Dec. 16, 2022

15 december 2022

 

बेपोर उरु

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में जिला पर्यटन संवर्धन परिषद, कोझिकोड ने प्रसिद्ध बेपोर उरु (नाव) के लिए भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग के लिए आवेदन किया है। 

प्रमुख बिंदु 

  • यह बेपोर, केरल में कुशल कारीगरों और बढ़ई द्वारा तैयार की गई एक लकड़ी की ढो (जहाज / नौकायन नाव / नौकायन पोत) है। 
  • यह मुख्य रूप से मालाबार टीक से बनी होती है, जो शायद विश्व का सबसे बड़ा हस्तशिल्प कला है।
  • बेपोर उरु बिना किसी आधुनिक तकनीक का उपयोग किए पूरी तरह से लकड़ी से बना होता है और इस जहाज को पानी में उतारने के लिए पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। 
  • बड़ी नाव बनाने के लिए बढ़ई लकड़ी के प्रत्येक टुकड़े को मैन्युअल रूप से जोड़ते हैं।
  • बेपोर में उरु बनाना एक सदियों पुरानी परंपरा है जो भारत द्वारा मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापार शुरू करने के बाद से प्रारंभ की गई थी।
  • बेपोर चलियार नदी के तट पर स्थित एक शहर है।
  • स्रोतों के अनुसार, उरु जहाजों की लगभग 2,000 वर्षों से अत्यधिक मांग रही है।

खलासी:

  • खलासी, उरु के निर्माण करने वाले पारंपरिक कारीगर हैं।
  • यही कारीगर इन उरु को पानी में छोड़ते हैं, उन्हें यात्रा के लिए तैयार करते हैं।
  • प्राचीन काल में अरब व्यापारियों का विशेष रूप से आकर्षण इन उरु के प्रति था और वे इन जहाजों के पहले प्रमुख संरक्षकों में से थे।
  • उरु को बनाने में कम से कम चार साल और चालीस से अधिक खलासी कारीगर लगते हैं।

स्रोत- द हिन्दू 

 

ओरकास

चर्चा में क्यों?

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के वाशिंगटन राज्य के दो शहरों ने औपचारिक रूप से लुप्तप्राय ओरकास के एक समूह के कानूनी अधिकारों की घोषणा करने के लिए कदम उठाए हैं। नॉर्थवेस्ट पैसिफ़िक में पोर्ट टाउनसेंड शहर और गिग हार्बर शहर ने दक्षिणी निवासी ओरकास के निहित अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए उद्घोषणाओं पर हस्ताक्षर किए हैं। 

ओरकास के बारे में:

  • ओरकास को "किलर व्हेल" के रूप में भी जाना जाता है जो विश्व भर में पायी जाती हैं। 
  • यह डेल्फ़िनिडे या डॉल्फ़िन परिवार का सबसे बड़ा सदस्य है। 
  • इस परिवार के सदस्यों में सभी डॉल्फ़िन प्रजातियां, साथ ही साथ अन्य बड़ी प्रजातियां शामिल हैं, जैसे- लंबे पंख वाली  पायलट व्हेल और छोटे पंख वाली पायलट व्हेल।
  • किलर व्हेल अत्यधिक सामाजिक होती हैं और अधिकांशतः सामाजिक समूहों में रहती हैं जिन्हें पॉड्स कहा जाता है।
  • किलर व्हेल भोजन करने, संचार करने और नेविगेट करने के लिए पानी के नीचे की ध्वनि पर निर्भर रहती हैं।

दक्षिणी निवासी किलर व्हेल

  • दक्षिणी निवासी किलर व्हेल संयुक्त राज्य अमेरिका में किलर व्हेल की एकमात्र लुप्तप्राय आबादी है।
  • लगभग दो दशकों तक संघीय कानूनी सुरक्षा के बावजूद, किलर व्हेल की आबादी में गिरावट जारी है जो गंभीर रूप से संकटग्रस्त है।
  • ब केवल 73 दक्षिणी निवासी ओरकास मौजूद हैं।

स्रोत- डाउन टू अर्थ 

दुर्लभ पृथ्वी खनिज

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने कहा कि दुर्लभ पृथ्वी खनिजों तक पहुंच के लिए भारत, चीन पर निर्भर नहीं है।  

दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के बारे में:

  • दुर्लभ पृथ्वी तत्व या दुर्लभ पृथ्वी धातु आवर्त सारणी में 17 तत्वों का समूह है - 15 लैंथेनाइड्स, प्लस स्कैंडियम और येट्रियम, जो लैंथेनाइड्स के समान रासायनिक गुण दर्शाते हैं। 
  • ये अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी, तेल रिफाइनरी, इलेक्ट्रॉनिक्स और कांच उद्योग सहित बड़ी मात्रा में उत्पादन हेतु उपयोग किए जाते हैं।
  • अंतरिक्ष शटल, जेट इंजन टर्बाइनों और ड्रोन में दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का उपयोग किया जाता है।
  • सबसे प्रचुर मात्रा में दुर्लभ पृथ्वी तत्व सेरियम, नासा के अंतरिक्ष शटल कार्यक्रम के लिए आवश्यक है।
  • इन्हें "दुर्लभ" इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये वास्तव में भू- पर्पटी में अपेक्षाकृत दुर्लभ रूप में पाए जाते हैं।
  • हालांकि, इनका निष्कर्षण खतरनाक है और दुनिया में अपेक्षाकृत कम जगह हैं जहाँ इनका खनन किया जाता है।
  • रेयर अर्थ टेक्नोलॉजी एलायंस (RETA) के अनुसार, रेयर अर्थ सेक्टर का अनुमानित आकार $10 बिलियन से $15 बिलियन के बीच है।  दुनिया भर में लगभग 100,000-110,000 टन दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का सालाना उत्पादन होता है।

दुर्लभ-पृथ्वी खनिजों के भंडार:

  • चीन के पास सबसे बड़ा रिज़र्व (37 प्रतिशत) है, उसके बाद ब्राज़ील और वियतनाम (18 प्रतिशत प्रत्येक), रूस (15 प्रतिशत) और शेष देशों (12 प्रतिशत) का स्थान है।
  • भारत के पास दुर्लभ पृथ्वी खनिजों का विश्व का 5वाँ सबसे बड़ा भंडार है (भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग $200 बिलियन का कुल मूल्य योगदान) जो ऑस्ट्रेलिया से लगभग दोगुना है।

स्रोत- पीआईबी 

 

 

ओरुनोदोई योजना

चर्चा में क्यों?

  • 10.54 लाख अतिरिक्त संख्या में लोग असम सरकार की 'ओरुनोदोई' योजना के दूसरे संस्करण से लाभान्वित होंगे। इससे कुल लाभार्थियों की संख्या 27 लाख हो जाएगी। 

'ओरुनोदोई' योजना के बारे में:

  • यह असम सरकार की एक योजना है जिसे 2 अक्टूबर, 2020 को लॉन्च किया गया है। 
  • राज्य में 24 लाख से अधिक गरीब परिवारों को ' ओरुनोदोई' योजना के तहत आर्थिक लाभ की परिकल्पना की गई है।
  • इसके तहत असम सरकार दवा, दाल और चीनी की खरीद के लिए पात्र लाभार्थियों को मासिक वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
  • योजनाबद्ध लाभ को प्रति महिला रु. 830 से बढ़ाकर रु.1000 / महिला कर दिया गया है।
  • महिलाओं को परिवार की प्राथमिक देखभाल करने वाली होने के नाते योजना के लाभार्थियों के रूप में रखा गया है।
  • 'ओरुनोदोई' योजना डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना के माध्यम से प्रति माह 1000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
  • ओरुनोदोई के लिए वित्तीय परिव्यय 4,142 करोड़ रू. प्रति वर्ष निर्धारित है।

लाभार्थी:

  • लाभार्थियों का प्रारंभिक चयन गाँव पंचायत (GP), ग्राम परिषद विकास समिति (VCDC), शहरी स्थानीय निकाय (ULB) के स्तर पर किया जायेगा। इसके तहत 10.54 लाख अतिरिक्त संख्या में लोग असम सरकार की 'ओरुनोदोई' योजना के दूसरे संस्करण से लाभान्वित होंगे। इससे कुल लाभार्थियों की संख्या 27 लाख हो जाएगी। 

स्रोत- द हिन्दू 

 

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस

चर्चा में क्यों?

  • हाल ही में 14 दिसंबर को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाया गया। 

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस 2022 के बारे में:

  • इसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता और संरक्षण में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करना है।

राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार- 2022:

  • यह ऊर्जा दक्षता और इसके संरक्षण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, बीईई, विद्युत मंत्रालय के मार्गदर्शन में, औद्योगिक इकाइयों, संस्थानों और प्रतिष्ठानों को राष्ट्रीय ऊर्जा के अवसर पर ऊर्जा संरक्षण पुरस्कारों से सम्मानित करके ऊर्जा की खपत को कम करने के प्रयासों को मान्यता देता है और प्रोत्साहित करता है। 

राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (NEEIA )- 2022:

  • ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में भारत के उत्कृष्ट कार्य और नवीन सोच को पहचानने के लिए, NEEIA पुरस्कार वर्ष 2021 में शुरू किए गए थे।
  • पुरस्कारों का मूल्यांकन ऊर्जा सामर्थ्य, विश्वसनीयता, ऊर्जा बचत पर प्रभाव तथा पर्यावरण और स्थिरता पर प्रभाव के आधार पर किया जाता है।

 राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता -2022:

  • ऊर्जा के संरक्षण और कुशल उपयोग की दिशा में समाज में लगातार बदलाव लाने के लिए, विद्युत मंत्रालय 2005 से ऊर्जा संरक्षण पर राष्ट्रीय चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन कर रहा है।
  • प्रतियोगिता तीन चरणों में आयोजित की जाती है, अर्थात् स्कूल, राज्य और राष्ट्रीय स्तर।

EV-यात्रा पोर्टल:

  • ऊर्जा दक्षता ब्यूरो ने निकटतम सार्वजनिक EV चार्जर के लिए इन-व्हीकल नेविगेशन की सुविधा हेतु एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया है। यह देश में ई-गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न केंद्रीय और राज्य-स्तरीय पहलों के सन्दर्भ में सूचना का प्रसार करने के लिए एक वेबसाइट और एक वेब-पोर्टल है।  " EV -यात्रा" नामक मोबाइल एप्लिकेशन को निकटतम सार्वजनिक ईवी चार्जर के लिए  इन-व्हीकल नेविगेशन की सुविधा के लिए डिज़ाइन और विकसित किया गया है।

स्रोत- पीआईबी