
Oct. 20, 2022
वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई
चर्चा में क्यों?
- हाल ही में प्रधानमंत्री के द्वारा स्वतंत्रता सेनानी वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई को उनकी 150वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गयी।
वी. ओ. चिदंबरम पिल्लई के बारे में
आरंभिक जीवन
- चिदंबरम पिल्लई का जन्म 5 सितंबर, 1872 को तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में एक वकील ओलागनाथन पिल्लई और परमायी अम्मल के एक वेल्लालर परिवार में हुआ था।
- चिदंबरम लोकप्रिय रूप से कप्पलोट्टिया तमिलन (द तमिल हेल्समैन) और सेक्किज़ुथ सेम्मल (विद्वानों के सज्जन) के नाम से भी जाने जाते थे।
- 14 वर्ष की उम्र में, चिदंबरम पिल्लई अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए थूथुकुडी चले गए। कुछ समय के लिए उन्होंने तालुक कार्यालय क्लर्क के रूप में काम किया और 1895 में वकील बनने के लिए ओट्टापिदारम लौट आए।
- मद्रास में, चिदंबरम पिल्लई ने स्वामी रामकृष्णानंद से मुलाकात की, जो स्वामी विवेकानंद आश्रम (मठ) के एक संत थे, यहाँ उनकी मुलाकात तमिल कवि भारथियार से हुई जिन्होंने अपनी राजनीतिक विचारधारा को साझा किया। दोनों व्यक्ति घनिष्ठ मित्र बन गए।
राजनीति में प्रवेश
- चिदंबरम ने 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद राजनीति में प्रवेश किया।
- चिदंबरम पिल्लई उस समय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने, जब भारत में स्वदेशी आंदोलन पहले से ही अपने चरम पर था। लाला लाजपत राय और बाल गंगाधर तिलक जैसे नेता ब्रिटिश साम्राज्य व्यापारिक दबाव को समाप्त करने की कोशिश में लगे थे।
कंपनियां और संस्थान
- चिदंबरम पिल्लई ने युवानेश प्रचार सभा, धर्मसंगा नेसावु सलाई, नेशनल गोदाम, मद्रास एग्रो-इंडस्ट्रियल सोसाइटी लिमिटेड और देसबीमना संगम जैसे कई संस्थानों की स्थापना की।
- उनके स्वदेशी कार्य का एक हिस्सा सीलोन के तटों पर ब्रिटिश शिपिंग के एकाधिकार को समाप्त करना था।
- 1906 में, चिदंबरम ने स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी (एसएसएनसीओ) के नाम से एक स्वदेशी मर्चेंट शिपिंग संगठन स्थापित करने के लिए तूतीकोरिन और तिरुनेलवेली में व्यापारियों और उद्योगपतियों का समर्थन हासिल किया।
- चिदंबरम को उनके प्रयासों में 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक' नामक संगठन द्वारा भी सहायता दी गयी।
- स्वदेशी स्टीम नेविगेशन कंपनी को अपने स्वयं के जहाजों के मालिक होने की आवश्यकता को महसूस करते हुए, चिदंबरम पिल्लई ने पूँजी जुटाने के लिए कंपनी के शेयर बेचकर भारत की यात्रा की।
- वह कंपनी के पहले जहाज, एसएस गैलिया को खरीदने के लिए पर्याप्त धन जुटाने में कामयाब रहे और शीघ्र ही, उन्होंने फ्रांस से एसएस लावो नामक जहाज को भी हासिल कर लिया।
- वह गांधीजी के अग्रदूत बने क्योंकि गांधीजी के चंपारण सत्याग्रह (1917) से पहले भी, उन्होंने तमिलनाडु में मजदूर वर्ग का मुद्दा उठाया था।
- 9 मार्च ,1908 की सुबह बिपिन चंद्र पाल की जेल से रिहाई का जश्न मनाने और स्वराज का झंडा फहराने के लिए इनके द्वारा एक विशाल जुलूस निकला गया|
साहित्यिक कार्य:
- उन्होंने जेल में रहते हुए अपनी आत्मकथा शुरू की और 1912 में अपनी रिहाई के बाद इसे पूरा किया।
- चिदंबरम पिल्लई के कुछ उपन्यास इस प्रकार हैं -मेयाराम (1914), मेयारिवु (1915), एंथोलॉजी (1915), मनाकुदवर (1917), थिरुकुरल, इलमपुरनार (1928)
मृत्यु:
- 18 नवंबर, 1936 को चिदंबरम पिल्लई ने तूतीकोरिन में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यालय में अंतिम साँस ली।