Dec. 2, 2022

01 december 2022

टोके गेको छिपकली

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में बिहार के पूर्णिया जिले के एक मेडिकल स्टोर से तस्करी हेतु दुर्लभ टोके छिपकली पाई गयी।

टोके छिपकली के बारे में 

  • टो-के (tou-kay) जैसी आवाज निकालने के कारण इसे टोके नाम दिया गया है 
  •  यह प्रजाति थाईलैंड, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया और पश्चिमी न्यू गिनी सहित पूरे दक्षिण-पूर्व एशिया में तथा पूर्वोत्तर भारत, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश में पायी जाती है।
  •  इसका मूल निवास स्थान वर्षावन है
  • इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,1972 की अनुसूची-III में अत्यधिक संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • कई पूर्वी एशियाई देशों में टोके गेको को सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे क्षेत्रीय लोककथाओं और अलौकिक शक्तियों के प्रतीक के रूप में दक्षिण-पूर्व एशिया में अच्छी किस्मत और प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है।
  • इसका प्रयोग नपुंसकता,कैंसर,डायबटीज और एड्स जैसी बीमारियों के परम्परागत इलाज की औषधि के रूप में किया जाता है। 
  • इस छिपकली का ग्रे मार्केट मूल्य लगभग अत्यधिक है जो इसके शिकार को बढ़ावा दे रहा है।

स्रोत– इंडियन एक्सप्रेस 

UNDP का प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा भारत में अपशिष्ट पृथक्करण उद्योग में काम करने वाले लोगों तक  सरकारी कल्याण कार्यक्रमों को पहुँचाने में मदद की जा रही है।

प्रमुख बिंदु 

  • UNDP,अपशिष्ट पृथक्करण श्रमिकों को 'जन-धन' खाता किट वितरित करेगा अर्थात इसके प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम के माध्यम से इन  'जन-धन' खाते खोलने की सुविधा प्रदान की गई है।
  • अपशिष्ट प्रबंधन एक चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए सभी प्लास्टिक के संग्रह, पृथक्करण और पुनर्चक्रण को बढ़ावा देता है।
  • यह 'स्वच्छता केंद्र' या सामग्री वसूली सुविधाओं पर किया जाता है।
  • अब तक एकत्र और संसाधित प्लास्टिक पहले ही 1,38,000 मीट्रिक टन को पार कर चुका है।
  • यह कार्यक्रम 'सफ़ाई साथी' या कूड़ा बीनने वालों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़कर उनकी भलाई और वित्तीय समावेशन को भी सुनिश्चित करता है।
  • संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार, कार्यक्रम का एक प्रमुख उद्देश्य क्षेत्र को अनौपचारिक से औपचारिक की ओर ले जाने में मदद करना है।
  • यह उन्हें 'जन धन' खातों, आधार कार्ड, 'आयुष्मान भारत', पेंशन योजनाओं और बच्चों के लिए छात्रवृत्ति जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़कर किया जाता है।

स्रोत: द हिंदू

असम-मेघालय सीमा पर फायरिंग

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में मेघालय के मुकरोह में लकड़ी तस्करों को पकड़ने के लिए असम पुलिस और वन कर्मियों द्वारा की गई गोलीबारी के कारण 6 लोगों की मौत हो गई। 

गोलीबारी एक ऐसे सीमावर्ती स्थान पर हुई जिस स्थान को असम एवं मेघालय दोनों राज्यों द्वारा अपने क्षेत्र में होने का दावा किया जाता है। 

सीमा विवाद?

  • ब्रिटिश काल में मेघालय, असम का ही भाग था।  21 जनवरी, 1972 को असम के खासीगारो एवं जैन्तिया पर्वतीय जिलों को काटकर नया राज्य मेघालय बनाया गया। यहाँ की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। इसके अलावा अन्य मुख्यतः बोली जाने वाली भाषाओं  खासीगारोप्नारबियाटहजोंग एवं बांग्ला शामिल हैं  
  • दोनों राज्यों के बीच 12 क्षेत्रों (ताराबारी, लांगपिह, बोरदुआर, गिजांग आरक्षित वन, बोकलापारा, हाहिम, नोंगवाह, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोराह ब्लॉक 1 एवं , ब्लॉक 2, रेटचेरा और खंडुली) पर सीमा विवाद देखने को मिलता है मुकरोह घटना से उत्पन्न जटिलताओं ने 12 क्षेत्रों में से 6 क्षेत्रों में बीच सीमा विवाद को हल करने में विलम्ब को और बढ़ा दिया है। 
  • दोनों राज्यों के बीच बड़ा विवाद लंगपीह को लेकर था, अंग्रेजों के शासन में लंगपीह असम के कामरूप जिले का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन आजादी के बाद यह पश्चिमी खासी हिल का हिस्सा बन गया और 1972 में मेघालय का। असम द्वारा उसे मिकिर हिल का ही हिस्सा माना जाता है, न कि मेघालय का। 
  • मेघालय के पश्चिम जयंतिया हिल्स जिले में मुकरोह स्थित है और असम का दावा है कि पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में मुकरोह है। दावों और प्रति-दावों के बाद, 2011 में मेघालय के एक आधिकारिक दावे के आधार पर विवाद को 12 क्षेत्रों तक सीमित कर दिया गया था।
  • लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सीमा विवाद के लिए गोलीबारी को "लंबे समय से लंबित एक मुद्दा" बताया। अन्य छह क्षेत्रों में विवाद को 29 मार्च को एक समझौते के माध्यम से हल कर लिया गया था। 
  • आगे का रास्ता
  • असम-मेघालय समझौते को एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा गया था। चूंकि पूर्वोत्तर में अन्य राज्यों के साथ असम के सीमा विवाद कई दौर की बातचीत के बावजूद अनसुलझे हैं। गोलीबारी से आगामी वार्ता के पटरी से उतरने का खतरा है।

अन्य राज्यों के सीमा विवाद

कर्नाटक-महाराष्ट्र-बेलगाम जिले को लेकर   विवाद।

असम-मिजोरम- लुशाई पहाड़ियों के कछार के मैदान का विवाद

हरियाणा-हिमाचल प्रदेश-परवाणू क्षेत्र का विवाद

स्रोत-दा हिन्दू/इंडियन एक्सप्रेस 

अग्नि योद्धा

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में भारत और सिंगापुर के सशस्त्र बलों का संयुक्त अभ्यास अग्नि योद्धा का देवलाली (महाराष्ट्र) में समापन हुआ।
  • यह अभ्यास अग्नि योद्धा का 12वां संस्करण है। 
  • इसमें संयुक्त गोलाबारी योजना का प्रदर्शन एवं निष्पादन किया गया। इसमें दोनों सेनाओं की आर्टिलरी शाखा द्वारा नई पीढ़ी के उपकरणों का उपयोग शामिल है। अभ्यास के अंतिम चरण के दौरान स्वदेशी रूप से निर्मित आर्टिलरी गन और हॉवित्जर तोपों ने भी भाग लिया।
  • SIMBEX - 26 से 30 अक्टूबर, 2022 के बीच विशाखापत्तनम में सिंगापुर-भारत द्वारा समुद्री द्विपक्षीय अभ्यास (SIMBEX) का 29वा संस्करण आयोजित किया गया था।

महत्त्व

  • अभ्यास और प्रक्रियाओं की आपसी समझ बढ़ाने में सहायक ।
  • द्विपक्षीय संबंधों में सुधार। 
  • समुद्री व्यापार में सुधार के साथ- साथ आतंकी घटनाओं और चीन की बढ़ती समुद्री सीमा पर नियंत्रण में सहयोग मिलेगा। 

स्रोत - PIB

सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई करेगी महिला बेंच

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा वैवाहिक विवादों और जमानत मामलों से जुड़ी स्थानांतरण याचिकाओं पर सुनवाई के लिए जस्टिस हेमा कोहली एवं बेला एम. त्रिवेदी की एक महिला बेंच का गठन किया गया है। शीर्ष अदालत के इतिहास में यह तीसरी बार है जब महिला पीठ का गठन किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • पीठ के पास 32 सूचीबद्ध मामलों में से ,वैवाहिक विवादों से जुड़ी 10 स्थानांतरण और 10 जमानत मामलों की याचिकाएं  शामिल हैं।
  • पहली महिला बेंच 2013 में स्थापित की गई थी जिसमें जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा और रंजना प्रकाश देसाई की बेंच शामिल थी।दूसरी बेंच 2018 में जस्टिस आर. भानुमति और इंदिरा बनर्जी की बेंच द्वारा गठित की गयी।
  • वर्तमान में शीर्ष अदालत में तीन महिला न्यायाधीश हैं जिनमें न्यायमूर्ति कोहली, बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति त्रिवेदी शामिल हैं।
  • न्यायमूर्ति नागरत्ना 2027 में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन सकती हैं।        
  • संविधान में सर्वोच्च न्यायालय में  8 न्यायधीशों की चर्चा मिलती है, परन्तु वर्तमान में शीर्ष अदालत में CJI सहित 27 न्यायाधीशों की क्षमता है, जबकि स्वीकृत शक्ति 34 है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस