Dec. 24, 2022

भारत- जापान परमाणु पनडुब्बी परियोजना

प्रश्न पत्र – 2 (अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध) 

स्रोत – द इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों ?

  • बीजिंग के बढ़ते समुद्री दबदबे के कारण संयुक्त भारत-जापान परमाणु पनडुब्बी परियोजना की आवश्यकता की मांग निरंतर बढ़ रही है। दक्षिण चीन सागर,हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर में चीन की बढ़ती भागीदारी सीमावर्ती देशों के लिए समस्या उत्पन कर रही है।

QUAD समूह 

  • QUAD का गठन भारत-प्रशांत क्षेत्र में संयुक्त सुरक्षा और अन्य हितों की रक्षा के लिए सहयोग करने हेतु एक मंच के रूप में किया गया था, लेकिन एक अनुमान के अनुसार QUAD का गठन चीन की सैन्य और आर्थिक संवृद्धि से मुकाबला करने के लिए किया गया था। 

ऑकस (AUKUS) 

  • यह ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता है, जिसकी घोषणा 15 सितंबर, 2021 को भारत-प्रशान्त क्षेत्र के लिए की गई थी। 
  • इस समझौते के तहत, अमेरिका और ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियाँ प्राप्त करने में मदद करने के लिए सहमत हुए। 
  • हालांकि, एक अनुमान के अनुसार, इसे भी भारत-प्रशान्त क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है। 
  • अमेरिका द्वारा बिना किसी पूर्व चेतावनी के AUKUS की घोषणा भारतीय विदेश नीति के प्रमुख बिंदुओं में से एक थी। 

भारतीय परमाणु पनडुब्बी 

  • भारत द्वारा अरिहंत श्रेणी की परमाणु पनडुब्बी लॉन्च की जा चुकी है जिसने इस धारणा को गलत सिद्ध किया कि सभी परमाणु पनडुब्बियां एक जैसी होती हैं।
  • केवल संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम परमाणु पनडुब्बियों को 95% संवर्धन के ईंधन कोर के साथ संचालित करते हैं, जिससे पनडुब्बी के 35 साल के जीवन काल में प्रणोदन इकाई को भारी शक्ति मिलती है।

अन्य पनडुब्बियां 

  • इनमें निम्न-समृद्ध यूरेनियम का कोर होता है, जिससे उनकी जीवन अवधि  मध्यम परिचालन गति पर 10 साल से कम की होती है। 
  • एक अमेरिकी या ब्रिटिश परमाणु पनडुब्बी में इतनी संरक्षित शक्ति होती है कि इसे लगातार दो पूर्ण काल के कर्मचारियों द्वारा एक के बाद एक बारी-बारी से संचालित किया जाता है। इनके लिए दूरियां कोई मायने नहीं रखतीं क्योंकि वे प्रति दिन 500 मील की गति से चलती हैं। 

भारत के पास विकल्प 

  • अत्यधिक समृद्ध कोर रिएक्टरों को प्राप्त करने के लिए भारत का विकल्प जापान उपलब्ध करवा सकता है जो एक ऐसा देश जहाँ परमाणु हथियार अभिशाप हैं। लेकिन यह जापानियों को परमाणु रिएक्टरों को राष्ट्रीय रणनीतिक पसंद के रूप में मानने से नहीं रोकता है।
  • यदि किसी एशियाई शक्ति के पास नौसैनिक प्रणोदन रिएक्टर बनाने की क्षमता है, तो वह चीन के खिलाफ QUAD में भारत का भागीदार जापान ही हो सकता है। 
  •  
  • बहुराष्ट्रीय कंसोर्टियम में यूके, जर्मनी, इटली और स्पेन शामिल हैं, जिसमें प्रत्येक देश ने अत्यधिक सफल मल्टी-रोल फाइटर बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया। 
  • भारत स्वतंत्र रूप से परमाणु संचालित पनडुब्बी का निर्माण कर सकता है। भारत की कम समृद्ध यूरेनियम कोर वाली परमाणु पनडुब्बी का अत्यंत सीमित संचालन सतर्क और रूढ़िवादी समुद्री रणनीति के लिए बैकफुट पर जाने के लिए मजबूर करेगा।
  • दूसरी ओर,भारत की अत्यधिक समृद्ध कोर और असीमित सहनशक्ति वाली एक परमाणु पनडुब्बी, विशाखापत्तनम से प्रस्थान कर दक्षिण चीन सागर में कार्य कर सकती है और दोनों देशों की भारत-जापानी परमाणु पनडुब्बी परियोजना, दक्षिण चीन सागर में परमाणु पनडुब्बियों का संचालन करने वाले चीन की मुस्कान को चिंता में बदल देगी।

आगे की राह 

  • दोनों देशों को अपने सामरिक बचाव हेतु एशियाई बहुपक्षीय परमाणु पनडुब्बी परियोजना विकसित करने की आवश्यकता है। भारतीय नौसेना का उत्कृष्ट डिजाइन संगठन पनडुब्बी के लिए डिज़ाइन प्रदान कर सकता है, जबकि जापान, प्रणोदन रिएक्टर का निर्माण कर सकता है, साथ ही पूरी परियोजना का प्रबंधन एक अंतर-सरकारी समूह द्वारा किया जाना चाहिए।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न  प्रश्न

QUAD समूह में निम्नलिखित में से कौन से देश शामिल हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया        2.         रूस एवं भारत   

3.   भारत एवं जापान                                   4.         ब्राज़ील , दक्षिण अफ्रीका एवं भारत 

नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए-

(a) 1 और 2                   (b)   2 और 3                     (c) 1 और 3                                  (d) 2 और 4  

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

प्रश्न- हाल के वर्षों में जापान, पूर्व या पश्चिम के अन्य देशों की तुलना में अभूतपूर्व तरीके से भारत के निकट आया है। टिप्पणी कीजिए।