
नए भारत के लिए ‘आत्मनिर्भरता’
प्रश्न पत्र- 3
स्त्रोत -इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा मे क्यों ?
आत्मनिर्भरता का प्रयोग तथा सबक, जो एक राष्ट्र के रूप में भारत आज सीख रहा है, सतत विकास के एक नए मॉडल की शुरुआत करने में मदद कर सकते हैं।
आत्मनिर्भरता के बारे में
आत्मनिर्भर भारत अभियान परिकल्पित एक ‘नए भारत’ की दृष्टि है।
2020 में, आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक किक-स्टार्ट देते हुए प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि ‘देश और उसके नागरिकों को स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बनाना है।’
आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभ हैं - अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढाँचा, प्रौद्योगिकी, जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) और माँग।
महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे विचारकों ने भी न केवल एक राष्ट्र के संदर्भ में, बल्कि स्वयं के संदर्भ में भी आत्मनिर्भरता की व्याख्या की।
उपनिवेशीकरण के प्रभाव
भारत को नवाचार और बौद्धिक उपलब्धियों के लिए जाना जाता है । इसने शासन, आध्यात्मिक विचार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, उद्योग, व्यापार और कई अन्य क्षेत्रों में प्रसिद्धि हासिल की है।
हालाँकि, औपनिवेशिक शासन ने जबरन भारतीय समृद्धि पर रोक लगा दी और कच्चे माल तथा अनुबंधित श्रम का आपूर्तिकर्त्ता बनने के लिए मजबूर कर दिया।
औपनिवेशीकरण और विभिन्न आक्रमणों ने देश के लोगों के बीच हीनता की भावना पैदा की और बौद्धिक शिथिलता को बढ़ावा दिया।
दुर्भाग्य से, आजादी के बाद कई दशकों तक, देश में पारिस्थितिकी तंत्र ने संलग्न नागरिकता के विचार को पर्याप्त रूप से पोषित नहीं किया। लोग राज्य को "प्रदाता" के रूप में देखते रहे, जिससे भारतीयों का एक बड़ा वर्ग अपनी क्षमताओं के बारे में अनिश्चित महसूस कर रहा था।
विवाद और मुद्दे
भारतीय अर्थव्यवस्था अल्प नौकरियों की समस्या से जूझ रही थी जिसे महामारी के कारण और बढ़ावा मिला है।
भारत की कम राज्य क्षमता, खराब स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे और अत्यधिक आबादी वाले शहरी केंद्रों ने इसे विशेष रूप से महामारी से प्रभावित किया है, जिसने अर्थव्यवस्था पर और दबाव डाला है।
यदि सरकार विभिन्न क्षेत्रों को निजी उद्यमों के लिए खोलने, अत्यधिक विनियमन को आसान बनाने और घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण नहीं करती है, तो भारत का विनिर्माण क्षेत्र और अधिक अप्रतिस्पर्धी हो जाएगा।
अधिक संरक्षणवादी व्यापार रुख और आयात के लिए टैरिफ दरों में किसी भी वृद्धि से दंडात्मक टैरिफ या इसके भागीदारों से व्यापार लाभों का निरसन हो सकता है।
पहल
स्वच्छ भारत अभियान, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, योग दिवस समारोह और आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रमों ने अपने-अपने तरीकों से आत्मनिर्भरता का पोषण किया किया।
सरकार मौलिक विज्ञान, प्रौद्योगिकी विकास और सहायक स्टार्टअप के तहत वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
भारत का रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल के एक हिस्से के रूप में स्वदेशीकरण की ओर बढ़ रहा है।
भारत सरकार ने देश में रक्षा निर्माण और प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने एवं प्रेरित करने के लिए कई नीतियां बनाई हैं।
सुझाव
आत्मनिर्भरता को वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी फिर से हासिल करने के साथ-साथ आम भारतीय जीवन की गुणवत्ता में सुधार के साधन के रूप में देखा जाना चाहिए।
वैश्विक व्यापार में भारत के हिस्से को पूर्व-औपनिवेशिक स्तरों पर बहाल करने के लिए सभी हितधारकों से एक बड़े ठोस प्रयास की आवश्यकता होगी।
आत्मनिर्भर भारत ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के लिए काम करने वाले भारत की परिकल्पना करता है।
उत्पादन के वैश्विक पैमाने को प्राप्त करना, विश्व मानकों के लिए हमारी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना और लक्ष्य-उन्मुख अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना ऐसे प्रयास हैं जो वैश्विक व्यापार और विनिर्माण में उच्च हिस्सेदारी के वांछित लक्ष्य को प्राप्त करेंगे।
इससे उच्च गुणवत्ता वाला रोजगार भी सृजित होगा।
पिछले कई दशकों की ऐतिहासिक निर्भरताओं से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ना महज एक प्रतिमान बदलाव से कहीं अधिक है।
इसके लिए न केवल नागरिकों, बल्कि राजनीतिक वर्ग और नौकरशाही की भी मानसिकता बदलने की जरूरत है।
कोई भी राष्ट्र अपने नागरिकों को विकास प्रक्रिया में शामिल किए बिना प्रगति नहीं कर सकता है।
युवाओं की एक पीढ़ी योग्य, सक्षम और न केवल अपने, बल्कि देश के भविष्य को भी तय करने में आत्मविश्वास से पूर्ण है।
आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास को बढ़ावा देने वाले पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
प्रश्न-आत्मानिर्भरता न तो संरक्षणवादी है और न ही अलगाववादी है, लेकिन यह एक आत्मनिर्भर भारत को संदर्भित करती है जो अपनी शर्तों पर विश्व से सरोकार करता है। टिप्पणी कीजिए।