
भारत में समलैंगिक विवाह
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह पर अनुमति हेतु दाखिल याचिकाओं पर केंद्र सरकार और भारत के महान्यायवादी से,विशेष विवाह अधिनियम (SMA ), 1954 के तहत प्रतिक्रिया माँगी।
याचिकाएं क्या कहती हैं?
- SMA उन जोड़ों के लिए विवाह का एक नागरिक रूप प्रदान करता है जो अपने निजी कानून के तहत शादी नहीं कर सकते हैं और हाल ही की याचिकाएं इस अधिनियम के तहत समलैंगिक विवाह को मान्यता दिलाना चाहती हैं।
- याचिकाकर्त्ताओं के अनुसार, SMA, 1954 "लिंग पहचान और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना किसी भी दो व्यक्तियों के बीच विवाह पर लागू होना चाहिये।
- समान-लिंग विवाह की मान्यता केवल 2018 के नवतेज सिंह जौहर के फैसले (समलैंगिकता को कम करने) और 2017 के पुट्टास्वामी फैसले (निजता के अधिकार की पुष्टि) की निरंतरता थी। SMA इसे "लिंग-तटस्थ" बनाए।
- लगभग 15 ऐसे कानून जो मजदूरी, ग्रेच्युटी, गोद लेने, सरोगेसी आदि के अधिकारों की गारंटी देते हैं परन्तु LGBTQ+ नागरिकों के लिए उपलब्ध नहीं है।
विशेष विवाह अधिनियम (SMA ), 1954
- यह अधिनियम समलैंगिक विवाह और विपरीत-लिंग वालों के बीच विवाह में भेदभाव करता है और भारत में अंतर-धार्मिक एवं अंतर्जातीय विवाह को पंजीकृत एवं मान्यता प्रदान करता है। इसमें हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, जैन और बौद्ध विवाह भी शामिल हैं।
- अधिनियम के तहत किसी धार्मिक औपचारिकता के निर्वहन की आवश्यकता नहीं होती है। यह अधिनियम न केवल विभिन्न जातियों और धर्मों के भारतीय नागरिकों पर ,बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू होता है।
- अधिनियम में समलैंगिक विवाह को "कानूनी अधिकारों के साथ-साथ सामाजिक मान्यता और स्थिति" दोनों से वंचित रखा गया है।
- इसकी धारा 4 ,जो किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच विवाह की अनुमति को मंजूरी देती है , को दोबारा लागू करने की माँग की जा रही है।
नवतेज जौहर वाद (2018)
- सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की खंडपीठ ने IPC-धारा 377 को असंवैधानिक बताते हुए LQBTQ+ समुदाय के “यौन रुझान को स्वाभाविक” बताया और सहमति से समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर किया।
- यौन अभिविन्यास के आधार पर भेदभाव, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है।
- समलैंगिकों को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है और वे “समान कानूनों के संरक्षण” का लाभ उठा सकते हैं तथा किसी व्यक्ति की शारीरिक स्वायत्तता को संवैधानिक रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए। पसंद के व्यक्ति के साथ निजी तौर पर अंतरंगता साझा करना व्यक्तिगत स्वतंत्रता है।
केंद्र सरकार का रुख
- 1954 का कानून केवल "जैविक पुरुष" और "जैविक महिला" के बीच विवाह की अनुमति देता है।
- नवतेज कौर वाद ,2018 के फैसले में 'समान-लिंग विवाह' शब्दों का उल्लेख नहीं है।
- "एक ही लिंग के दो व्यक्तियों के बीच विवाह न तो किसी असंहिताबद्ध व्यक्तिगत कानून न संहिताबद्ध वैधानिक कानून के तहत स्वीकृत नहीं है।"
अन्य देशों की स्थिति
- समलैंगिक विवाह, सभी मैक्सिकन राज्यों में कानूनी रूप से वैध है।विश्व के कुल 32 देशों में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता प्राप्त है, कुछ देशों में कानून के माध्यम से जबकि अन्य में न्यायिक घोषणाओं के माध्यम से। कई देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए सबसे पहले समान-लिंग सिविल यूनियनों को एक प्रगतिशील कदम के रूप में मान्यता दी है।
- सिविल यूनियन,जो समान या विपरीत लिंग के अविवाहित जोड़ों को विवाह के साथ आने वाले कुछ अधिकार प्रदान करने के लिए कानूनी मान्यता प्रदान करते हैं। जैसे- विरासत, चिकित्सा लाभ, जीवनसाथी को कर्मचारी लाभ, संयुक्त प्रबंधन कर और वित्त तथा कुछ मामलों में दत्तक ग्रहण भी।
- नीदरलैंड 2001 में अपने नागरिक विवाह कानून में,समलैंगिक विवाह को वैध बनाने वाला पहला देश था।
LGBTQIA ++ समुदायों के प्रति सामाजिक बाधाएँ
- इन्हें सामाजिक और आचार विचार में अनैतिक समझा जाता है । इस कारण इनका कार्यस्थल, संस्थाओं और सामाजिक स्थलों पर उपहास उड़ाया जाता है।
- भारत के वर्गीय, जातीय और क्षेत्रीय रूप से विविध LGBTQIA ++ समुदायों पर मानसिक बीमारियों और चुनौतियों का खतरा सर्वाधिक देखने को मिलता है।
- असंगति, गहरे कलंक, भेदभाव और अक्सर दुर्व्यवहार के कारण यह समुदाय अत्यधिक संकट और खराब नैतिक मूल्यों का अनुभव करता है, जो इन्हें आत्म-घृणा और पीड़ा की ओर धकेल देता है।
- LGBTQIA++ समुदायों की मानसिक स्वास्थ्य ज़रूरतें दूसरों से अलग नहीं हैं क्योंकि इनकी पहचान इन्हें सामाजिक भेदभाव और तनाव देती है। समाज LGBTQIA++ समुदाय के लोगों को जीवन भर हाशिए पर रखता है, चाहे वे कितने भी निपुण क्यों न हों।
उपाय
- भारतीय रेलवे और सरकारी आवेदनों में लैंगिक पहचान हेतु अब महिला और पुरुष के साथ-साथ ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए तीसरे लिंग के तौर पर नई श्रेणी शामिल की गयी है।
- जागरूकता- स्कूलों और विश्वविद्यालयों में विचित्र मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि विविध लिंग और यौन पहचान को नष्ट किया जा सके। किशोरों और युवाओं में आत्म-देखभाल कौशल का निर्माण एक प्रमुख पहलू है।
- राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC ) की एक हालिया सलाह में मेडिकल पाठ्यपुस्तकों या शिक्षण विधियों में LGBTQIA+ समुदाय के लिए अपमानजनक संदर्भों से बचने की आवश्यकता पर बल दिया गया और ट्रांस लोगों के मुद्दों पर संस्थागत जागरूकता के मूल्य को रेखांकित किया गया।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2016
- यह एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जो आंशिक रूप से महिला या पुरुष है; या महिला और पुरुष का संयोजन; या न तो महिला और न ही पुरुष है।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की परिभाषा में 'ट्रांस-मेन', 'ट्रांस-वुमेन' और 'इंटरसेक्स वेरिएशन वाले व्यक्ति' जैसे शब्द शामिल हैं।
- जिस व्यक्ति का लिंग जन्म के समय नियत किए गए लिंग से मेल नहीं खाता है और इसमें ट्रांस-पुरुष, ट्रांस-महिला, इंटरसेक्स भिन्नता वाले व्यक्ति और लिंग-पंक्ति शामिल किये गये हैं।
- ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में पहचान की मान्यता हेतु प्रमाण के रूप में पहचान का प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिए।
- किसी ट्रांसजेंडर व्यक्ति को भीख माँगने के लिए मजबूर करना, सार्वजनिक स्थान पर जाने से मना करना, शारीरिक और यौन शोषण आदि जैसे अपराधों के लिए 2 वर्ष का कारावास तथा जुर्माना का प्रावधान शामिल किया गया है ।
- 'ट्रांसजेंडर' के रूप में मान्यता प्राप्त व्यक्ति को 'स्व-कथित' लिंग पहचान का अधिकार होगा।
IPC 377- इसके अनुसार "जो भी कोई किसी पुरुष, स्त्री या जीवजन्तु के साथ प्रकॄति की व्यवस्था के विरुद्ध स्वेच्छा पूर्वक संभोग करेगा तो उसे आजीवन कारावास या किसी एक अवधि के लिए कारावास, जिसे दस वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, से दण्डित किया जाएगा और साथ ही वह आर्थिक दण्ड के लिए भी उत्तरदायी होगा।"
LGBTQIA-Lesbian, Gay, Bisexual, Transgender, Queer/Questioning (one's sexual or gender identity), Intersex, and Asexual/Agender
LGBTQIA+ फ़्लैग क्या है?
यह झंडा पहली बार 2000 में फीनिक्स में एक प्राइड परेड में फहराया गया था।इसमें हल्का नीला रंग लड़कों का प्रतिनिधित्व करता है और गुलाबी लड़कियों का। सफेद का उपयोग उन लोगों के प्रतीक के लिए किया जाता है जो संक्रमण कर रहे हैं तथा जो महसूस करते हैं कि उनके पास एक तटस्थ लिंग है या कोई लिंग नहीं है और जो इंटरसेक्स हैं।
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I-इंटरसेक्स- यह एक लैंगिक विकृति है। यह वह स्थिति है जब कोई प्राणी जिस लिंग में जन्मा हो और विकसित होते-होते सहसा, किसी कारणवश, दूसरे लिंग का रूप धारण कर ले। किन्नरों (eunuchs) में यह अवस्था देखी जा सकती है।
P-पैनसेक्सुअल-इसमें व्यक्ति की लोगों के प्रति उनके जैविक सेक्स या लिंग पहचान की परवाह किए बिना यौन या भावनात्मक आकर्षण होता है।
संभावित प्रश्न
प्र. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये –
- नवतेज जौहर वाद-2018,IPC -377 के तहत स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
- विशेष विवाह अधिनियम,1954 में ट्रांसजेंडर को परिभाषित किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन असत्य है/हैं-
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
मुख्य परीक्षा प्रश्न
प्र. LGBTQIA+ समुदाय के लोगों के अधिकारों से सम्बंधित चुनौतियों तथा इस वर्ग के उत्थान हेतु संभावित उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)