Jan. 17, 2023

17 january 2023

संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी समिति

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी समिति ने लश्कर के अब्दुल रहमान मक्की को काली सूची में शामिल किया 

प्रमुख बिंदु 

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ISIL और अल कायदा प्रतिबंध समिति ने जमात-उद-दावा के अब्दुल रहमान मक्की तथा धन उगाहने वाले और पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख योजनाकार को अपनी प्रतिबंध सूची में रखा है।
  • समिति के अनुसार "अब्दुल रहमान मक्की और अन्य LET/JUD के सदस्य धन जुटाने, भर्ती करने और युवाओं को हिंसा के लिए कट्टरपंथी बनाने और भारत में, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में हमलों की योजना बनाने में शामिल रहे हैं।"
  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने राष्ट्रीय कानूनों के तहत मक्की को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध किया था और 1 जून, 2022 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ISIL और अल कायदा प्रतिबंध समिति के तहत संयुक्त रूप से उसे ब्लैक लिस्ट करने का प्रस्ताव दिया था।
  • समिति ने 16 जनवरी, 2000  को लाल किले पर हमले, 2008 के रामपुर हमले और 2008 के मुंबई हमलों सहित 7 आतंकी हमलों का हवाला दिया है। 

संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी समिति 

  • इसमें सुरक्षा परिषद के सभी 15 सदस्य शामिल हैं जिनमें 5 स्थायी सदस्य: चीन, फ्राँस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका तथा दस गैर-स्थायी सदस्य महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिये चुने जाते हैं।
  • इसमें आतंकवाद के वित्तपोषण का अपराधीकरण करना, आतंकवाद के कृत्यों में शामिल व्यक्तियों से संबंधित किसी भी धन को जमा करना, आतंकवादी समूहों के लिये सभी प्रकार की वित्तीय सहायता से इनकार करना, आतंकवादियों के लिये सुरक्षित आश्रय तथा आतंकवादी कृत्यों का अभ्यास या योजना बनाने वाले किसी भी समूह पर अन्य सरकारों के साथ जानकारी साझा करने से रोकना जैसे आवश्यक कदम शामिल हैं।

स्रोत- द हिन्दू 

हिमस्खलन

 चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में अधिकारियों द्वारा जम्मू-कश्मीर के 11 जिलों में हिमस्खलन की चेतावनी दी गयी। 
  • जम्मू और कश्मीर के सोनमर्ग में ज़ोजिला सुरंग के पास हिमस्खलन के बाद, यह क्षेत्र दोहरे हिमस्खलन की चपेट में आ गया।
  • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA ) ने अगले 24 घंटों में अनंतनाग, बांदीपोरा, बारामूला, डोडा, पुंछ आदि में 2,000 मीटर से ऊपर हिमस्खलन की चेतावनी जारी की है।

हिमस्खलन क्या है?

  • हिमखण्ड के पर्वतीय ढाल के सहारे नीचे खिसकने की घटना को हिमस्खलन कहते हैं। यह घटना भूस्खलन के समान ही होती है, परन्तु इसमें मिट्टी एवं शैल की अपेक्षा हिमखण्ड खिसककर नीचे आ जाते हैं। 

हिमस्खलन के प्रकार 

  • हिमस्खलन 2 प्रकार होते हैं- शुष्क हिमस्खलन और नम हिमस्खलन। 
  • शुष्क हिमस्खलन में ताजा (शुष्क) हिम जमकर स्थिर होकर पुराने हिम की सतह पर खिसकता हुआ नजर  आती है। 
  • नम हिमस्खलन तब होता है जब भारी हिमपात के तुरन्त बाद वर्षा या गरम मौसम आ जाता है।ऐसी स्थिति में हिमस्खलन में मुख्य रूप से पिघली हिम और जल का मिश्रण होता है, लेकिन वह रास्ते में अन्य पदार्थों को भी साथ में समेट लेती है। नम हिमस्खलन की स्थिति वसंत के मौसम में भी बनती है, जब वसंत ऋतु के आगमन के साथ हिम पिघलने की प्रक्रिया शुरू होती है और भारी मात्रा में जमी हुई बर्फ मुक्त हो जाती है।

 

  • प्राकृतिक बलों द्वारा हिमस्खलन के कारण हैं - एक खड़ी ढलान पर गुरुत्वाकर्षण का खिंचाव, भूकंप, गर्म तापमान (परतों के बीच के बंधन को कमजोर करना), हवा, वनस्पति और सामान्य बर्फ की स्थिति।
  • मानव गतिविधि के कारण - स्कीयर का भार, निर्माण/विकास गतिविधियां या विस्फोटकों का उपयोग (खतरनाक ढलानों को बंद करने के लिए)।

भारत में हिमस्खलन संभावित क्षेत्र कौन से हैं?

  • विशेष रूप से पश्चिमी हिमालय - जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बर्फीले क्षेत्र ।

हिमस्खलन क्षेत्र तीन प्रकार के होते हैं-

  • रेड जोन: सबसे खतरनाक जोन, जिसका प्रभाव दबाव 3 टन प्रति वर्ग मीटर से अधिक होता है।
  • ब्लू जोन: जहाँ हिमस्खलन बल 3 टन प्रति वर्ग मीटर से कम है तथा जहाँ रहने और अन्य गतिविधियों की अनुमति दी जा सकती है।
  • येलो जोन: जहाँ कभी-कभार ही हिमस्खलन होता है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस 

पूंजी निवेश योजना के लिए राज्यों को विशेष सहायता

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में, केंद्र सरकार ने पूंजी निवेश योजना के लिए विशेष सहायता के तहत राज्यों को अतिरिक्त 2,000 करोड़ रु. देने का फैसला किया, ताकि उन्हें पुराने वाहनों को स्क्रैप करने हेतु प्रोत्साहित किया जा सके।

पूंजी निवेश योजना 

  • इस योजना के तहत राज्य सरकारों को पूंजी निवेश परियोजनाओं के लिए 50 वर्षो के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
  • इस वित्तीय वर्ष में किए गए निवेश का लाभ उठाने के लिए, राज्यों को परियोजना का नाम, पूंजी परिव्यय, समापन अवधि और इसके आर्थिक औचित्य जैसे विवरण, केंद्रीय वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग को प्रस्तुत करने होंगे।
  • योजना के तहत प्रदान किया जाने वाला ऋण राज्यों को दी जाने वाली सामान्य उधारी सीमा से अधिक होगा।
  • योजना आवंटन का उपयोग PM- गतिशक्ति से संबंधित और राज्यों के अन्य उत्पादक पूंजी निवेश के लिए किया जाएगा।
  • डिजिटल भुगतान और ऑप्टिकल फाइबर केबल नेटवर्क को पूरा करने सहित अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण और उप-कानूनों, नगर नियोजन कार्यक्रमों, पारगमन उन्मुख विकास और हस्तांतरणीय विकास अधिकारों से संबंधित सुधारों के लिए आवंटन किया जाएगा।
  • इस योजना में 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज मुक्त ऋण भी शामिल है जो राज्यों को निजीकरण या राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रदान किया जाएगा।

स्रोत- द हिन्दू 

थारू जनजाति 

   चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में वन विभाग, नाबार्ड द्वारा थारू लोगों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देने पर मंजूरी दी गयी । 
  • कतर्नियाघाट डिवीजन के वन अधिकारियों के अनुसार इस अभयारण्य के पास रहने वाले और मानव-वन्यजीव संघर्षों से बहुत प्रभावित होने वाले थारू समूहों के वित्तीय समावेशन के लिए एक नवीन योजना तैयार की जाएगी। 

 

थारू जनजातीय समूह के बारे में

  • यह दक्षिणी नेपाल और भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित हिमालय की तलहटी के तराई क्षेत्र में स्वदेशी जातीय समूह है। 
  • नेपाल में थारू की आधिकारिक तौर पर जनसंख्या लगभग 1.5 मिलियन और भारत में लगभग 170,000 थी।
  • ये लोग भारत-ईरानी समूह के इंडो-आर्यनउपसमूह की भाषा बोलते हैं और सांस्कृतिक तौर पर बड़े पैमाने पर भारतीय हैं।
  • अधिकांश थारू कृषि करते हैं, मवेशी पालते हैं, शिकार करते हैं, मछली खाते हैं और वन उत्पाद इकट्ठा करते हैं।
  • इनका प्रत्येक गांव एक परिषद और एक मुखिया द्वारा शासित होता है।

कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य 

  • यह उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के तराई क्षेत्र में पड़ने वाले ऊपरी गंगा के मैदान में स्थित है और यह दुधवा टाइगर रिजर्व, लखीमपुर खीरी का हिस्सा है।
  • अभयारण्य में साल और सागौन के जंगलों, हरे-भरे घास के मैदानों, कई दलदलों और आर्द्रभूमियों की उपलब्धता पायी जाती है।
  • यहाँ घड़ियाल, बाघ, राइनो, गंगा डॉल्फिन, दलदली हिरण, हिस्पिड खरगोश, बंगाल फ्लोरिकन, सफेद पीठ वाले और लंबे चोंच वाले गिद्धों सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।

स्रोत- हिंदुस्तान टाइम्स 

खुदरा महंगाई दर

चर्चा में क्यों ?

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किए गए डेटाबेस ने मुद्रास्फीति की वृद्धि को दिखाया है। 

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक ( CPI )

  • इसमें देश की आबादी द्वारा उपभोग की जाने वाली खुदरा वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों पर डेटा एकत्र करके खुदरा मुद्रास्फीति को मापा जाता है।
  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO), सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत इसे जारी किया जाता है।
  • CPI को ग्रामीण, शहरी और संयुक्त (राष्ट्रीय) के वर्ग में अलग-अलग अखिल भारतीय और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए जारी किया जाता है।
  • वर्तमान में, CPI की गणना 2012 को आधार वर्ष के रूप में मानकर की जाती है।
  • वस्तुओं और सेवाओं की CPI टोकरी के लिए चयनित मदों में शामिल हैं - भोजन और पेय पदार्थ, वस्त्र, आवास, ईंधन और प्रकाश, मनोरंजन आदि।
  • वर्तमान में, CPI की गणना 299 वस्तुओं को ध्यान में रखकर की जाती है।
  • कोर मुद्रास्फीति का स्तर भी चिंता का विषय है।
  • कोर इन्फ्लेशन- खाद्य और ऊर्जा क्षेत्रों को छोड़कर उत्पादों और सेवाओं की कीमतों में बदलाव को संदर्भित करती है।
  • यह व्यापक अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति का एक उपाय है और आमतौर पर, धीरे-धीरे ऊपर/नीचे होता है। जिस कारण खाद्य और ईंधन की कीमतें कम होने पर भी भारतीय उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ती है।

2023 में आर्थिक विकास एक बड़ी चिंता क्यों ?

  • कोर मुद्रास्फीति का ऊंचा स्तर खपत को कम करेगा और व्यवसायों के बीच नई क्षमताओं में निवेश करने की मांग को कम करेगा, जबकि मुद्रास्फीति पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
  • RBI की सख्त मौद्रिक नीति प्रभावी होगी और क्रेडिट को महंगा बनाकर विकास को नीचे ले आएगी।
  • उच्च ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में धन की माँग (उपभोक्ताओं और उत्पादकों दोनों द्वारा) को कम करेंगी।
  • 2023-24 (अप्रैल से सितंबर) के पहले छह महीनों में भारत की GDP लगभग 10% बढ़ने की उम्मीद है, दूसरी छमाही में इसके केवल 4.5% बढ़ने की उम्मीद जताई गयी है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस