Dec. 5, 2022

03 december 2022

 

 पीएम-दक्ष कार्यक्रम

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अनुसार पीएम-दक्ष कार्यक्रम के तहत लगभग 5 लाख लोगों को लाभ मिला है ।

पीएम- दक्ष कार्यक्रम 

  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJ&E) द्वारा 2020-21 में प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता  संपन्न हितग्राही (पीएम-दक्ष) योजना शुरू की गई थी।
  • यह कूड़ा बीनने वालों सहित अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, EBC, DNT , स्वच्छता कार्यकर्त्ताओं को कवर करने वाले हाशिए पर पड़े व्यक्तियों को कुशल बनाने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य-योजना है।

पीएम- दक्ष पोर्टल की विशेषताएं 

  • ‘पीएम-दक्ष' पोर्टल पर जाकर कोई भी व्यक्ति एक ही स्थान पर कौशल विकास प्रशिक्षण से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त कर सकता है।
  • अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग एवं सफाई कर्मचारियों के लिए कौशल विकास संबंधी संपूर्ण जानकारी एक ही स्थान पर उपलब्ध होना।
  • प्रशिक्षण संस्थान और लाभार्थियों की रुचि के कार्यक्रम के अनुसार पंजीकरण करने की सुविधा।
  • व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित वांछित दस्तावेज अपलोड करने की सुगमता।
  • प्रशिक्षण अवधि के दौरान चेहरे व आंखों की स्कैनिंग के माध्यम से प्रशिक्षुओं की उपस्थिति दर्ज करने की सहूलियत।
  • प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान फोटो और वीडियो क्लिप के माध्यम से निगरानी की सुविधा।

पात्रता:

  • SC/ST/EBC और OBC में किसी भी श्रेणी के 18-45 वर्ष के आयु वर्ग के उम्मीदवार, पीएम-दक्ष के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • OBC वर्ग,  जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 3 लाख रुपये से कम हो। 
  • EBC वर्ग, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 1 लाख रुपये से कम हो। 
  • DNT,  खानाबदोश और अर्ध-खानाबदोश जनजाति।
  • सफाई कर्मचारी (कचरा बीनने वालों सहित) और उनके आश्रित।

स्रोत- पीआईबी 

B-21

चर्चा में क्यों ?

  • अमेरिका का नवीनतम परमाणु स्टील्थ बमवर्षक वर्षों के गुप्त विकास के बाद सार्वजनिक रूप से अपनी शुरुआत करने जा रहा है। नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन कॉर्प ने नया बी-21 "रेडर" जेट लॉन्च किया, जो संयुक्त राज्य अमेरिका की वायु सेना के लिए लंबी दूरी के स्टील्थ परमाणु बमवर्षकों के नए बेड़े में से पहला है।

B-21 के बारे में 

  • B-21 रेडर एक सबसोनिक विमान है जो परमाणु मिशन और लंबी दूरी की बमबारी करने के लिए अत्याधुनिक स्टील्थ तकनीकों का इस्तेमाल करेगा।
  • इसका नाम टोक्यो के ऊपर 1942 के डूलिटिल रेड से लिया गया है, जो अपनी सीमा बढ़ाने के लिए B-2 से थोड़ा छोटा होगा।
  • इसमें बम वर्षक को पहचानने में कठिन बनाने के लिए कोटिंग्स में उपयोग की जाने वाली उन्नत सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक उत्सर्जन को नियंत्रित करने के नए तरीके शामिल हैं, ताकि बमवर्षक, विरोधी रडार को खराब कर सके और खुद को एक अन्य वस्तु के रूप में छिपा कर नई प्रणोदन तकनीकों का उपयोग कर सके।
  • यह बमवर्षक विमान  अपने परमाणु त्रय के सभी तीन चरणों के आधुनिकीकरण के पेंटागन के प्रयासों का हिस्सा है, जिसमें साइलो-लॉन्च परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल और पनडुब्बी-लॉन्च वॉरहेड शामिल हैं ।

स्रोत- द हिन्दू 

नाटोवेनेटर पॉलीडोंटस

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में नाटोवेनेटर पॉलीडोंटस नामक डायनासोर के संरक्षित अवशेष  (लगभग 70% पूर्ण कंकाल) गोबी रेगिस्तान में खोजा गया है।
  • नाटोवेनेटर पॉलीडोंटस के बारे में 
  • नाटोवेनेटर पॉलीडोंटस नामक डायनासोर, क्रेटेशियस अवधि के दौरान लगभग 72 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी पर पाया जाता था।
  •  
  • यह लगभग निश्चित रूप से पंखों में ढका हुआ होता था। 
  • यह डायनासोर समूह का हिस्सा है, जिसे थेरोपोड्स कहा जाता है।
  • Natovenator को मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में एक अर्ध-जलीय जीवन शैली के लिए अनुकूलित किया गया था, शायद नदियों और झीलों पर तैरते हुए, यह अपने पंजों का प्रयोग पैडलिंग, मछली और कीड़ों को पकड़ने तथा  अपनी लचीली गर्दन का उपयोग गोताखोरी के लिए एवं शिकार को पकड़ने के लिए करता था। 
  • नॉन-एवियन" कहे जाने वाले कई डायनासोर पक्षी, एक अर्ध-जलीय जीवन शैली जीने के लिए जाने जाते हैं। 
  • 2017 में वर्णित हल्ज़कारैप्टर नाम के नाटोवेनेटर का एक निकट सम्बन्धी  उसी क्षेत्र में लगभग एक ही समय विद्यमान था। दोनों की शक्ल पक्षी जैसी थी और वे पक्षी वंश से निकटता से संबंधित थे। 
  • लेकिन थेरोपोड श्रेणी में कई पंख वाले जीव थे जो कई शाखाओं में बंटे हुए थे। उदाहरण के लिए, लंबे पंजे वाले ग्राउंड स्लॉथ-जैसे थेरिज़िनोसॉरस, शुतुरमुर्ग-जैसे स्ट्रूथियोमिमस, दीमक खाने वाले मोनोनीकस आदि।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस 

PROJECT–G.I.B

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लुप्तप्राय पक्षी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड संरक्षण हेतु याचिका पर सुनवाई करते हुए 'प्रोजेक्ट टाइगर' की तर्ज पर 'प्रोजेक्ट G.I.B ' शुरू करने का विचार रखा गया।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड क्या है?

  • मुख्य रूप से राजस्थान और गुजरात में पाए जाने वाले इस बड़े पक्षी को इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • GIBs की ऐतिहासिक सीमा में भारतीय उपमहाद्वीप का अधिकांश भाग शामिल था, जो अब घटकर केवल 10% रह गया है। 
  • सबसे भारी स्थलीय पक्षियों में से एक  GIB घास के मैदानों को अपने आवास के रूप में पसंद करते हैं, इसलिए ये चारागाह पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य के बैरोमीटर हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड लुप्तप्राय क्यों हैं?

  • GIB के लिए सबसे बड़े खतरों में ओवरहेड पावर ट्रांसमिशन लाइनें हैं। कमजोर दृश्य क्षमता के कारण, ये पक्षी दूर से विद्युत लाइनों को नहीं देख पाते और जब पास आ जाते हैं तो बहुत भारी होने के कारण दिशा बदलने में अक्षम होते हैं।
  • भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के अनुसार, राजस्थान में प्रत्येक वर्ष 18 G.I.B ओवरहेड बिजली लाइनों से टकराने के बाद मर जाते हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड  के संरक्षण के प्रयास

  • अप्रैल,2021 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि राजस्थान और गुजरात में कोर और संभावित GIB आवासों में सभी ओवरहेड बिजली लाइनों को भूमिगत किया जाना चाहिए।
  • हाल ही में अदालत ने राजस्थान और गुजरात में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में बर्ड डायवर्टर (बिजली के तारों पर परावर्तक जैसी संरचनाएं) लगाने पर छह सप्ताह में रिपोर्ट माँगी। साथ ही अदालत ने उनसे  पारेषण लाइनों की कुल लंबाई का आकलन करने के लिए भी कहा, जिन्हें दोनों राज्यों में भूमिगत करने की आवश्यकता है।
  • 2015 में, केंद्र ने GIB प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम शुरू किया था जिसके तहत, WII और राजस्थान वन विभाग ने संयुक्त रूप से प्रजनन केंद्र स्थापित किए थे ।
  • प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के वन्यजीव आवास का एकीकृत विकास (IDWH) के तहत प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम शुरू किया गया।
  • नेशनल बस्टर्ड रिकवरी प्लान- वर्तमान में इसे संरक्षण एजेंसियों (Conservation Agencies) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • संरक्षण प्रजनन सुविधा- जून, 2019 में MoEFCC, राजस्थान सरकार और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) द्वारा  जैसलमेर में डेजर्ट नेशनल पार्क में एक संरक्षण प्रजनन सुविधा स्थापित की गयी है। इसका उद्देश्य ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स की आबादी में वृद्धि करना है।

स्रोत- इंडियन एक्सप्रेस 

बाघ-आबादी

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में बढ़ती मानव-बाघ संघर्ष की घटनाएँ चर्चा का विषय बनी हुई हैं।

भारत में बाघों की आबादी-

  • प्रत्यके 4 वर्ष में, पूरे भारत में बाघों की आबादी की जनगणना की जाती है। 
  • नवीनतम अनुमानों के अनुसार, बाघों की आबादी 2,967 है। कथित तौर पर, बाघ लगभग 6% प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहे थे और 2014 के बाद से लगभग 89,000 वर्ग किमी. पर उनका प्रसार था।
  • इनकी जनसंख्या का अनुमान एक परिष्कृत प्रणाली का उपयोग करके लगाया जाता है जिसमें कैमरा ट्रैप के साथ-साथ गणितीय पद्धति के माध्यम से जानवरों की तस्वीर लेना शामिल होता है। 
  • 2006 में, भारत में बाघों की संख्या 1,411 थी जो 2010 में बढ़कर 1,706 और 2014 में 2,226 हो गई थी।

संख्या बढ़ने के कारण?

  • 1973 से प्रोजेक्ट टाइगर का लगातार कार्यान्वयन और इसके द्वारा भारत में समर्पित बाघ अभयारण्य स्थापित किए गए।
  • अवैध शिकार विरोधी उपायों ने बाघ संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • भारत में 53 टाइगर रिजर्व हैं।  
  • हालांकि, बाघों की बढ़ती संख्या का अर्थ है कि लगभग आधे बाघ अब निर्दिष्ट संरक्षित क्षेत्रों से बाहर हैं जो मानव-पशु संघर्ष के बढ़ते उदाहरणों को जन्म देते हैं।

स्रोत: द हिंदू