
Jan. 3, 2023
30 december 2022
हीमोफीलिया-B
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में, अमेरिकी दवा निर्माता फाइजर इंक ने कहा कि हीमोफीलिया-B के इलाज के लिए इसकी प्रायोगिक जीन थेरेपी ने अपने मुख्य लक्ष्य को अंतिम चरण के अध्ययन में पूरा किया।
- अध्ययन के आंकड़ों से पता चला है कि हीमोफीलिया-B के गंभीर रूपों वाले रोगियों में रक्तस्राव की दर को कम करने में मदद करने के लिए यह चिकित्सा विधि वर्तमान मानक से बेहतर है।
हीमोफीलिया क्या है?
- यह एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसमें रक्त के थक्के जमने की क्षमता गंभीर रूप से कम हो जाती है।
- यह रोग एक जीन में उत्परिवर्तन के कारण होता है, जो रक्त का थक्का बनाने के लिए आवश्यक प्रोटीन बनाने हेतु निर्देश प्रदान करता है।
- यह परिवर्तन या उत्परिवर्तन क्लॉटिंग प्रोटीन को ठीक से काम करने या पूरी तरह से समाप्त होने से रोक सकता है। ये जीन X-गुणसूत्र पर स्थित होते हैं।
- महिलाओं की तुलना में पुरुष हीमोफिलिया के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। यह एक दुर्लभ बीमारी है।लगभग 10,000 में से 1 व्यक्ति इसके साथ पैदा होता है।
स्रोत- द हिन्दू
ओमेगा सेंटॉरी
चर्चा में क्यों?
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) के खगोलविदों और वैज्ञानिकों ने ओमेगा सेंटॉरी का अध्ययन करते हुए पाया कि गर्म और सफेद बौने तारे अपेक्षाकृत कम पराबैंगनी विकिरण उत्सर्जित करते हैं।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों की एक टीम ने एस्ट्रोसैट (भारत की पहली समर्पित अंतरिक्ष वेधशाला, जो 2015 से काम कर रही है) पर अल्ट्रा वायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (UVIT) छवियों का उपयोग करके गोलाकार समूहों में अजीब गर्म तारों का पता लगाया।
ग्लोबुलर क्लस्टर क्या हैं?
- ग्लोबुलर क्लस्टर गुरुत्वाकर्षण से बंधे हजारों-लाखों तारों के गोलाकार समुच्चय हैं। माना जाता है कि इन प्रणालियों का निर्माण ब्रह्मांड में बहुत पहले हुआ था और खगोलविदों के लिए यह समझने के लिए कि विभिन्न चरणों में तारे कैसे विकसित होते हैं, खगोल भौतिकी प्रयोगशालाओं के रूप में काम कर सकते हैं।
- ओमेगा सेंटॉरी, सेंटोरस के तारामंडल में एक गोलाकार समूह है जिसे पहली बार 1677 में एडमंड हैली द्वारा एक गैर-तारकीय वस्तु के रूप में पहचाना गया था।
- 17,090 प्रकाश-वर्ष की दूरी पर स्थित, यह लगभग 150 प्रकाश-वर्ष के व्यास के साथ मिल्की-वे में सबसे बड़ा ज्ञात गोलाकार समूह है।
गैलेक्सी क्या है?
- एक आकाशगंगा गैस, धूल और अरबों तारों तथा उनके सौरमंडल का एक विशाल संग्रह है जो गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक साथ संगठित हुआ है।
- मिल्की-वे, 100 - 400 बिलियन तारों का समूह है, जिनमें से कई के अपने खुद के ग्रह हैं। पृथ्वी से देखने पर यह आकश में दूध की रेखा की तरह दिखाई देती है, इसलिए इसका नाम मिल्की-वे पड़ा।
स्रोत- द हिन्दू
प्रलय मिसाइल
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र बलों की मारक क्षमताओं को बढ़ाने हेतु, भारतीय वायु सेना और थल सेना के लिए 120 प्रलय मिसाइल खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।
प्रमुख बिंदु
- प्रलय एक स्वदेशी रूप से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है। यह मिसाइल भारत की पहली सामरिक अर्ध-बैलिस्टिक मिसाइल होगी और सशस्त्र बलों को वास्तविक युद्धक्षेत्र में दुश्मन की स्थिति और प्रमुख प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की क्षमता प्रदान करेगी।
- यह रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित ठोस-ईंधन युक्त युद्धक्षेत्र मिसाइल भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के अंतर्गत पृथ्वी रक्षा वाहन पर आधारित है।
विशेषताएं:
- ‘प्रलय' एक ठोस प्रणोदक रॉकेट मोटर और अन्य नई तकनीकों से संचालित होती है। DRDO के अनुसार, मिसाइल मार्गदर्शन प्रणाली में अत्याधुनिक नेविगेशन और एकीकृत एवियोनिक्स तकनीक शामिल हैं।
- इंटरसेप्टर मिसाइलों का सामना करने के लिए इस उन्नत मिसाइल को विकसित किया गया है। यह मध्य हवा में एक निश्चित सीमा तय करने के बाद अपना रास्ता बदलने की क्षमता रखती है।
- यह लगभग 350 किलोग्राम से 700 किलोग्राम तक के पारंपरिक आयुध ले जाने में सक्षम है, जो इसे घातक स्वरुप प्रदान करता है।
- रेंज: इसकी रेंज 150-500 किलोमीटर है।
बैलिस्टिक मिसाइल:
- ये मिसाइलें आरम्भ में एक रॉकेट या रॉकेट की श्रृंखला द्वारा संचालित होती हैं, लेकिन फिर एक शक्तिहीन प्रक्षेपवक्र का अनुसरण करती हुई उच्च गति पर अपने इच्छित लक्ष्य तक पहुंचने के लिए नीचे की ओर झुकती हैं। अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर निकल सकती हैं, जबकि कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलें इसके भीतर रहती हैं।
स्रोत- द प्रिंट
ब्रह्मोस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारतीय वायु सेना (IAF) ने ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
प्रमुख बिंदु
- मिसाइल ने बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में वांछित लक्ष्यों को प्राप्त किया। साथ ही , IAF ने बहुत लंबी दूरी पर भूमि या समुद्र के लक्ष्यों पर SU-30MKI विमान से सटीक हमला करने में एक महत्वपूर्ण क्षमता हासिल की है।
- प्रारंभिक संस्करण की लगभग 290 किलोमीटर की तुलना में यह लगभग 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेदने में सक्षम है।
- ब्रह्मोस एयर लॉन्चेड क्रूज मिसाइल के शुरुआती संस्करण का पहला परीक्षण 2017 में किया गया था।
ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में
- ब्रह्मोस भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा रूस के NPOM के बीच एक संयुक्त उद्यम है। इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मोस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है।
- इसके पहले चरण में दो चरणों वाला ठोस प्रणोदक इंजन और दूसरे चरण में तरल रैमजेट इंजन शामिल है।
- इसे भूमि, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है। यह बहुक्षमता के साथ उच्च सटीकता वाली मिसाइल है जो दिन और रात दोनों में कार्य कर सकती है।
- यह "दागो और भूल जाओ" सिद्धांत पर काम करती है, लॉन्च के बाद इसे और मार्गदर्शन की आवश्यकता नहीं होती है।
- ब्रह्मोस सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में से एक है। इसकी वर्तमान में 2.8 मैक है, जो ध्वनि की गति से लगभग 3 गुनी अधिक है।
स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस
ट्रिपल टेस्ट सर्वे
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को ओबीसी के लिए आरक्षण के बिना शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था क्योंकि इसके लिए 'ट्रिपल टेस्ट' की आवश्यकता पूरी नहीं हुई थी।
- पांच सदस्यीय आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए एक सर्वेक्षण करेगा कि ओबीसी को ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण प्रदान किया गया है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य किया है। यह पहली बार है कि उत्तर प्रदेश में ट्रिपल टेस्ट अभ्यास किया जाएगा।
रैपिड सर्वे:
- उत्तर प्रदेश सरकार के शहरी विकास विभाग ने 7 अप्रैल, 2017 को ओबीसी की आबादी तय करने के लिए तेजी से सर्वे करने के आदेश जारी किए थे।
- नगर पालिका के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में इस तरह के त्वरित सर्वेक्षण के आधार पर संबंधित निर्वाचन क्षेत्र/वार्ड में पिछड़े वर्ग के नागरिकों की जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित की गई।
ट्रिपल टेस्ट क्या है?
ट्रिपल टेस्ट के लिए सरकार को स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण को अंतिम रूप देने के लिए तीन कार्यों को पूरा करने की आवश्यकता है। इसमें शामिल है:
- स्थानीय निकायों में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थों की सख्त अनुभवजन्य जाँच करने के लिए एक समर्पित आयोग का गठन करना;
- आयोग की सिफारिशों के आलोक में स्थानीय निकायों में आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अतिव्याप्ति का उल्लंघन न हो;
- अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए एक साथ कुल सीटों के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं है।
- 4 मार्च, 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने विकास किशनराव गवली बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य के मामले में इन ट्रिपल टेस्ट/शर्तों को रेखांकित किया था।
ट्रिपल टेस्ट क्यों?
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि स्थानीय निकायों के संबंध में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थों की किसी भी जांच या अध्ययन में ऐसे निकायों में प्रतिनिधित्व का पता लगाना शामिल है।
- कोर्ट ने कहा कि इस तरह की कवायद सिर्फ व्यक्तियों की गिनती तक ही सीमित नहीं रह सकती, जैसा कि रैपिड सर्वे के जरिए किया जा रहा है।
- अदालत ने कहा कि केवल जनसंख्या के आधार पर आरक्षण देने से पिछड़ेपन के निर्धारण के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक छूट जाता है, और वह कारक संबंधित वर्ग या समूह का राजनीतिक प्रतिनिधित्व है।
- उच्च न्यायालय ने के कृष्णा मूर्ति मामले में सर्वोच्च न्यायालय के अवलोकन को उद्धृत किया, जिसमें बताया गया था कि नुकसान की प्रकृति, जो शिक्षा और रोजगार तक पहुंच को प्रतिबंधित करती है,की राजनीतिक प्रतिनिधित्व के दायरे में नुकसान के साथ आसानी से बराबरी नहीं की जा सकती है।
स्रोत- द इंडियन एक्सप्रेस