
एक नई शुरुआत, एक नई सुबह
चर्चा में क्यों ?
हाल ही में स्काईरूट एयरोस्पेस ने अपने पहले मिशन 'प्रारंभ' के तहत तथा देश का पहला निजी रूप से विकसित रॉकेट विक्रम –S ,श्रीहरिकोटा में इसरो के लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया।
विक्रम S के बारे में –
- विक्रम-S ,एकल चरण ठोस ईंधन रॉकेट है।
- रॉकेटों की विक्रम श्रृंखला का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है , विक्रम -1 को अगले वर्ष लॉन्च करने का निर्णय किया गया है।
- यह रॉकेट दुनिया के उन कुछ लॉन्च वाहनों में से है, जिनकी कोर संरचना कार्बन कंपोजिट का उपयोग करके बनाई गई है।
- इसमें स्पिन स्टेबिलिटी के लिए इस्तेमाल होने वाले थ्रस्टर्स को 3डी प्रिंटेड किया गया है।
- यह उप-कक्षीय उड़ानें भरेगा अर्थात जिसमें यान कक्षीय वेग से धीमी गति से यात्रा करेगा और जब यान बाहरी अंतरिक्ष में पहुंचेगा, यह पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में रहने की बजाय तेजी से यात्रा शुरु करेगा।
- चेन्नई स्थित एयरोस्पेस स्टार्टअप, स्पेसकिड्ज़ का 2.5 किलोग्राम का पेलोड 'फन-सैट' भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर और इंडोनेशिया के छात्रों द्वारा विकसित और अन्य 2 उपग्रहों को, विक्रम-S उप कक्षा में लेकर जायेगा।
- 545 किलो के विक्रम प्रक्षेपण यान में विक्रम 2 और विक्रम 3 श्रृंखला भी शामिल हैं।
- विक्रम-I : पृथ्वी की निचली कक्षा में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है। इसे कलाम-100 रॉकेट से संचालित किया जाएगा।
- विक्रम-2 : 595 किलोग्राम कार्गो के साथ उड़ान भरने के लिए सुसज्जित है।
- विक्रम-3 : 815 किग्रा को 500 किमी लो इनक्लिनेशन ऑर्बिट में लॉन्च कर सकता है।इसकी तुलना में, भारत का PSLV इस तरह की कक्षा में 1,750 किग्रा तक ले जा सकता है।
- इंजन - प्रयुक्त इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर 'कलाम-80' है।
स्काईरूट के बारे में –
- स्काईरूट कंपनी हैदराबाद में स्थित है और वाणिज्यिक उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के निर्माण में सहायक है।
- इसका उद्देश्य अंतरिक्ष उड़ानों को सभी के लिए किफायती, विश्वसनीय और नियमित बनाने के अपने मिशन को आगे बढ़ाकर लागत-कुशल उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं और अंतरिक्ष-उड़ान में प्रवेश बाधाओं को बाधित करना है।
- 2018 में स्थापित स्काईरूट एयरोस्पेस, दो बार का राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अंतरिक्ष स्टार्टअप है, और यह भारत में अब तक की पूंजी के रूप में 526 करोड़ रू. के साथ सबसे बड़ा वित्त पोषित निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप है।
- इसने अंतरिक्ष एजेंसी के साथ पंजीकरण कराया है और "अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न डोमेन" में इसके साथ मिलकर काम कर रहा है।
- इस चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप ने अग्निकुल कॉसमॉस भी अपने रॉकेट अग्निबाण के व्यावसायिक दृष्टिकोण को प्रकट किया है।
न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL)
- न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) इसरो की वाणिज्यिक शाखा है जो निजी कंपनियों और स्टार्ट-अप को अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है।
छोटे उपग्रहों का महत्व
- विशेष डेटा प्राप्त करने के लिए उपग्रह सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय माध्यम हैं। जलवायु, मौसम, आपदा, पर काम करने वाले विश्वविद्यालय और शोध संस्थान, कृषि, वानिकी आदि छोटे उपग्रहों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- आज राष्ट्रीय सरकारों के अलावा 5G प्रौद्योगिकी और अन्य प्रौद्योगिकी के विकास में , सेवा प्रदाता आदि में इन उपग्रहों का उपयोग किया जा रहा है।
- स्मार्ट परिवहन, मनोरंजन के लिए डिजिटल सेवाएं, ड्रोन आदि जैसी तकनीकी भी उपग्रह सेवाओं के उपयोग को बढ़ा रही है।
- सभी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम छोटे उपग्रहों के लिए बढ़ते वैश्विक बाजार में भारत पीछे था क्योंकि अमेरिकी कंपनी 'स्पेसएक्स' 140 से ज्यादा उपग्रह लॉन्च करती है, परन्तु विक्रम श्रृंखला आगामी वर्ष में 20,000 से अधिक छोटे उपग्रहों को लॉन्च करेगी।
- अंतरिक्ष उद्योग में विकास , दुनिया भर में लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। निजी अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या में वृद्धि उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है और निरंतर सुधार और उन्नति को प्रोत्साहित करती है।
- लाइव स्ट्रीमिंग लॉन्च और उनके संचालन के प्रचार ने आम जनता के बीच अंतरिक्ष अन्वेषण में व्यापक रुचि पैदा की है।
इसरो द्वारा लॉन्च किए गए निजी उपग्रह मिशन:
- इसरो के सबसे भारी लॉन्च वाहन GSLV मार्क III ने 36 वनवेब उपग्रह लॉन्च किए ।
- अंतरिक्ष एजेंसी ने छात्रों द्वारा बनाए गए कम से कम चार उपग्रह भी लॉन्च किए।
संचर्चा में क्यों ?
हाल ही में स्काईरूट एयरोस्पेस ने अपने पहले मिशन 'प्रारंभ' के तहत तथा देश का पहला निजी रूप से विकसित रॉकेट विक्रम –S ,श्रीहरिकोटा में इसरो के लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया।
विक्रम S के बारे में –
- विक्रम-S ,एकल चरण ठोस ईंधन रॉकेट है।
- रॉकेटों की विक्रम श्रृंखला का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है , विक्रम -1 को अगले वर्ष लॉन्च करने का निर्णय किया गया है।
- यह रॉकेट दुनिया के उन कुछ लॉन्च वाहनों में से है, जिनकी कोर संरचना कार्बन कंपोजिट का उपयोग करके बनाई गई है।
- इसमें स्पिन स्टेबिलिटी के लिए इस्तेमाल होने वाले थ्रस्टर्स को 3डी प्रिंटेड किया गया है।
- यह उप-कक्षीय उड़ानें भरेगा अर्थात जिसमें यान कक्षीय वेग से धीमी गति से यात्रा करेगा और जब यान बाहरी अंतरिक्ष में पहुंचेगा, यह पृथ्वी के चारों ओर कक्षा में रहने की बजाय तेजी से यात्रा शुरु करेगा।
- चेन्नई स्थित एयरोस्पेस स्टार्टअप, स्पेसकिड्ज़ का 2.5 किलोग्राम का पेलोड 'फन-सैट' भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, सिंगापुर और इंडोनेशिया के छात्रों द्वारा विकसित और अन्य 2 उपग्रहों को, विक्रम-S उप कक्षा में लेकर जायेगा।
- 545 किलो के विक्रम प्रक्षेपण यान में विक्रम 2 और विक्रम 3 श्रृंखला भी शामिल हैं।
- विक्रम-I : पृथ्वी की निचली कक्षा में 480 किलोग्राम पेलोड ले जा सकता है। इसे कलाम-100 रॉकेट से संचालित किया जाएगा।
- विक्रम-2 : 595 किलोग्राम कार्गो के साथ उड़ान भरने के लिए सुसज्जित है।
- विक्रम-3 : 815 किग्रा को 500 किमी लो इनक्लिनेशन ऑर्बिट में लॉन्च कर सकता है।इसकी तुलना में, भारत का PSLV इस तरह की कक्षा में 1,750 किग्रा तक ले जा सकता है।
- इंजन - प्रयुक्त इंजन का नाम पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर 'कलाम-80' है।
स्काईरूट के बारे में –
- स्काईरूट कंपनी हैदराबाद में स्थित है और वाणिज्यिक उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के निर्माण में सहायक है।
- इसका उद्देश्य अंतरिक्ष उड़ानों को सभी के लिए किफायती, विश्वसनीय और नियमित बनाने के अपने मिशन को आगे बढ़ाकर लागत-कुशल उपग्रह प्रक्षेपण सेवाओं और अंतरिक्ष-उड़ान में प्रवेश बाधाओं को बाधित करना है।
- 2018 में स्थापित स्काईरूट एयरोस्पेस, दो बार का राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अंतरिक्ष स्टार्टअप है, और यह भारत में अब तक की पूंजी के रूप में 526 करोड़ रू. के साथ सबसे बड़ा वित्त पोषित निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप है।
- इसने अंतरिक्ष एजेंसी के साथ पंजीकरण कराया है और "अंतरिक्ष क्षेत्र के विभिन्न डोमेन" में इसके साथ मिलकर काम कर रहा है।
- इस चेन्नई स्थित स्टार्ट-अप ने अग्निकुल कॉसमॉस भी अपने रॉकेट अग्निबाण के व्यावसायिक दृष्टिकोण को प्रकट किया है।
न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL)
- न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) इसरो की वाणिज्यिक शाखा है जो निजी कंपनियों और स्टार्ट-अप को अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है।
छोटे उपग्रहों का महत्व
- विशेष डेटा प्राप्त करने के लिए उपग्रह सबसे महत्वपूर्ण और विश्वसनीय माध्यम हैं। जलवायु, मौसम, आपदा, पर काम करने वाले विश्वविद्यालय और शोध संस्थान, कृषि, वानिकी आदि छोटे उपग्रहों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- आज राष्ट्रीय सरकारों के अलावा 5G प्रौद्योगिकी और अन्य प्रौद्योगिकी के विकास में , सेवा प्रदाता आदि में इन उपग्रहों का उपयोग किया जा रहा है।
- स्मार्ट परिवहन, मनोरंजन के लिए डिजिटल सेवाएं, ड्रोन आदि जैसी तकनीकी भी उपग्रह सेवाओं के उपयोग को बढ़ा रही है।
- सभी सेवाएं प्रदान करने में सक्षम छोटे उपग्रहों के लिए बढ़ते वैश्विक बाजार में भारत पीछे था क्योंकि अमेरिकी कंपनी 'स्पेसएक्स' 140 से ज्यादा उपग्रह लॉन्च करती है, परन्तु विक्रम श्रृंखला आगामी वर्ष में 20,000 से अधिक छोटे उपग्रहों को लॉन्च करेगी।
- अंतरिक्ष उद्योग में विकास , दुनिया भर में लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है। निजी अंतरिक्ष कंपनियों की संख्या में वृद्धि उनके बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है और निरंतर सुधार और उन्नति को प्रोत्साहित करती है।
- लाइव स्ट्रीमिंग लॉन्च और उनके संचालन के प्रचार ने आम जनता के बीच अंतरिक्ष अन्वेषण में व्यापक रुचि पैदा की है।
इसरो द्वारा लॉन्च किए गए निजी उपग्रह मिशन:
- इसरो के सबसे भारी लॉन्च वाहन GSLV मार्क III ने 36 वनवेब उपग्रह लॉन्च किए ।
- अंतरिक्ष एजेंसी ने छात्रों द्वारा बनाए गए कम से कम चार उपग्रह भी लॉन्च किए।
संभावित प्रश्न
प्र. हाल ही में चर्चित विक्रम-S के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए-
- यह भारत का पहला निजी क्षेत्र द्वारा विकसित रॉकेट है।
- यह तीन चरणों वाला ठोस ईंधन रॉकेट है।
- इसका विकास स्काईरूट एयरोस्पेस नामक कम्पनी द्वारा किया गया है।
उपर्युक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
a) 1 और 3 b) 2 और 3
c) 1 और 2 d) 1, 2 और 3
मुख्य परीक्षा प्रश्न
प्र. अन्तरिक्ष क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी से भारत को होने वाले संभावित लाभों एवं चुनौतियों पर टिप्पणी कीजिए।