी चुना गया था।
- भावे ने भारत छोड़ो आंदोलन में भी भाग लिया।
भूदान आंदोलन:
- 1951 में, विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन तेलंगाना के पोचमपल्ली से शुरू किया।
- उन्होंने जमीन के मालिक भारतीयों से दान में जमीन ली तथा इसे गरीबों और भूमिहीनों को दे दिया, ताकि वे खेती कर सकें।
ग्रामदान:
- 1954 के बाद उन्होंने ग्रामदान नामक एक कार्यक्रम में पूरे गाँव से चंदा माँगना शुरू किया।
- उन्हें एक हजार से अधिक गाँव दान के रूप में मिले। अकेले तमिलनाडु से 175 गाँव दान में मिले थे।
ब्रह्म विद्या मंदिर:
- यह भावे द्वारा बनाए गए आश्रमों में से एक है। इसमें महिलाओं के लिए एक समुदाय बनाया गया जो महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए काम करता था।
साहित्यिक रचना - स्वराज्य शास्त्र, गीता प्रवचन , तीसरी शक्ति आदि।
मृत्यु : 1982 में वर्धा, महाराष्ट्र में उनका निधन हो गया।