Nov. 12, 2022

11 november 2022

 


भारत और रूस - यूक्रेन युद्ध

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के बाद भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मास्को यात्रा की और भारत की ‘’संवाद और कूटनीति’’ की पुरजोर वकालत करते हुए, "शांति, अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए सम्मान और संयुक्त राष्ट्र चार्टर पर समर्थन" जताया|"

युद्ध ने वैश्विक व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया है जो दुनिया को मंदी की ओर ले जा सकता है| उक्त बातों  को जयशंकर ने " भारत की तरफ से प्रस्तुत किया और इसे ‘वैश्विक दक्षिण’ नाम दिया|

वैश्विक दक्षिण देश -

  • वैश्विक दक्षिण देशों में लैटिन अमेरिका, एशिया, अफ्रीका और ओशिनिया में विकासशील और कम विकसित देशों को शामिल किया जाता है| यह क्षेत्र भोजन, उर्वरक और ईंधन की कमी के कारण जूझ रहा है|
  • ग्लोबल साउथ, इन समस्यायों को बहुत तीव्रता से महसूस कर रहा है| इसलिए, भारत संवाद  और कूटनीति की वापसी की पुरजोर वकालत करता है| 

भारत का रुख- 

  • नई दिल्ली ने अस्पष्ट रूप सेयूक्रेन पर रूसी आक्रमण के लिए, अपनी अस्वीकृति व्यक्त की थी| राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान, अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था का एक अनिवार्य तत्व है|

 

भारत की मध्यस्थता  -

  • दक्षिण एशिया की उभरती शक्ति के रूप में भारत को यूक्रेन और रूस के मध्यस्त के रूप में देखा जा रहा है हाल ही में मक्सिको द्वारा मोदी, पोप फ्रांसिस और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को रूस-यूक्रेन समस्या का हल निकालने का सुझाव दिया गुटेरेस ने संकट को कम करने में मदद के लिए भारत की ओर रुख किया है।|
  • सचिव विजय गोखले की किताब, स्ट्रैटेजिक चैलेंजेस: इंडिया इन 2030 में –‘भारत 21 वीं सदी में चीन और अमेरिका के बीच प्रतिद्वंद्विता में एक अग्रणी राज्य बन सकता है|’ की चर्चा की गयी है| 
  • भारत को मध्यस्ता से पूर्व --यूक्रेन और यूरोपीय भागीदारों के बीच गत्यात्मकता को समझना होगा और नाटो, यूरोप और अमेरिका के साझा हित क्या हैं?
  • दूसरा, वैश्विक संकट के बीच बातचीत भारत को संकट में डाल सकती है| क्योकि भारत ने घरेलू मामलों में मध्यस्थता करने की कोशिश की थी लेकिन अपनी उंगलियां जला दी गयी|
  • तीसरा, भारतीय प्रतिष्ठान की जोखिम लेने की क्षमता क्या है?क्योंकि नई दिल्ली अपने तत्काल क्षेत्र में जोखिम भरे युद्धाभ्यास के बारे में दुस्साहसी रही है|
  • चौथा सवाल विश्वसनीयता का है, जिसे भारत ने सख्ती के मार्ग पर चलकर हासिल किया है| लेकिन पश्चिम में कुछ लोग भारत को रूस के करीबी के रूप में देखते है जो अविश्वास को बढ़ाता है| 

भारत और रूस के द्विपक्षीय सम्बन्ध - 

रूसी तेल: भारत अपने उपभोक्ताओं की जरूरतों हेतु सस्ती दरो पर रूसी तेल खरीद जारी रखेगा|

व्यापार: भारतीय मंत्री ने व्यापार असंतुलन की चिंता व्यक्त की और भारतीय निर्यात सम्बन्धित बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया|

उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, उच्च तकनीक और परमाणु सहित रसद और परिवहन के क्षेत्र में सहयोग के बारे में बात की|

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS)

चर्चा में क्यों ?

19वां आसियान-भारत शिखर सम्मेलन 12 नवंबर को और 17वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन 13 नवंबर को कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में आयोजित होगा|

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व करेगे|

शिखर सम्मेलन सप्ताह बाद, भारत और आसियान के रक्षा मंत्रियो की बैठक होगी|


दोनों पक्षों के बीच 30 साल के मैत्री संबंधों को चिह्नित करने के लिए यह बैठक  2022 को "मैत्री वर्ष" के रूप में घोषित कर रही है| 

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन क्या है ?

  • यह रणनीतिक वार्ता के लिए इंडो-पैसिफिक देशो को एक मंच प्रदान करता है|
  • यह एकमात्र नेता-नेतृत्व वाला मंच है, जिस पर सभी प्रमुख हिंद-प्रशांत भागीदार इस क्षेत्र में आने वाली राजनीतिक, सुरक्षा और आर्थिक चुनौतियों पर चर्चा की जाती हैं, और निकट क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| 

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन -2021

  • 16वां EAS की अध्यक्षता ब्रुनेई दारुस्सलाम ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से की थी|
  • EAS  नेताओं ने कोविड-19 टीकों तक सुरक्षित, किफायती और न्यायसंगत पहुंच, स्वास्थ्य सुरक्षा, दक्षिण चीन सागर, म्यांमार और हांगकांग की स्थिति, कोरियाई प्रायद्वीप, जलवायु परिवर्तन, साइबर सुरक्षा और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने सहित प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की|
  • ईएएस नेताओं ने 2021 में तीन बयानों को अपनाया: सस्टेनेबल रिकवरी; पर्यटन सुधार के माध्यम से आर्थिक विकास; और मानसिक स्वास्थ्य सहयोग|

आसियान देश 

  • 10 दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का समूह ,जो आपस में आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने के लिए भी कार्य करते हैं|
  • इसका मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है| 
  • इसके संस्थापक सदस्य थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर थे। ब्रूनेई ,वियतनाम, लाओस और बर्मा इसके सदस्य बाद में बने|

 

टू-फिंगर टेस्ट पर प्रतिबंध

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा घोषणा की कि बलात्कार या यौन उत्पीड़न से बचे लोगों पर 'टू-फिंगर टेस्ट' करने वाला कोई भी व्यक्ति कदाचार का दोषी पाया जाएगा|

सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला:

  • अदालत ने कहा कि यह परीक्षण "प्रतिगामी और आक्रामक" है और इसका "कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है क्योंकि यह बलात्कार के आरोपों को न तो साबित करता है और न ही अस्वीकार करता है| "
  • यह "उन महिलाओं को पुनः पीड़ित करने का भी अक माद्यम बन जाता है |"
  • 2013 में लिलू बनाम हरियाणा राज्य केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि टू-फिंगर टेस्ट बलात्कार से बचे लोगों के अधिकार का उल्लंघन करता है|
  • न्यायमूर्ति वर्मा समिति (आपराधिक कानून में संशोधन की सिफारिश करने के लिए गठित) ने भी 2013 में टू-फिंगर टेस्ट को बंद करने की सिफारिश की थी, जो योनि की मांसपेशियों की शिथिलता को निर्धारित करने के लिए आयोजित किया जाता है|

टू-फिंगर टेस्ट  क्या है ?

  • टू-फिंगर टेस्ट आक्रामक और अवैज्ञानिक है जहां योनि की मांसपेशियों की शिथिलता का आकलन करने और हाइमन की जांच करने के लिए योनि में दो उंगलियां डाली जाती हैं|
  • यौन उत्पीड़न और बलात्कार के कथित पीड़ितों पर टू-फिंगर टेस्ट किया जाता है | ताकी निर्धारित किया जा सके कि उन्हें संभोग की आदत है या नहीं|
  • यह परीक्षण गलत धारणा पर आधारित है क्योकि इसके अनुसार एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है|
  • इसमें जांच अधिकारी को निष्कर्ष निकालना होता है कि बलात्कार किया गया था या नहीं|

चुनौतियां

  • 2014 में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टू-फिंगर टेस्ट के आवेदन को निर्धारित करते हुए 'दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल' जारी किए थे| 
  • स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय (या पुलिस विभाग) के बीच संवाद का सीमित होना| 

सुझाव

  • सभी विभाग जो अपराधों की जांच से संबंधित हैं या आपराधिक न्याय प्रणाली में हितधारक हैं, उन्हें समय-समय पर एक साथ आना चाहिए ताकि वे सर्वोत्तम प्रथाओं, कानून में नवीनतम विकास और अदालत के फैसलों का आदान-प्रदान कर सकें|
  • इस प्रक्रिया की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एक संस्थागत तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है|
  • मंत्रालयों और विभागों में एकरूपता|
  • दो अंगुलियों के परीक्षण और साक्ष्यों के संग्रह के संबंध में न्यायमूर्ति वर्मा समिति की सिफारिश का कड़ाई से क्रियान्वयन होना चाहिए|

 

वीरांगना सेवा केंद्र

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में भारतीय सेना द्वारा वीर नारियों के कल्याण और शिकायतों के निवारण के लिए "वीरांगना सेवा केंद्र" (VSK) नामक एकल विंडो की सुविधा शुरू की गई|

प्रमुख बिंदु 

  • शहीदों की पत्नियों के कल्याण के लिए भारतीय सेना बड़े कदम उठा रही|
  • शहीदों के परिजनों और उनकी पत्नियों  के पास टेलीफोन, एसएमएस, व्हाट्सएप, पोस्ट, ई-मेल और सहायता प्राप्त करने के लिए वॉक-इन के माध्यम से वीएसके से संपर्क करने के कई साधन होंगे|
  • विभिन्न हितधारक यानी रिकॉर्ड ऑफिस, ऑफिसर रिकॉर्ड ऑफिस, ईसीएचएस, एडब्ल्यूडब्ल्यूए, कैंटीन सर्विसेज डायरेक्टोरेट, कर्नल वेटरन आदि सीआरएम सॉफ्टवेयर के माध्यम से शिकायतों की स्थिति की निगरानी कर सकते है|

खसरा  प्रकोप

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मुंबई में बढते ,खसरे का प्रकोप चिंता का कारण बना हुआ है|

 खसरा क्या है?

  • खसरा रोग पैरामाइक्सोवायरस परिवार के एक वायरस के कारण होने वाला एक संक्रमण रोग है|  यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल सकता है| यह वायरस छोटा परजीवी रोगाणु होता हैं|
  • खसरे के कारण पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं| खसरा रोग को रूबेला (Rubeola) भी कहा जाता है|
  • वायरस शरीर में मौजूद कोशिकाओं पर आक्रमण करना शुरू कर देता हैं और अपने जीवन चक्र को पूरा करने के लिए सेलुलर घटकों का उपयोग करता है| खसरे का वायरस सबसे पहले श्वसन तंत्र को संक्रमित करता है| 

खसरा होने के कारण क्या है?

  • संक्रामक व्यक्ति के पास रहने पर |
  • संक्रामक के छिकने और खासने से हवा में फ़ैले कण दुसरे व्यक्ति को बड़ी आसानी से अपनी चपेट में ले सकते है|
  • विटामिन-A की कमी होना|
  • गर्भवति महिलाओ के  शरीर में चल रहे लगातार हार्मोनल बदलाव की वजह से गर्भवस्था के दौरान महिलाओं को खसरा होने का खतरा रहा है|
  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता होने पर |

खसरे के लक्षण क्या है?

  • खसरे के संकेत और लक्षण वायरस के संपर्क में आने के लगभग 10 से 14 दिनों के बाद दिखाई देते हैं|
  • सामान्य से तेज बुखार आना ,सूखी खाँसी होना ,लगातार नाक बहना, गले में खरास बने रहना ,आँखों में सूजन आना|
  • गाल की अंदरूनी परत, मुंह के अंदर पाए जाने वाले लाल रंग की पृष्ठभूमि पर नीले-सफेद केंद्रों वाले छोटे सफेद धब्बे – जिन्हें कोप्लिक स्पॉट भी कहा जाता है| 
  • त्वचा पर लाल चकत्ते खसरे का एक क्लासिक संकेत है| ये दाने 7 दिनों तक रह सकते हैं और आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के 14 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं| शुरुआत में सिर पर विकसित होते है और धीरे-धीरे शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते है |
  • खसरे का कोई विशिष्ट उपचार नहीं है लेकिन इससे सुरक्षित रहने के लिए एक टीका है, जो सुरक्षित होने के साथ-साथ किफायती भी है|