
Feb. 2, 2023
1 february 2023
पैन का उपयोग
चर्चा में क्यों ?
- बजट- 2023 के अनुसार स्थायी खाता संख्या (पैन) निर्दिष्ट सरकारी एजेंसियों की सभी डिजिटल प्रणालियों के लिए एक सामान्य व्यवसाय पहचानकर्त्ता के रूप में उपयोग की जाएगी।
प्रमुख बिंदु
- केंद्रीय बजट- 2023 के अनुसार "एकीकृत फाइलिंग प्रक्रियाओं की एक प्रणाली स्थापित की जाएगी, ताकि रिटर्न दाखिल करने वालों की वरीयताओं के अनुसार एजेंसियां एक सामान्य पोर्टल से डेटा प्राप्त कर सकें।"
- इससे व्यापार करने में आसानी होगी और कानूनी शासनादेश के साथ इसे लागू किया जाएगा।
- आधार और डिजीलॉकर को आम पहचानकर्त्ताओं के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
पैन नंबर क्या है ?
- आधार, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा भारत के निवासी को जारी किया जाता है, वहीं पैन एक 10-अंकीय अल्फ़ान्यूमेरिक संख्या है जो आयकर विभाग द्वारा किसी व्यक्ति, फर्म या संस्था को आवंटित की जाती है।
- पैन कार्ड नंबर के पहले तीन अंक अंग्रेजी के अक्षर होते हैं जो AAA से ZZZ तक रहते हैं। पैन का चौथा अक्षर अटैचमेंट के स्टेटस को दिखता है। पैन कार्ड नंबर का चौथा अंक भी अंग्रेजी में होता है।
- "P" किसी एक व्यक्ति के लिए
- "C" कंपनी के लिए
- "H" हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के लिए
- "A" लोगों के समूह (AOP) के लिए
- "B" व्यक्तियों के निकाय (BOI) के लिए
- "G" सरकारी एजेंसी के लिए
- "J" कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति (Artificial Juridical Person) के लिए
- "L" स्थानीय निकायों के लिए
- "F" फर्म/ लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP) के लिए
- 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2023-24 के लिए अपना पांचवां केंद्रीय बजट पेश किया। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष के लिए बजट प्रस्ताव समावेशी विकास, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता को उजागर करने, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र के अंतिम मील तक पहुंचने पर टिका है।
उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण
चर्चा में क्यों ?
- राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान रखा गया।
क्या मुगलों ने मुगल गार्डन का निर्माण किया था?
- नहीं। मुगल गार्डन को ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस द्वारा डिजाइन किया गया था, जिन्होंने नई दिल्ली की अधिकांश योजना बनाई थी।
- भारत में ब्रिटिश शासकों ने 1911 में राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।12 दिसंबर, 1911 को दिल्ली दरबार में किंग जॉर्ज के राज्याभिषेक के दौरान इस कदम की घोषणा की गई।
- सर लुटियंस को 1912 में दिल्ली की योजना पर सलाह देने के लिए चुना गया था। उनकी टीम ने राष्ट्रपति महल के लिए दक्षिण की ओर रायसीना हिल का चयन किया, जिसे तब ‘वायसराय हाउस’ कहा जाता था क्योंकि उत्तरी साइट यमुना नदी के करीब थी और बाढ़ के संवेदनशील थी।
- $14 मिलियन की अनुमानित लागत पर, राष्ट्रपति महल को बनने में 17 साल से अधिक का समय लगा। वायसराय और भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड इरविन 6 अप्रैल, 1929 को इसके पहले अधिवासी बने।
- 15 अगस्त, 1947 को भारत के स्वतंत्र होने पर वायसराय हाउस का नाम बदलकर ‘गवर्नमेंट हाउस’ कर दिया गया। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के कार्यकाल में इसका नाम बदलकर ‘राष्ट्रपति भवन’ कर दिया गया।
मुगल गार्डन का नाम ऐसा क्यों पड़ा?
- राष्ट्रपति भवन के अन्य हिस्सों की तरह संलग्न मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) को डिजाइन किया गया था, ताकि भारतीय भूनिर्माण और वास्तुकला के साथ ब्रिटिश शैली के तत्वों को समायोजित किया जा सके।
- मुगल उद्यान फारस (ईरान) के उद्यानों से काफी प्रभावित है। इन उद्यानों की एक प्रमुख विशेषता चारबाग या चारबाग लेआउट है, जिसमें बगीचे का विभाजन पैदल मार्ग और जल चैनलों द्वारा चार भागों में किया जाता है। इनमें से अधिकांश उद्यान सीढ़ीदार हैं।
- यह शैली मुगलों द्वारा निर्मित स्थापत्यों में मुख्य रूप से पायी जाती है। उदाहरण के लिए, आगरा में ताजमहल, दिल्ली में हुमायूं का मकबरा और कश्मीर में निशात बाग आदि।
- मुगल राजवंश का संस्थापक बाबर एक सममित मुगल-शैली उद्यान के इस विचार की कल्पना करने वाला पहला व्यक्ति था जिसका उल्लेख उसने अपने ग्रंथ ‘बाबरनामा’ में किया है।
बगीचे में हालिया परिवर्धन
- पिछले कुछ वर्षों में मुगल उद्यान में कुछ नए तत्व जोड़े गए हैं। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने 2002 में राष्ट्रपति भवन एस्टेट में हर्बल गार्डन का निर्माण किया। उन्होंने स्पिरिचुअल गार्डन और म्यूजिकल गार्डन को भी जोड़ा, जो अब अमृत उद्यान है।
'हरित विकास'
चर्चा में क्यों ?
- वित्त मंत्री ने अपने बजट की 7 प्राथमिकताओं में से एक के रूप में 'हरित विकास' को सूचीबद्ध किया।
- उन्होंने कहा कि ये 7 सिद्धांत एक-दूसरे के पूरक हैं और अमृत काल के माध्यम से भारत का मार्गदर्शन करने वाले 'सप्तऋषि' के रूप में कार्य करते हैं। हरित विकास इन सात प्राथमिकताओं में पांचवां है।
- वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली के आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए "लाइफ" या पर्यावरण के लिए जीवन शैली (LiFE) के लिए एक दृष्टिकोण दिया है।
हरित हाइड्रोजन मिशन
- 19,700 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ हाल ही में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, अर्थव्यवस्था को कम कार्बन उत्सर्जन में सहायता प्रदान करेगा, जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करेगा, और देश को इस सूर्योदय में प्रौद्योगिकी और बाजार का नेतृत्व करने में मदद करेगा।
- भारत का लक्ष्य 2030 तक हरित हाइड्रोजन के 5 MMT वार्षिक उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचना है।
- ऊर्जा परिवर्तन: बजट में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा ऊर्जा संक्रमण और शुद्ध शून्य उद्देश्यों तथा ऊर्जा सुरक्षा के लिए प्राथमिकता वाले पूंजी निवेश के लिए 35,000 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं।
- ऊर्जा भंडारण परियोजनाएं: सतत विकास पथ पर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए 4,000 MWH की क्षमता वाली बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणालियों को वायबिलिटी गैप फंडिंग के साथ समर्थित किया जाएगा। पम्प्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की जाएगी।
- नवीकरणीय ऊर्जा निकासी: लद्दाख से 13 GW नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी और ग्रिड एकीकरण के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली का निर्माण 8,300 करोड़ रुपये के केंद्रीय समर्थन सहित 20,700 करोड़ रुपये के निवेश से किया जाएगा।
- ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम: व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत एक ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम अधिसूचित किया जाएगा। यह कंपनियों, व्यक्तियों और स्थानीय निकायों द्वारा पर्यावरणीय रूप से स्थायी और उत्तरदायी कार्यों को प्रोत्साहित करेगा और ऐसी गतिविधियों के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने में मदद करेगा।
- PM-PRANAM: वैकल्पिक उर्वरकों और रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रोत्साहित करने के लिए एक नया "प्रधानमंत्री कार्यक्रम धरती माता की बहाली, जागरूकता, पोषण और सुधार" (PM-PRANAM) शुरू किया जाएगा।
- गोबरधन योजना: चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए गोबरधन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना के तहत 500 नए 'वेस्ट टू वेल्थ' प्लांट स्थापित किए जाएंगे। इनमें शहरी क्षेत्रों में 75 संयंत्रों सहित 200 संपीडितत बायोगैस (सीबीजी) संयंत्र और 10,000 करोड़ रुपये के कुल निवेश पर 300 सामुदायिक या क्लस्टर आधारित संयंत्र शामिल होंगे।
- भारतीय प्राकृतिक खेती जैव-इनपुट संसाधन केंद्र: अगले तीन वर्षों में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने की सुविधा देने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके लिए 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो राष्ट्रीय स्तर पर वितरित सूक्ष्म उर्वरक और कीटनाशक निर्माण नेटवर्क तैयार करेंगे।
- मिष्टी: 'मैंग्रोव इनिशिएटिव फॉर शोरलाइन हैबिटैट्स एंड टैंजिबल इनकम'(मिष्टी), मनरेगा, कैम्पा फंड और अन्य के बीच अभिसरण के माध्यम से, जहां भी संभव हो, समुद्र तट के किनारे और साल्ट पैन भूमि पर मैंग्रोव वृक्षारोपण के लिए प्रारंभ किया जाएगा।
- अमृत धरोहर: आद्र्भुमियां महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र हैं जो जैविक विविधता को बनाए रखती हैं। सरकार अमृत धरोहर के माध्यम से उनके अद्वितीय संरक्षण मूल्यों को बढ़ावा देगी, अगले तीन वर्षों में आर्द्रभूमि के इष्टतम उपयोग को प्रोत्साहित करने और स्थानीय समुदायों के लिए जैव-विविधता, कार्बन स्टॉक, इको-पर्यटन के अवसरों और आय सृजन को प्रोत्साहित करने के लिए एक योजना लागू की जाएगी।
एकलव्य स्कूल
चर्चा में क्यों ?
- केंद्र सरकार देश के आदिवासी समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए एक नई योजना शुरू करने के लिए तैयार है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगले तीन वर्षों में कमजोर जनजातीय समूह (PM-PVTG) विकास मिशन के लिए 15,000 करोड़ रुपये की घोषणा की।
एकलव्य आवासीय विद्यालय (EMRS)
- EMRS पूरे भारत में भारतीय आदिवासियों (ST- अनुसूचित जनजाति) के लिए आदर्श आवासीय विद्यालय बनाने की योजना है। इसका प्रारंभ 1997-98 में हुआ था।
- जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय की योजना आस-पास के इलाकों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है।
- EMRS में सीबीएसई के अनुसार पाठ्यक्रम बदल दिया गया है।
- न केवल एक कामकाजी शिक्षा, बल्कि आदिवासी छात्रों के सर्वांगीण विकास पर जोर देते हुए आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एकल व्यक्तिगत आदर्श विद्यालय विकसित किए जा रहे हैं।
PM-PVTG क्या है ?
- भारत में जनजातीय आबादी कुल जनसंख्या का 8.6% है।
- जनजातीय समूहों के बीच पीवीटीजी अधिक असुरक्षित हैं। वस्तुतः अधिक विकसित और मुखर जनजातीय समूह जनजातीय विकास निधियों का एक बड़ा हिस्सा ले लेते हैं, जिसके कारण पीवीटीजी को उनके विकास के लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है।
- 1973 में, ढेबर आयोग ने आदिम जनजातीय समूहों (पीटीजी) को एक अलग श्रेणी के रूप में बनाया, जो जनजातीय समूहों के बीच कम विकसित हैं। 2006 में, भारत सरकार ने PTGs का नाम बदलकर PVTGs कर दिया।
- इस संदर्भ में, 1975 में, भारत सरकार ने पीवीटीजी नामक एक अलग श्रेणी के रूप में सबसे कमजोर जनजातीय समूहों की पहचान करने की पहल की और 52 ऐसे समूहों की घोषणा की, जबकि 1993 में अतिरिक्त 23 समूहों को श्रेणी में जोड़ा गया, जिससे इनकी कुल संख्या 75 हो गयी है।