Nov. 18, 2022

EWS कोटा

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 103वें संविधान संशोधन द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को प्रदान 10% आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा गया।

EWS समूह 

  • जो किसी जातिगत समुदाय आधारित (SC, ST और OBC) आरक्षण के अंतर्गत शामिल न होता हो और जिसकी वित्तीय  वर्ष में सभी स्त्रोतों से आय 8 लाख रुपए से कम हो।

आरक्षण क्या है ?

  • आरक्षण मूल रूप से निम्न जातियों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय से जुड़ा हुआ है। जाति-विरोधी आंदोलन के दौरान, आरक्षण का विचार एक “समतावादी सामाजिक व्यवस्था” के लिए, सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने , मानव के प्रति अमानवीय बहिष्कार को कम करने और क्षतिपूर्ति करने के लिए लाया गया था।

EWS कोटा से संबधित महत्वपूर्ण प्रश्न -   

 प्र.1.    क्या आरक्षण गरीबी दूर करने का साधन हो सकता है ?

उत्तर – आरक्षण स्थायी और अमिट सामाजिक पहचान से बंधे सामाजिक भेदभाव के विभिन्न रूपों से निपटने की शक्ति प्रदान करता है। इसीलिए आरक्षण का प्रयोग भेदभाव से निपटने के लिए करना चाहिए, न कि आर्थिक कारणों से उत्पन्न होने वाली समस्याओं के लिए।

 प्र.2.   क्या अपर्याप्त आंकड़ों के बिना किसी वर्ग को आरक्षण प्रदान किया जा सकता है?

उत्तर- सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण से इतर मानदंडों को पूरा करने वाले को आर्थिक मानदंडों पर आरक्षण उपलब्ध कराया जायेगा।

EWS कोटे को केवल अगड़ी जाति के आरक्षण के रूप में देखा जा रहा है, परन्तु यह गरीब मुसलमानों, गरीब ईसाईयों और गरीब धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए भी उपलब्ध है।इसके तहत किया गया संविधान संशोधन अनुच्छेद- 16(4) में शामिल नहीं है। 

अनुच्छेद 16(4)- राज्य सरकारें अपने नागरिकों के उन सभी पिछड़े वर्गों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण हेतु प्रावधान कर सकती हैं, जिनका राज्य की राय में राज्य के अधीन सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।

 प्र.3.   संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन क्यों नहीं ?

उत्तर-   संविधान संशोधन की सुविधा ने सर्वोच्च न्यायालय के पिछले निर्णय, जो सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन से सम्बंधित (कोटा सीमा 50%) थे, को आर्थिक मानदंड के आधार कोटा से मना नहीं करता है और इस पर 50% की सीमा भी लागु नहीं होती है।

प्र.4.     EWS ने आरक्षण को बदल दिया –कैसे ?

उत्तर - पिछड़ेपन या भेदभाव को कम करने के उपकरण  के रूप में आरक्षण ,समानता निर्धारण के लिए कार्य करता है (पूर्व में केवल सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन के लिए वर्तमान में प्रत्येक स्तर पर )। यह समानता के सिद्धांत के तहत  एक निश्चित संख्या में सीटों को अलग करता है, जो खुली प्रतियोगिता के लिए नहीं हैं।

आरक्षण ,समानता के लिए अपवाद होने के बजाय समानता के लिए आवश्यक हो गया है ।

 प्र.5.   क्या EWS  आरक्षण का फैसला: जाति-आधारित आरक्षण को कम करने के लिए प्रतिकूल कदम है ?

उत्तर - मंडल आयोग के 30 वर्ष बाद जाति ,वर्तमान में सामाजिक असमानताओं के लिए ज़िम्मेदार नहीं है क्योंकि ऊँची जातियों और निचली जातियों के बीच का अंतर आजादी के तुरंत बाद अधिक था। 

 

सिन्हो आयोग 82 % गरीब SC, ST या OBC समुदायों के हैं। हाशिए पर पड़े तबकों में जहाँ सुधार हुआ है, वहीं सकारात्मक भेदभाव कार्यक्रमों की सुधारात्मक भूमिका पूरी नहीं हुई है। 

 प्र.6.   क्या आरक्षण ने जाति का आविष्कार किया ?

उत्तर - प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष काका कालेलकर ने जातिवाद के प्रसार पर चेतावनी दी थी परन्तु आरक्षण ने जाति का आविष्कार नहीं किया है। जातिवादी समस्या को छिपाने से जाति-आधारित असमानताएं या संघर्ष कम होने की संभावना नहीं है। सकारात्मक भेदभाव ने भारत में ऊपर की ओर सामाजिक गतिशीलता को बढ़ावा दिया है। 

आरक्षण नीतियों पर एक बहस की आवश्कता है । लाभार्थियों का उप-वर्गीकरण, उस कोटा तक समान पहुंच बढ़ाने के लिए आवश्यक है जो पीढ़ियों से कुछ जातियों द्वारा हथियाए खड़े  हैं और लाभार्थियों के निर्धारण का आधार होना चाहिए। 

 

 

संभावित प्रश्न

प्र .       निम्नलिखित कथनों पर विचार करें: (2020)

(1)      भारत का संविधान संघवाद, धर्मनिरपेक्षता, मौलिक अधिकारों और लोकतंत्र के संदर्भ में अपनी 'बुनियादी संरचना' को परिभाषित करता है।

(2)      भारत का संविधान नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा और उन आदर्शों को संरक्षित करने के लिए 'न्यायिक समीक्षा' का प्रावधान करता है जिन पर संविधान आधारित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1                                            (b) केवल 2

(c) दोनों 1 और 2                                   (d) न तो 1 और न ही 2

                                                                                                                     मुख्य परीक्षा प्रश्न 

प्र.        हाल ही में सर्वोच्च न्यायलय द्वारा 103वां संविधान संशोधन को वैध करार दिया गया है।  इस मामले से जुड़े सैवंधानिक मुद्दों पर चर्चा करें। (250 शब्द)