
Dec. 8, 2022
अफगानिस्तान में आतंकी नेटवर्क चिंता का विषय: अजीत डोभाल
प्रश्न पत्र- 2 (अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध)
स्रोत- द हिन्दू, इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में भारत ने पहली बार अफगानिस्तान में उभरती सुरक्षा परिस्थितियों और यहाँ उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे से निपटने के तरीकों पर ध्यान देने की बात करते हुए मध्य एशिया के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के एक सम्मेलन की मेजबानी की।
प्रमुख बिंदु
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (NSA) की पहली भारत-मध्य एशिया बैठक हाल ही में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी।यह बैठक इस साल जनवरी में आयोजित भारत-मध्य एशिया आभासी शिखर सम्मेलन का परिणाम थी।
- इस बैठक में पीएम मोदी ने कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं की मेजबानी की। इसमें भाग लेने वाले नेताओं ने भारत के "विस्तारित पड़ोस" पर चर्चा करने के लिए नियमित रूप से सुरक्षा प्रमुखों से मिलने पर सहमति व्यक्त की थी
- इस बैठक में अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की गई। इसमें शामिल नेताओं ने अफगानिस्तान में वर्तमान स्थिति तथा क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता पर इसके प्रभाव पर चर्चा की।
बैठक के अंत में जारी एक संयुक्त विज्ञप्ति
- इसमें शामिल सभी देशों ने शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित अफगानिस्तान के लिए मजबूत सहयोग समर्थन को दोहराया, साथ ही अपनी संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर बल दिया और अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया।
कनेक्टिविटी पर बल
- भारत ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि मध्य एशियाई देश इस क्षेत्र में निवेश और कनेक्टिविटी बनाने के लिए भारत के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता बने हुए हैं।
- संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि कनेक्टिविटी पहल पारदर्शिता के सिद्धांतों और सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित होनी चाहिए।
- विश्लेषक इस बयान को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर नई दिल्ली के मौन समर्थन के रूप में देखते हैं।
- संयुक्त विज्ञप्ति में अफगानिस्तान में मानवीय संकट के दौरान चाबहार पोर्ट की भूमिका पर जोर दिया गया।
- इसने व्यापार और कनेक्टिविटी बढ़ाने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा अफगान लोगों को आवश्यक वस्तुओं के वितरण में मध्य एशियाई देशों के लॉजिस्टिक बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने में पोर्ट की अपार क्षमता पर भी प्रकाश डाला।
- काबुल के तालिबान के कब्जे में आने से पहले, नई दिल्ली ने चाबहार बंदरगाह के शाहिद बेहेश्टी टर्मिनल तक समुद्री मार्ग से अफगानिस्तान को 100,000 टन गेहूं और दवाएं पहुंचाई थीं।
- हालाँकि, पिछले एक साल में, भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भेजने के लिए पाकिस्तान के माध्यम से स्थल मार्ग का उपयोग किया है।
- बैठक में शामिल प्रतिभागियों ने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के ढांचे के भीतर चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन किया। यह गलियारा ईरान को मध्य एशिया के रास्ते, रूस से जोड़ता है।
- साथ ही सामूहिक और समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया गया।
सामूहिक और समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता क्यों?
- नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के दुरुपयोग तथाहथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने हेतु।
- सीमा पार आतंकवाद को रोकने हेतु।
- साइबर स्पेस के दुरुपयोग पर नियंत्रण हेतु।
इस बैठक का महत्व: भारत का संवाद कूटनीति पर बल
- यह पहली बार था जब भारत ने मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के सम्मेलन की मेजबानी की।
- यह भारत और मध्य एशियाई देश के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ के समय सम्पन्न हुई।
- नवंबर, 2021 में, भारत ने अफगानिस्तान की स्थिति पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की जिसमें रूस, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल थे।
- यह बैठक मध्य एशियाई क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भारत की संवाद कूटनीति पर बल देती है।
मध्य एशियाई देश
- मध्य एशियाई क्षेत्र (CA) में कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज़्बेकिस्तान के देश शामिल हैं।
- यह क्षेत्र पश्चिम में कैस्पियन सागर से लेकर पूर्व में पश्चिमी चीन की सीमा तक फैला हुआ है।
- यह उत्तर में रूस और दक्षिण में ईरान, अफगानिस्तान और चीन से घिरा है।
भारत के लिए मध्य एशिया का महत्व:
ऊर्जा सुरक्षा -
- मध्य एशिया में विशाल हाइड्रोकार्बन क्षेत्र और यूरेनियम रिजर्व हैं।भारत के आयातित ऊर्जा पर और अधिक निर्भर होने के अनुमान के साथ, ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की व्यवस्था एक महत्वपूर्ण चिंता बन गई है।
भू-रणनीतिक महत्व –
- यूरेशियन महाद्वीप के मध्य में स्थित होने के कारण, मध्य एशिया पारगमन के सबसे सुविधाजनक मार्गों में से एक है।
वाणिज्यिक हित –
- संसाधनों, जनशक्ति और बाजार के मामले में भारत और मध्य एशिया दोनों आर्थिक क्षेत्र में एक-दूसरे के पूरक हैं।
भू-राजनीतिक हित –
- आज यूरोप, अमेरिका, चीन और ईरान इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। यह सब मध्य एशिया में उच्च सत्ता की राजनीति लाने की संभावना है।
आंतरिक सुरक्षा –
- भारत इस क्षेत्र को धार्मिक उग्रवाद के स्रोत के रूप में देखता है और कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के उदय की जाँच करने के लिए चिंतित है जो एक आतंकवादी खतरा प्रस्तुत कर सकते हैं। मध्य एशिया में मादक पदार्थों की तस्करी के प्रसार से ये सुरक्षा चिंताएं और बढ़ गई हैं।
मुख्य परीक्षा प्रश्न
प्रश्न- भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच मजबूत होते संबंधों को ध्यान में रखते हुए भू-राजनीति, भू-अर्थशास्त्र और भू-रणनीति के संदर्भ में भारत के लिए मध्य एशियाई क्षेत्र के महत्व का वर्णन कीजिए । (250 शब्द)