संविधान: एक दुर्लभ, स्थायी दस्तावेज
सन्दर्भ
संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संविधान दिवस
- सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2015 से नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के भारत सरकार के फैसले को अधिसूचित किया।
- 26 नवंबर, 1949 को भारत की संविधान सभा ने हमारे संविधान को अपनाया था। भारत के संविधान का लगभग 73 वर्षों तक बने रहना एक स्थायी और एक दुर्लभ घटना है।
- यह राष्ट्र की आत्मा या किसी देश की परिभाषित पहचान के रूप में कार्य करता है।
- राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता वाली संविधान सभा और बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली मसौदा समिति के अथक प्रयासों से निर्मित संविधान हमें सौंपा गया था।
- स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर, एक राष्ट्र के रूप में लंबी यात्रा और विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों पर हम गर्व कर सकते हैं और अगले 25 (अमृत काल) में एक नए आत्मनिर्भर, मजबूत, एकजुट तथा मानवीय राष्ट्र के अपने सपने को प्राप्त करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत और पुनः समर्पित करते हैं।
संविधान क्या है ?
- यह अनुल्लंघनीय नियमों का एक जीवित दस्तावेज है जो हमारे राष्ट्र और सभ्यता के मूलभूत मूल्यों को आश्रय देता है।
- संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है और न ही निष्क्रिय सूक्तियों का संग्रह है। यह अधिकारों का एक छत्र है जो नागरिकों को एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाज का आश्वासन देता है।
संविधान निर्माताओं के समक्ष समस्या
- आजादी के समय के अशांत काल ने संविधान निर्माताओं के समक्ष गंभीर चुनौतियां पेश कीं ;जैसे- शासन के लोकतांत्रिक आदर्शों को अपनाने की वांछनीयता, विशेष रूप से निरक्षरता, गरीबी और आधुनिक लोकतांत्रिक प्रणालियों और संस्थानों के संपर्क में कमी वाले राष्ट्र को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार देने पर संदेह।
क्या भारतीय संविधान भारत सरकार अधिनियम, 1935 का पुनरुत्पादन है?
- संविधान की प्रेरणा हमें 1895 के तिलक के स्वराज विधेयक , जिसमें प्रेस एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,कानून के समक्ष समानता के अधिकारों की माँग शामिल थी, से मिलती है।
- 1918 में कांग्रेस द्वारा घोषित नागरिक और राजनीतिक अधिकारों में स्वतंत्रता , प्रेस की स्वतंत्रता, सिविल सेवाओं में प्रतिनिधित्व आदि अधिकारों को भारत सरकार अधिनियम, 1919 में शामिल किये जाने की माँग की गयी।
- 1931 में कांग्रेस के कराची अधिवेशन में मौलिक अधिकारों और आर्थिक परिवर्तनों के प्रस्ताव ,जनता के शोषण को समाप्त करने के लिए राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ-साथ आर्थिक स्वतंत्रता का लक्ष्य ,बंधुआ मजदूरी और बाल श्रम को समाप्त करना , मुफ्त प्राथमिक शिक्षा, श्रम कल्याण का विस्तार, श्रमिक संघों, महिला श्रमिकों, प्रमुख उद्योगों और राष्ट्रीय संसाधनों पर राज्य के नियंत्रण के माध्यम से संसाधनों के पुनर्वितरण के लिए की मांग।
- उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर कहा जा सकता है कि हमारा संविधान केवल भारत सरकार अधिनियम, 1935 का पुनरुत्पादन नहीं है।
संविधान की सफलता
- कोई भी दस्तावेज़ ,चाहे कितना भी अच्छा लिखा गया हो और कितना विस्तृत हो, अगर यह संस्थानों और लोगों के साथ सहजीवी बंधन स्थापित करने में विफल रहता है, तो वह उपयोगी नहीं।
- संविधान में निहित लचीलेपन ने संसद को समय-समय पर प्रासंगिक जन-केंद्रित संवैधानिक संशोधनों को लागू करने में सक्षम बनाया है जो खुद को तेजी से बदलती दुनिया में जनहित की मांगों के जवाब में अनुकूलन बनता है।
- भारतीय संविधान निर्माताओं द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली वर्तमान राजनेताओं और कानून निर्माताओं के लिए भी सबक है। चेन्नई स्थित द इक्वल्स प्रोजेक्ट, एक पहल है जो लोगों को संविधान और उसके साथ उनके संबंधों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।
अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
भारतीय संविधान
- यह दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
- इसे 25 भागों और 12 अनुसूचियों में बांटा गया है।
- मूल रूप से यह मुद्रित नहीं , बल्कि अंग्रेजी और हिंदी दोनों में हस्तलिखित और सुलेखित है।
- बिहारी नारायण रायज़ादा द्वारा किए गए सुलेख कार्यों के साथ दस्तकारी की गयी थी।
- राममनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस, जो शांतिनिकेतन के कलाकार थे, ने संविधान के मूल संस्करण को सजाया था।
- भारत के संविधान की मूल प्रतियों को भारत की संसद के पुस्तकालय में हीलियम से भरे विशेष बॉक्स में रखा गया है।
- सरकार द्वारा गठित स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर 1976 में 42वें संशोधन द्वारा नागरिकों के मौलिक कर्त्तव्यों को संविधान में जोड़ा गया।
संभावित प्रश्न
प्र. संविधान की प्रस्तावना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये -
1. अमेरिकी मॉडल के आधार पर भारत ने अपने संविधान की शुरुआत एक प्रस्तावना के साथ की ।
2. स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित और निर्देशित करने वाले मूल्य भारतीय संविधान की प्रस्तावना में सन्निहित हैं।
3. प्रस्तावना, भारतीय संविधान की आत्मा है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
(a) 2 और 3 (b) 1 और 3
(c) 1 और 2 (d) 1, 2 और 3
मुख्य परीक्षा प्रश्न
प्र. संविधान की प्रस्तावना में निहित मूल मूल्य क्या हैं? इन मूल्यो की वर्तमान समय में क्या प्रासंगिकता है?
स्रोत- द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस