Jan. 13, 2023

तमिलनाडु में राजनीतिक उथल-पुथल

प्रश्न पत्र- 2 (शासन एवं राज्यव्यवस्था )

स्रोत – द हिन्दू, द इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल R.N रवि ने विधानसभा सत्र की शुरुआत के दौरान पढ़ने के लिए राज्य सरकार द्वारा दिए गये पारंपरिक भाषण के कुछ हिस्सों को नहीं पढ़ा।
  • राज्यपाल के कार्यालय और विपक्ष के नेतृत्व वाली सरकारों के मुख्यमंत्रियों के बीच बढ़ते अविश्वास की घटनाएँ निरंतर बढ़ती जा रही हैं।

पृष्ठभूमि

  • विवाद का कारण राज्यपाल द्वारा अपने अभिभाषण में B.R. अंबेडकर, द्रविड़ नेताओं, शासन के द्रविड़ मॉडल और तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था की स्थिति के बारे में बदलाव  करने पर उत्पन्न हुआ।
  • तत्पश्चात CM द्वारा तमिल में केवल मूल मुद्रित भाषण को रिकॉर्ड में रखने की मांग का प्रस्ताव पेश किया गया। जिस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्यपाल ने राष्ट्रगान बजने से पूर्व ही सदन से बहिर्गमन कर दिया।
  • इससे पहले पश्चिम बंगाल (1965), पंजाब (1969), त्रिपुरा (2017), केरल (2018)और राजस्थान के राज्यपालों ने सरकार द्वारा भेजे गए अभिभाषण को पढ़ने से इनकार कर दिया था।

विधानमंडल में राज्यपाल के अभिभाषण के  प्रावधान

  • राज्यपाल के अभिभाषण में पिछले वर्ष में सरकार की गतिविधियों और उपलब्धियों की समीक्षा, सत्र के लिए इसकी योजनाएँ, और नीति और विधायी प्रस्ताव शामिल होते हैं जिन्हें राज्य सरकार आने वाले वर्ष में लागू करने की योजना बनाती है।
  • संबंधित योजना राज्य सरकार द्वारा पहले ही तैयार कर राज्यपाल को सौंप दी जाती है।
  • संवैधानिक प्रावधान: संविधान के अनुच्छेद 175 और 176 के तहत राज्यपाल से हर साल राज्य के पहले विधानसभा सत्र और राज्य विधानसभा चुनावों के बाद एक नई विधायिका के पहले सत्र को संबोधित करने की उम्मीद की जाती है।

अनुच्छेद 175 

  • राज्यपाल, विधान सभा में या विधान परिषद् वाले राज्य की दशा में उस राज्य के विधान-मंडल के किसी एक सदन में या एक साथ समवेत दोनों सदनों में,  अभिभाषण कर सकेगा और इस प्रयोजन के लिए सदस्यों की उपस्थिति की अपेक्षा कर सकेगा ।
  • राज्यपाल, राज्य के विधान-मण्डल में उस समय लम्बित किसी विधेयक के सम्बन्ध में संदेश या कोई अन्य संदेश, उस राज्य के विधान-मण्डल के सदन या सदनों को भेज सकेगा और जिस सदन को कोई संदेश इस प्रकार भेजा गया है वह सदन उस संदेश द्वारा विचार करने के लिए अपेक्षित विषय पर सुविधानुसार शीघ्रता से विचार करेगा ।

अनुच्छेद 176

  • राज्यपाल, विधान सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरम्भ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरम्भ में विधान सभा में या विधान परिषद वाले राज्य की दशा में दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा ।

न्यायपालिका का दृष्टिकोण 

  • कलकत्ता हाईकोर्ट के अनुसार, राज्यपाल अपना अभिभाषण देने से इनकार नहीं कर सकते हैं और राज्यपाल द्वारा सदन के पटल पर अभिभाषण रखने के बाद सदन से बाहर चले जाना केवल एक अनियमितता है, अवैधता नहीं।
  • राज्यपाल को यह अधिकार है कि वे अप्रासंगिक अंशों को हटा सकते हैं, परन्तु यह सरकार की नीति से संबंधित नहीं होने चाहिए।
  • नबाम रेबिया मामले (2016)  में सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल की कार्रवाई को रद्द करते हुए और मुख्यमंत्री की सलाह के बिना विधानसभा के सत्र को आगे बढ़ाया ।

राज्यपाल के अभिभाषण को हटाने या जोड़ने के निहितार्थ

  • यह एक संवैधानिक संकट पैदा कर सकता है।
  • इनके अभिभाषण की अस्वीकृति को अविश्वास प्रस्ताव माना जाता है और मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ सकता है।
  • सरकार का यह विघटन न केवल घोर अन्यायपूर्ण और अनैतिक, बल्कि बिल्कुल अलोकतांत्रिक होगा।
  • ब्रिटिश संवैधानिक कानून विशेषज्ञ के अनुसार सॉवरिन (राजा) अभिभाषण में परिवर्तन या संशोधन का सुझाव दे सकता है, लेकिन अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल के पास रहता है।
  • ए. बी. कीथ के अनुसार सम्राट के भाषण में केवल यह बताना होता है कि सरकार सदन के नए सत्र में क्या करना चाहती है।
  • लेखक शिवरंजन चटर्जी ने पुस्तक, "भारतीय संविधान में राज्यपाल की भूमिका" में लिखा है कि संविधान सभा का इरादा था कि राज्यपाल का अभिभाषण मंत्रिपरिषद द्वारा तैयार किया जाए।

आगे की राह 

  • मुख्यमंत्रियों को भी समझदारी दिखाते हुए ऐसे अप्रासंगिक तथ्यों या बयानों को शामिल नहीं करना चाहिए जो अधिकार क्षेत्र से बाहर हों।
  • एक सलाहकार के रूप में गवर्नर का कार्य "परामर्श देना, चेतावनी देना और प्रोत्साहित करना" है।
  • संवैधानिक पदाधिकारियों के रूप में राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों दोनों को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

 

प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न

प्र . निम्नलिखित युग्मो में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं  है ?

  1. अनुच्छेद 155 – राज्यपाल की नियुक्ति
  2. अनुच्छेद 157 – राज्यपाल नियुक्त होने के लिए योग्यतायें
  3. अनुच्छेद 159 – राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
  4. अनुच्छेद 163  – कुछ आकस्मिकताओं में राज्यपाल के कृत्यों का निर्वहन

मुख्य परीक्षा प्रश्न

प्र. राज्यपाल के पद की विवादास्पद प्रकृति को देखते हुए, कई विशेषज्ञों ने राज्यपाल के पद को समाप्त करने का सुझाव दिया है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।