
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न
प्रश्न- स्वदेशी आंदोलन की विशेषताएँ थीं -
1. आत्मनिर्भरता पर बल
2. किसानों की व्यापक भागीदारी
3. सांस्कृतिक पुनरुत्थानवाद
कूट:
(a ) 1 और 2
(b) 2 और 3
(c) 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर- (c)
व्याख्या- स्वदेशी आन्दोलन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार: इसमें विदेशी कपड़ों का बहिष्कार और उन्हें सार्वजनिक रूप से जलाना, विदेशी नमक या चीनी का बहिष्कार, धोबी द्वारा विदेशी कपड़े धोने से मना करना शामिल था।
सार्वजनिक बैठकें और जुलूस: ये सामूहिक भागीदारी के प्रमुख तरीकों और साथ ही साथ लोकप्रिय अभिव्यक्ति के रूप में उभरे।
स्वयंसेवकों का दल या 'समितियाँ: अश्विनी कुमार दत्त की ‘स्वदेश बांधव’ समिति जैसी समितियाँ जन भागीदारी के एक बहुत लोकप्रिय और शक्तिशाली तरीके के रूप में उभरीं।
पारंपरिक लोकप्रिय त्यौहारों और मेलों का आयोजन : इस तरह के अवसरों का उपयोग जनता तक पहुंचने और राजनीतिक संदेशों को फैलाने के साधन के रूप में करना था। उदाहरण के लिए, तिलक के गणपति और शिवाजी उत्सव न केवल पश्चिमी भारत में, बल्कि बंगाल में भी स्वदेशी प्रचार का माध्यम बने। बंगाल में भी इस उद्देश्य के लिए पारंपरिक लोक नाट्य रूपों का आयोजन किया जाता था।
आत्मनिर्भरता या 'आत्मशक्ति' पर बल : यह राष्ट्रीय गरिमा, सम्मान और आत्मविश्वास तथा गांवों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान का प्रतीक है।
इसमें किसानों की सीमित भागीदारी रही थी।