Jan. 25, 2023

25 january 2023

GM-सरसों का पर्यावरणीय विमोचन

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा केंद्र से GM-सरसों को जारी करने के ठोस कारणों की माँग की गयी।

प्रमुख बिंदु 

  • हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के तहत जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) ने ट्रांसजेनिक सरसों हाइब्रिड DMH-11 और बार्नेज, बारस्टार तथा बार जीन वाली पैरेंटल लाइन्स के पर्यावरणीय रिलीज को मंजूरी दे दी, ताकि उनका उपयोग नए संकर बीजों को विकसित करने के लिए किया जा सके।
  • सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, भारतीय किसान अपने पश्चिमी समकक्षों के समान साक्षर नहीं हैं तथा वे 'कृषि मेला' और 'कृषि दर्शन' जैसे आयोजनों के बावजूद जीन एवं म्यूटेशन के बारे में नहीं समझते हैं। अगर जारी करने की बाध्यता है तो इसे कम कीमत पर जारी किया जाये। 
  • सरकार ने अदालत द्वारा नियुक्त तकनीकी विशेषज्ञ समिति (TEC) द्वारा अनुशंसित ढाँचे के अनुसार सभी नियामक प्रक्रियाओं का पालन किया जायेगा।

तकनीकी विशेषज्ञ समिति (TEC) 

  • TEC ने सरकार को सिफारिशें प्रस्तुत करते हुए कहा है कि जोखिम प्रबंधन और नियामक ढाँचा बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। दूसरी ओर कहा कि जीएम फसलें भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल नहीं हैं। GM-  सरसों को एक शाकनाशी सहिष्णु तकनीक के रूप में विकसित नहीं किया गया है और यह केवल संकर बीज के लिए उत्पादन है, जो परंपरागत किस्मों की तुलना में अधिक उपज देता है।

GM-सरसों-

  • DMH (धारा मस्टर्ड हाइब्रिड)-11 को भारतीय सरसों वरुण और पूर्वी यूरोप की हीरा-2 को क्रॉस करके तैयार किया गया है। इसमें तीन तरह के जीन का इस्तेमाल किया गया है- बार्नेज, बारस्टार और बार जीन।
  • इससे पहले भारत ने केवल एक GM फसल बीटी कपास की व्यावसायिक खेती को मंज़ूरी दी थी।

स्रोत- बिजनेस स्टैण्डर्ड 

तुर्की और नीदरलैंड

 चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में तुर्की द्वारा नीदरलैंड में कुरान के विरोध की निंदा की गयी। 

तुर्की और नीदरलैंड के बीच संबंध

  • तुर्की और नीदरलैंड के बीच संबंध 2017 में टूट गए थे जब डच अधिकारियों ने तुर्की के अधिकारियों को वहाँ के प्रवासी तुर्की लोगों के बीच जनमत संग्रह के लिए प्रचार करने से रोक दिया था।
  • अंकारा, तुर्की में स्वीडिश दूतावास के बाहर एक प्रदर्शन के दौरान एक इमाम द्वारा,इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान का पाठ किया गया।

पश्चिम के इस्लामीकरण के खिलाफ यूरोपीय राष्ट्रवादी या 'पेगिडा' , जर्मनी ड्रेसडेन से जन्म एक राजनीतिक आन्दोलन है 2014 में यह संगठन जर्मन सरकार के सामने 'यूरोप के इस्लामीकरण' के खिलाफ सार्वजनिक प्रदर्शन कर रहा था ।

  • तुर्की के विदेश मंत्रालय ने इस्लाम के पवित्र ग्रंथ को निशाना बनाने वाले एक प्रदर्शन के बाद, डच राजदूत को तलब किया ,परन्तु इसी तरह के विरोध के कारण संबंधों में तनाव बढ़ा।
  • नीदरलैंड में पेगिडा आंदोलन के डच नेता द्वारा संसद में कुरान की एक प्रति के पन्नों को फाड़ देना और पृष्ठों पर पेंट कर देना एक निंदनीय कार्य है। 
  • तुर्की ने डचों की तुलना नाजियों से की और राजदूतों को अपने देश वापस आने को कहा ।
  • इसके अतिरिक्त एक कट्टर इस्लाम विरोधी आन्दोलन ने स्टॉकहोम में तुर्की दूतावास के बाहर कुरान को जलाया था।तुर्की ने प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए अधिनियम और स्वीडन की कड़ी निंदा की और घोषणा की कि स्वीडन को अपनी NATO में भागीदारी हेतु तुर्की के समर्थन की उम्मीद नहीं करनी चाहिए।

स्रोत- द हिन्दू  

थिएटर लेवल ऑपरेशनल रेडीनेस एक्सरसाइज

चर्चा में क्यों ?

  • चीन की बढ़ती सैन्य घुसपैठ के बीच भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में युद्धक तैयारियों की जाँच करने के लिए एक बड़ा युद्धाभ्यास कर रही है जिसमें युद्धपोत, पनडुब्बियां और विमान जैसी लगभग सभी परिचालन संपत्तियां शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु 

  • यह एक द्विवार्षिक अभ्यास है जिसे जनवरी से मार्च तक की अवधि में आयोजित किया जा रहा है।
  • इसके द्वारा भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और तटरक्षक बल की संपत्तियों को मेगा ड्रिल के लिए तैनात किया जा रहा है। 
  • इसका उद्देश्य नौसेना के "संचालन" की अवधारणा को "मान्य और परिष्कृत" करने के साथ-साथ समग्र लड़ाकू क्षमताओं का परीक्षण करना है।
  • TROPEX के हिस्से के रूप में, भारतीय नौसेना के सभी लड़ाकू विमानों सहित विध्वंसक, फ्रिगेट, जलपोत के साथ-साथ पनडुब्बी और विमान की  जटिल समुद्री परिचालन हेतु तैनाती की जाएगी,ताकि नौसेना के संचालन की अवधारणा को मान्य और परिष्कृत किया जा सके, जिसमें परिचालन रसद और अन्य सेवाओं के साथ अंतर-क्षमता शामिल है। 
  • यह  "समुद्री अभ्यास भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और तटरक्षक बल के साथ परिचालन स्तर की बातचीत की सुविधा भी देता है, जो एक जटिल वातावरण में पृथक एवं संयुक्त संचालन को और मजबूत करेगा।"
  • इसके अतिरिक्त नौसेना ने 17 से 22 जनवरी तक आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में द्विवार्षिक त्रि-सेवा उभयचर अभ्यास 2023 का भी आयोजन किया था।

त्रि -सेवा उभयचर अभ्यास 

  • यह अभ्यास इंटरऑपरेबिलिटी और तालमेल बढ़ाने के लिए उभयचर संचालन के विभिन्न पहलुओं में तीनों सेवाओं के तत्वों के संयुक्त प्रशिक्षण पर केंद्रित था।
  • इस अभ्यास में भारतीय नौसेना के बड़े प्लेटफॉर्म डॉक, लैंडिंगशिप और लैंडिंग क्राफ्ट, मरीन कमांडो (MARCOS), हेलीकॉप्टर और विमान सहित कई उभयचर जहाजों की भागीदारी देखी गई। 
  • भारतीय सेना ने 900 से अधिक सैनिकों के साथ अभ्यास में भाग लिया जिसमें विशेष बल, तोपखाने और बख्तरबंद वाहन शामिल थे।
  • भारतीय वायुसेना के जगुआर लड़ाकू जेट और सी-130 विमानों ने भी अभ्यास में भाग लिया।

स्रोत- द हिन्दू

FASTag टोल संग्रह

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार जारी एक रिपोर्ट के अनुसार ,राज्य राजमार्ग टोल प्लाजा सहित शुल्क प्लाजा पर फास्टैग के माध्यम से कुल टोल संग्रह 2022 में 46% बढ़कर 50,855 करोड़ रुपये हो गया, जो 2021 में 34,778 करोड़ रुपये था।

फ़ास्ट टैग 

  • FASTag एक स्टीकर है जो आपके वाहन के विंडस्क्रीन पर चिपका होता है। यह स्टीकर Radio Frequency Identification Technology (RFID) पर काम करता है।
  • FASTag उपयोगकर्त्ता को राजमार्ग ऑपरेटरों द्वारा स्थापित टोल संग्रह बूथों पर रुके बिना इलेक्ट्रॉनिक रूप से राजमार्ग शुल्क का भुगतान करने की अनुमति देता है। 
  • “फास्टैग के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETC) में विगत कुछ वर्षों में लगातार वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2022 के दौरान राज्य राजमार्ग शुल्क प्लाजा सहित शुल्क प्लाजा पर फास्टैग के माध्यम से कुल टोल संग्रह में 50,855 करोड़ रु. की वृद्धि हुई है।
  • दिसंबर, 2022 में NH शुल्क प्लाजा पर FASTag के माध्यम से औसत दैनिक टोल संग्रह 134.44 करोड़ रू. था, और 24 दिसंबर 2022 को एक दिन का उच्चतम संग्रह 144.19 करोड़ रू.तक पहुंच गया था।
  • विशेष रूप से, फास्टैग कार्यक्रम के तहत ऑन-बोर्डिंग राज्य शुल्क प्लाजा के लिए 29 विभिन्न राज्य संस्थाओं / प्राधिकरणों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक आदि राज्य शामिल हैं।
  • “राजमार्ग उपयोगकर्त्ताओं द्वारा FASTag के निरंतर विकास और अपनाने से टोल संचालन में और अधिक दक्षता लाने में मदद मिली है। राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ विभिन्न शुल्क प्लाजा पर इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह प्रणाली की तैनाती से प्रणाली में पारदर्शिता आयी है और सड़क संपत्तियों का सही मूल्यांकन संभव हुआ है, जिससे अधिक निवेशकों को देश के राजमार्ग बुनियादी ढांचे में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
  • सरकार ने सभी निजी और वाणिज्यिक वाहनों के लिए FASTag को अनिवार्य कर दिया है। नियमों के अनुसार, जिन वाहनों में वैध या कार्यात्मक FASTag नहीं है, उन्हें दंड के रूप में दोगुना टोल शुल्क देना होगा।  

भारत और मिस्र

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल-सिसी चार दिवसीय राजकीय यात्रा पर भारत पहुंचे। श्री सिसी गणतंत्र दिवस परेड के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित होने वाले पहले मिस्र नेता हैं।

प्रमख बिंदु 

  • अधिकारियों ने कहा, दोनों पक्ष कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करेंगे और रणनीतिक मुद्दों, रक्षा, व्यापार, कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा पर संबंधों को आगे बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी।
  • मिस्र को आमंत्रित करना "ग्लोबल साउथ" को अपनी रणनीतियों में शामिल करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है , और यूक्रेन में रूसी युद्ध शुरू होने के बाद गुटनिरपेक्षता के सिद्धांतों की पुनः शुरुआत है। 
  • "यूक्रेन और रूस से गेहूं के दुनिया के सबसे बड़े आयातक के रूप में, मिस्र एक विशिष्ट रूप से कमजोर स्थिति में था, और भारत की सहायता से भारत की आपूर्ति में एक बड़ा अंतर बन सकता था।" 

पृष्ठभूमि 

  • भारत और मिस्र 1961 में यूगोस्लाविया, इंडोनेशिया और घाना के साथ गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) के सह-संस्थापक थे।
  • प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राष्ट्रपति गमाल अब्देल नासिर के अंतर्गत भारत एवं मिस्र के बीच संबंध विशेष रूप से 1956 के स्वेज संकट के दौरान मिस्र को भारत के समर्थन से आगे बढ़े थे। 
  • हालांकि, उच्च-स्तरीय यात्राओं को जारी रखने और NAM के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत रखने के बावजूद, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में समय के साथ गिरावट आई, विशेष रूप से खाड़ी देशों के साथ भारत के संबंध, जहाँ भारतीय डायस्पोरा अधिक थे।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने 2015 में भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन और 2016 में राजकीय यात्रा के लिए राष्ट्रपति सिसी को आमंत्रित किया। 
  • गुटनिरपेक्ष आंदोलन के मुख्य सिद्धांत अपनी प्रासंगिकता बनाये हुए हैं। "दक्षिण-दक्षिण सहयोग" और G-77, जिसमें भारत और मिस्र सक्रिय रूप से शामिल हैं, NAM आंदोलन के उत्पाद थे।