Dec. 17, 2022

शक्ति-पृथक्करण का सिद्धांत

प्रश्न पत्र- 2 (शक्तियों का पृथक्करण)

स्रोत- द हिन्दू 

चर्चा में क्यों?

  • भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने भारतीय संविधान में शक्तियों के पृथक्करण के अत्यधिक महत्व का मूल्यांकन किया है।

शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत के बारे में

  • एक संविधान, किसी देश का मौलिक या बुनियादी कानून होने के नाते, न केवल सरकार के कार्यों को सूचीबद्ध करता है, बल्कि सरकार के तीन अंगों - विधायिका (कानून- निर्माण), कार्यपालिका (कानून और दिन-प्रतिदिन के प्रशासन का प्रबंधन करने के लिए) और न्यायपालिका (विवादों पर निर्णय लेने के लिए) के बीच कार्यों को भी वितरित करता है। ।
  • यह वितरण 18वीं शताब्दी के फ्रांसीसी दार्शनिक मॉन्टेस्क्यू द्वारा प्रस्तावित शक्तियों के पृथक्करण सिद्धांत पर आधारित है।
  • इसमें सरकार के तीनों अंगों की पारस्परिक विशिष्टता पर बल दिया गया है।

लक्ष्य और उद्देश्य

  • इस सिद्धांत का उद्देश्य किसी व्यक्ति या समूह द्वारा सत्ता के केंद्रीकरण या शक्ति के दुरुपयोग को रोकना है और नागरिकों को राज्य की निरंकुश और अत्याचारी शक्तियों से बचाना है।
  • इसमें सरकार के अंगों के बीच शक्तियों का एक प्रभावी संतुलन सुनिश्चित करने पर समान रूप से बल दिया गया है।

संवैधानिक प्रावधान

  • संविधान के प्रावधान, जो सरकार के तीन अंगों के बीच कार्यों और शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान करते हैं:
  • अनुच्छेद 50, राज्य द्वारा न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देता है।
  • अनुच्छेद 74 और 163 न्यायालयों को मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रपति और राज्यपाल को दी गई सलाह की जाँच करने से रोकते हैं।
  • अनुच्छेद 122 और 212, न्यायालयों को संसद और विधानसभाओं में कार्यवाही की वैधता पर सवाल उठाने से रोकते हैं।
  • अनुच्छेद 121 और 211, संसद और राज्य विधानमंडल को सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के एक न्यायाधीश के न्यायिक आचरण पर चर्चा करने से रोकते हैं जब तक कि न्यायाधीश को हटाने का संकल्प विचाराधीन न हो।
  • अनुच्छेद 361,  राष्ट्रपति या राज्यपाल को अपने कार्यालय की शक्तियों और कार्यों के क्रियान्वयन एवं प्रदर्शन के लिए किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह होने से प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

तीनों अंगों के बीच निम्नलिखित माध्यम से नियंत्रण और संतुलन सुनिश्चित किया जाता है-

  • विधायी और कार्यकारी कार्यों पर न्यायिक समीक्षा करने के लिए न्यायपालिका की शक्ति।
  • न्यायपालिका कानून के विषय पर न्यायनिर्णय में ‘कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया’ से बंधी है।
  • कार्यकारी प्रमुख द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति और संसद द्वारा पारित प्रस्ताव के आधार पर न्यायाधीशों को हटाना।
  • सरकार का संसदीय प्रणाली, जहाँ कार्यपालिका,विधायिका के प्रति उत्तरदायी होती है।
  • इस प्रकार भारत का संविधान सरकार के तीन अंगों के बीच शक्तियों के कार्यात्मक पृथक्करण के साथ-साथ तीन अंगों के बीच प्रभावी रोक और संतुलन प्रदान करके निरंकुशता और अत्याचार की संभावना को रोकता है, जिसमें एक अंग, दूसरे पर नियंत्रण रखता है।

चुनौतियां 

  • न्यायपालिका की अति सक्रियता की आलोचना होती है।
  • राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) की स्थापना करने वाले 99वें संवैधानिक संशोधन को निरस्त करने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय।
  • संसद ने पिछले सात वर्षों से इस मामले पर ध्यान नहीं दिया था।
  • न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में होने को लेकर भी चिंताएं हैं।

आगे की राह 

  • शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का सम्मान किया जाना चाहिए। यह आपसी विश्वास और सम्मान से युक्त एक संस्थागत सहज संबंध है जो राष्ट्र की सेवा के लिए सबसे उपयुक्त पारिस्थितिकी तंत्र उत्पन्न करता है।
  • लोकतंत्र तब फलता-फूलता है, जब इसके तीन पहलू अपने-अपने कार्य-क्षेत्र का ईमानदारी से पालन करते हैं।
  • नागरिकों के मौलिक अधिकारों का संरक्षक होने के नाते सर्वोच्च न्यायालय को पूर्ण स्वतंत्रता देने की आवश्यकता है। हालांकि, जैसा कि सुझाव दिया गया है कि कॉलेजियम प्रणाली को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए इसे परिष्कृत करने की आवश्यकता है।

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न

प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-

  1. अनुच्छेद -50 , न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के बीच पृथक्करण से सम्बंधित है।
  2. अनुच्छेद- 74, न्यायालय को मंत्रिपरिषद द्वारा राष्ट्रपति को दी गई सलाह की जाँच करने से रोकता है।

उपर्युक्त में से कौन सा/ से कथन सही है/हैं?

(a) केवल 1                         (b) केवल 2                   (c) 1 और 2 दोनों          (d) न तो 1, न ही 2 

मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न

प्रश्न- कार्यपालिका और विधायिका को संविधान के तहत परिकल्पित पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए न्यायपालिका के साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। टिप्पणी 

 

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